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पिथौरागढ़: झंगोरे की खीर उत्तराखंड की पारंपरिक और पौष्टिक मिठाई है, जिसे झंगोरा (Barnyard Millet) और दूध से बनाया जाता है. यह हल्की, सुगंधित और पचाने में आसान होती है. पहाड़ी इलाकों में त्योहारों, पूजा और खास अवसरों पर इसे विशेष प्रेम और सम्मान के साथ परोसा जाता है. स्वाद और स्वास्थ्य लाभ के कारण यह खीर उत्तराखंड की संस्कृति और पर्वतीय जीवनशैली का महत्वपूर्ण हिस्सा मानी जाती है.
झंगोरा, जिसे अंग्रेज़ी में Barnyard Millet कहा जाता है, पहाड़ों का एक खास मोटा अनाज है. यह छोटा, सफेद और हल्का अनाज पहाड़ी इलाकों में बारिश और ठंडे मौसम में आसानी से उगता है, इसलिए सदियों से स्थानीय जीवनशैली का हिस्सा रहा है. झंगोरे की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह ग्लूटेन-फ्री होता है और शरीर को भरपूर ऊर्जा प्रदान करता है.
पहाड़ों में जब कोई मेहमान आए या कोई शुभ अवसर हो, तो झंगोरे की खीर बनाना एक पारंपरिक रस्म माना जाता है. बुजुर्गों का मानना है कि इस खीर को खाने से मन शांत रहता है और शरीर को ऊर्जा मिलती है. ग्रामीण इलाकों में इसे शादी-ब्याह, जन्मदिन, त्योहार या पूजा जैसे हर शुभ अवसर पर परोसा जाता है. पहाड़ों में झंगोरे की खीर प्रेम और सम्मान की मिठाई के रूप में लोकप्रिय है.
झंगोरे की खीर का स्वाद अन्य खीरों से बिलकुल अलग होता है. इसमें चावल वाली खीर जैसी भारीपन नहीं होती, बल्कि यह हल्की, मुलायम और लाजवाब होती है. दूध और झंगोरे का संयोजन इसे बेहद क्रीमी बनाता है और इसे कम समय में तैयार किया जा सकता है. भले ही यह खीर कम मीठी हो, लेकिन इसका स्वाद लंबे समय तक याद रहता है. खास बात यह है कि इसे गरम और ठंडी दोनों तरह से परोसा जा सकता है, और ठंडी खीर में इसका स्वाद और भी निखर जाता है.
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झंगोरे की खीर केवल स्वादिष्ट ही नहीं, बल्कि स्वास्थ्यवर्धक भी है. पहाड़ी लोग इसे इसलिए पसंद करते हैं क्योंकि यह शरीर को ताकत देता है और पेट पर भारी नहीं पड़ता. झंगोरे के प्रमुख फायदे हैं—ग्लूटेन-फ्री होना, शरीर में तुरंत ऊर्जा पहुंचाना, वजन नियंत्रित रखने में सहायक होना, डायबिटीज़ के लिए उपयुक्त विकल्प, हल्का पाचन और कैल्शियम व फाइबर से भरपूर होना. दूध और झंगोरे के मेल से यह खीर प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, कैल्शियम और फाइबर प्रदान करती है, जिससे यह बच्चों और बुजुर्गों दोनों के लिए आदर्श माना जाता है.
उत्तराखंड के गांवों में आज भी जब कोई नई बहू पहली बार रसोई में कदम रखती है, तो अक्सर उसे झंगोरे की खीर बनाने के लिए कहा जाता है. इसे उसकी रसोई कला और हुनर की परख माना जाता है. त्योहारों—जैसे हरियाली तीज, भाईदूज, होली और दीवाली में यह खीर लगभग हर घर में शामिल होती है. पहाड़ी इलाकों में झंगोरे की खीर सिर्फ खाने का व्यंजन नहीं, बल्कि संस्कार, अतिथि-सत्कार और पर्वतीय संस्कृति का प्रतीक मानी जाती है.
झंगोरे की खीर केवल एक मिठाई नहीं, बल्कि पहाड़ों की सरल जीवनशैली, मेहनत, सादगी और संस्कृति का स्वाद है. इसे खाते ही ऐसा लगता है जैसे आप किसी पहाड़ी घर की देहरी पर बैठकर ठंडी हवा में गरम-गरम खीर का आनंद ले रहे हों. यह खीर हर उम्र के लोगों को पसंद आती है और इसका मीठा स्वाद लंबे समय तक याद रहता है. अगर आप कभी उत्तराखंड जाएँ, तो झंगोरे की खीर ज़रूर चखें यह पहाड़ों की मीठी याद बनकर हमेशा आपके दिल में बसी रहेगी.
झंगोरे की खीर बनाने की विधि सरल है, लेकिन इसकी सरलता में ही इसका खास स्वाद छिपा है. सबसे पहले झंगोरा साफ करके पानी में थोड़ी देर भिगो दें, जिससे यह फूल जाए और खीर जल्दी बन सके. फिर दूध को उबालें और उबलते दूध में भीगा हुआ झंगोरा डालकर धीमी आंच पर पकाएं. झंगोरा धीरे-धीरे दूध में घुलता है और खीर गाढ़ी होने लगती है. इसके बाद इलायची और घी मिलाएं, जो खीर को खास सुगंध देते हैं. अंत में स्वादानुसार चीनी या गुड़ डालें. पहाड़ों में अक्सर गुड़ का इस्तेमाल किया जाता है, जिससे स्वाद और पौष्टिकता दोनों बढ़ जाती हैं. ऊपर से मेवे डालकर परोसें. इस तरह बनी झंगोरे की खीर हल्की होने के बावजूद स्वाद में बेजोड़ होती है, बिल्कुल पहाड़ी मिठास की तरह.
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https://hindi.news18.com/photogallery/lifestyle/recipe-jhangore-kheer-health-benefits-barnyard-millet-recipe-uttarakhand-local18-9865734.html
