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प्राकृतिक या हार्वेस्टिंग में कौन सा शहद होता है सबसे शुद्ध, असली और नकली की भी ऐसे कर सकते हैं जांच

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रिपोर्ट- आशीष कुमार

पश्चिम चम्पारण: शहद के काफी फायदे बताए जाते हैं. खाने से लेकर औषधि तक के रूप में इसे इस्तेमाल किया जाता है. ऐसे में इसकी अच्छी डिमांड अच्छी रहती है. लेकिन शहद के साथ भी देसी घी की तरह ही असली और नकली का बड़ा चैलेंज होता है. कोई भी इंसान नकली घी या शहद नहीं पसंद करता लेकिन सभी को असली मिल भी नहीं पाता. असली घी और शहद के लिए लोग बाजार की कीमत से ज्यादा पैसा देने को भी तैयार रहते हैं उसके बाद भी जरूरी नहीं कि असली ही मिले. अब बड़ा चैलेंज है कि शहद की शुद्धता की पहचान कैसे की जाए. हालांकि, ज्यादा से ज्यादा लोगों को असली शहद मिल सके इसके लिए बीते कुछ सालों में मधुमक्खी पालन एक बड़ा व्यवसाय बनकर उभरा है. यहां लोग शहद हार्वेस्ट करते हैं. ऐसे में लोगों के मन में एक सवाल यह भी उठता है कि छत्ते से निकाला गया शहद अच्छा होता है या फिर मधुमक्खी पालन के जरिए हार्वेस्ट किया गया शहद अच्छा होता है. तो आज असली और नकली शहद की पहचान करने के साथ ही ये भी जान लेते हैं कि कौन सी शहद अच्छी होती है.

पिछले 10 वर्षों से मधुमक्खी सहित अन्य कई चीजों पर कार्य कर रहे मास्टर ट्रेनर शुभम ने शहद की शुद्धता और विभिन्न प्रकार से हार्वेस्ट किए गए शहद की गुणवत्ता पर प्रमाणिक जानकारी साझा की है.

बेहतर होता है बॉक्स से हार्वेस्ट किया गया शहद
शुभम बताते हैं कि ज्यादातर लोगों के पास पेड़-पौधों पर लगे छत्ते वाला शहद पहुंचता है. ऐसा बहुत कम देखा जाता है जिसमें लोगों को बी बॉक्स में पालन कर हार्वेस्ट किया गया शहद खाने का मौका मिलता है. कायदे से देखा जाए तो, प्रकृति में लगे छत्ते से निकाले गए शहद की तुलना में बॉक्स में पालन कर हार्वेस्ट किए गए शहद की गुणवत्ता अधिक अच्छी होती है.

प्रभावित होती है शहद की शुद्धता
शुभम की मानें तो प्राकृतिक रूप से लगे छत्ते से शहद की हार्वेस्टिंग के समय छत्ता पूरी तरह से बर्बाद हो जाता है. इससे मधुमक्खियां बेघर हो जाती हैं और उन्हें एक बार फिर नया छत्ता बनाना पड़ता है. इसके अलावा हार्वेस्टिंग के दौरान छत्ते में मौजूद लार्वा और प्यूपा भी बुरी तरह से पीस कर मर जाते हैं और उनका अवशेष शहद में ही मिक्स हो जाता है. ऐसे में शहद की शुद्धता बहुत हद तक प्रभावित होती है.

मधुमक्खी पालन वाला शहद होता है शुद्ध
बॉक्स में मधुमक्खी पालन कर शहद निकालने की प्रक्रिया में न तो मधुमक्खियां बेघर होती हैं और न ही किसी लार्वा या प्यूपा की जान जाती है. सबसे अच्छी बात तो यह है कि मशीनों द्वारा हार्वेस्ट किए गए शहद में स्वच्छता और शुद्धता दोनों की भरपूर गारंटी होती है.

ऐसे करें शहद के शुद्धता की पहचान
शुभम ने कुछ ऐसे तरीके बताए हैं जिनसे घर पर ही सरल और प्रमाणिक तरीके से शहद की शुद्धता जान सकते हैं. इसके लिए कांच की एक ग्लास में ठंडा पानी भर लें. अब उसमें शहद ही 2–3 बूंदे टपकाएं. पानी में बूंद गिरते ही यदि सीधा तली में बैठ जाए तो शहद बिल्कुल शुद्ध है. यदि पानी में गिरने के बाद शहद की बूंदें फैलने लगें या फिर बिना हिलाए डुलाए घुल जाएं तो शहद मिलावटी है.

शुद्ध शहद सर्दी में जम जाता है और गर्मी में पिघल जाता है. आपको एक प्लेट में थोड़ा पानी लेना है और उसमें हल्का शहद डालकर हिलाना है. यदि शहद शुद्ध है तो हिलाने पर उसमें हनी कॉम्ब का पैटर्न बनाएगा.

माचिस की तीली को शहद में डुबोएं और उसे जलाएं. यदि तीली जल गई तो शहद शुद्ध है और अगर नहीं जली तो शहद में मिलावट है.

आपको मुट्ठी में हल्का शहद और रेत लेकर उसे अच्छे से मिलाना और हिलाना है. यदि शहद हाथ में बिना चिपके बालू के साथ मिल जाए तो फिर वो शुद्ध है. यदि शहद और बालू हांथ में चिपक गए तब उसमें मिलावट है.

यदि आप किसी कपड़े पर शहद की बूंदे गिराएंगे, तो शुद्ध शहद कपड़े में चिपके बिना मोती की तरह लुढ़कने लगेगा. उसे आप उंगलियों से भी उठा लेंगे.


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