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Bharatpur News : भरतपुर मेले में ‘खजला’ का मीठा जादू, साल में सिर्फ एक बार मिलने वाली मिठाई बनी आकर्षण का केंद्र

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Khajala sweet : भरतपुर के श्री जसवंत प्रदर्शनी एवं पशु मेले में इस बार भी लोगों की मिठास बनी है खजला. उत्तर प्रदेश से आए कारीगरों द्वारा तैयार की गई यह पारंपरिक मिठाई साल में सिर्फ एक बार ही बनती है. कुरकुरी परतों और मीठे स्वाद से भरपूर खजला अब मेले की पहचान बन चुका है.

भरतपुर का श्री जसवंत प्रदर्शनी एवं पशु मेला न केवल सांस्कृतिक कार्यक्रमों झूलों और मनोरंजन का केंद्र है. बल्कि यहां मिलने वाली पारंपरिक मिठाइयां भी लोगों को खूब आकर्षित करती हैं. अब मेले में एक ऐसी खास मिठाई लोगों का ध्यान खींच रही है. जो साल भर में सिर्फ एक बार ही बनती है और वह है, खजला खजला एक पारंपरिक मिठाई है. जिसे उत्तर प्रदेश के कुशल कारीगर अपने खास तरीके से तैयार करते हैं.

इस मिठाई को बनाने में विशेष मेड और चीनी का प्रयोग किया जाता है. इसकी सबसे बड़ी खासियत इसका कुरकुरा और परतदार स्वाद है. बाहर से यह खस्ता और अंदर से हल्की मीठी परतों वाली होती है. जिसे खाने के बाद मुंह में मिठास लंबे समय तक बनी रहती है. यह मिठाई आम दिनों में बाजार में नहीं मिलती इसे केवल साल में एक बार भरतपुर में लगने वाले बड़े मेलों जैसे…

श्री जसवंत प्रदर्शनी एवं पशु मेला या हाट बाजारों में ही बनाया और बेचा जाता है. उत्तर प्रदेश के हाथरस आगरा और औरैया से आने वाले पारंपरिक हलवाई इस मौके पर भरतपुर पहुंचते हैं और अपने हुनर से इस दुर्लभ मिठाई को तैयार करते हैं. मेले में खजला के स्टॉल पर लोगों की खूब भीड़ उमड़ रही है. स्थानीय निवासी हों या बाहर से आने वाले लोग हर कोई इस अनोखी मिठाई का स्वाद लेने के लिए उत्सुक दिख रहा है.

दुकानदारों का कहना है कि खजला बनाने की प्रक्रिया काफी मेहनतभरी होती है. जिसमें कई घंटे लगते हैं. पहले आटे की पतली-पतली परतें बनाई जाती हैं. फिर उन्हें तेल में तला जाता है और आखिर में उस पर मीठी चाशनी की परत चढ़ाई जाती है. इसमें तीन से चार प्रकार के खजला बनते है. मीठा फीका नमकीन और मावा यह खजला मिठाइयों से अलग और खास होते हैं.

भरतपुर में हर साल जब भी बड़ा मेला आयोजित होता है. तब खजला के आने की चर्चा पहले से ही शुरू हो जाती है. बुजुर्गों के अनुसार यह मिठाई पहले समय में राजघरानों और अमीर घरों में खास मौकों पर ही बनती थी लेकिन अब यह मेलों की पहचान बन चुकी है.

इस बार श्री जसवंत प्रदर्शनी एवं पशु मेला में भी खजला मिठाई लोगों के आकर्षण का मुख्य केंद्र बनी हुई है. जो एक बार इसका स्वाद ले लेता है. वह अगली बार मेले में आने पर इसे जरूर ढूंढता है. यही वजह है कि खजला अब भरतपुर के मेलों की एक मीठी परंपरा बन चुकी है. अगर बात करें इसकी कीमत की तो इसका भाव अलग-अलग होता है.

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भरतपुर मेले में खजला का मीठा जादू, साल में एक बार मिलने वाली मिठाई


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