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ललिता मौर्या ने महिला स्वयं सहायता समूह से जुड़कर पारंपरिक खानों का व्यवसाय शुरू किया और आत्मनिर्भर बनीं. उन्होंने अपने उत्पादों की ब्रांडिंग ‘धोपाप’ के नाम से की है.
हाथ में अचार का डिब्बा लिए हुए ललिता मौर्या
हाइलाइट्स
- ललिता मौर्या ने पारंपरिक खानों का व्यवसाय शुरू किया.
- ललिता ने अपने उत्पादों की ब्रांडिंग ‘धोपाप’ के नाम से की.
- ललिता अब महीने में हजारों रुपए कमा रही हैं.
सुलतानपुर: ललिता मौर्या ने दिखा दिया है कि अगर मन में कुछ कर गुजरने का जज्बा हो तो कोई भी मुश्किल आसान हो जाती है. ललिता ने महिला स्वयं सहायता समूह से जुड़कर खुद को आत्मनिर्भर बनाया है और आज दूसरी महिलाओं के लिए भी प्रेरणा बन गई हैं. उन्होंने अपने घर पर ही बनने वाले अचार, सेतुआ, कोहड़ौरी जैसे पारंपरिक खानों को अपना व्यवसाय बनाया. ललिता अपने बनाये हुए सामान को बाज़ार में बेचती हैं और अलग-अलग जगहों पर स्टॉल लगाकर भी बेचती हैं. आइए जानते हैं कि ललिता ने यह सब कैसे सीखा और आज वह कितना कमा रही हैं.
इन सामानों का करती हैं उत्पादन
Bharat.one से बातचीत में ललिता ने बताया कि वह आम, गाजर और कई तरह के अचार के साथ-साथ कोहड़ौरी और सेतुआ जैसे कई उत्पाद पूरी तरह से जैविक तरीके से तैयार करती हैं. इनमें वह कुछ औषधीय चीजें भी मिलाती हैं जो सेहत के लिए अच्छी होती हैं.
यहां तक की है पढ़ाई
10वीं कक्षा तक पढ़ी ललिता ने बताया कि उन्होंने लक्ष्मी स्वयं सहायता समूह से जुड़कर पारंपरिक व्यंजन बनाना सीखा. खाना बनाने में महारत हासिल करने के बाद ललिता अब इन्हें अच्छे दामों पर बेचकर अपनी आजीविका चला रही हैं. इस काम में उन्हें एनआरएलएम कार्यालय से काफी मदद मिली है. ललिता ने इसके लिए उपायुक्त एनआरएलएम केडी गोस्वामी और शाखा प्रबंधक नीरज श्रीवास्तव का आभार व्यक्त किया है.
इस ब्रांड से बनाया साबुन
ललिता ने अपने अचार और बाकी उत्पादों की ब्रांडिंग ‘धोपाप’ के नाम से की है. धोपाप सुल्तानपुर का एक प्रसिद्ध धार्मिक स्थल है. ऐसा माना जाता है कि रावण वध के पश्चात भगवान श्री राम ने अपने पापों को यहीं धोया था.
Sultanpur,Uttar Pradesh
March 04, 2025, 10:30 IST
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