लेकिन कुछ महीनों बाद, अचानक से उस लड़की के पैरों पर लाल रंग के धब्बे, पेट में दर्द और जोड़ों में दर्द जैसे लक्षण दिखाई देने लगे. अस्पताल ले जाने पर पता चला की इस लड़की को किडनी से जुड़ी बीमारी है. कुछ जहरीले पदार्थ जो उस लड़की के शरीर में दाखिल हो गए, जिसके चलते किडनी खराब हो गई.
साउथ चाइन मॉर्निग पोस्ट में छपी रिपोर्ट के अनुसार, झेंग्झौ पीपुल्स हॉस्पिटल के डाक्टर ताओ चेनयांग ने बताया कि हुया की हालत हेयर डाई के कारण हुई है. ताओ ने कहा कि हेयर-डाई में कुछ जहरीले पदार्थ होते हैं, जो फेफड़े और किडनी के फेल होने का कारण बन सकते हैं. ये कैंसर के खतरे को भी बढ़ा सकता है. ताओ ने बताया कि हेयर डाई में लेड और मरक्यूरी भी होता है, जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हैं.
हेयर डाई से किडनी की समस्याएं हो सकती हैं?
इस घटना के बाद, अब सवाल ये उठ रहा है कि क्या हेयर डाई से किसी व्यक्ति की किडनी खराब हो सकती है. इसके अलावा क्या कारण है कि हेयर डाई से किसी की जान जोखिम में चली गई.
यूएस नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ के अनुसार, प्रोपिलीन ग्लाइकॉल नाम के रंगहीन तरल का उपयोग आमतौर पर हेयर डाई में सॉल्वेंट के रूप में किया जाता है. शरीर में इस सॉल्वेंट के दाखिल होने के बाद बॉडी में तरल पदार्थ अधिक गाढ़ा हो जाता है. इसके चलते तनाव डिप्रेशन और किडनी समस्या हो सकती है. प्रोपिलीन ग्लाइकॉल के कारण किडनी वेन्स में सूजन हो जाती है. हेयर डाई में पाया जाने वाला रेसोर्सिनॉल किडनी के खराब होने का कारण हो सकता है.
साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट के अनुसार, डाक्टर ने बताया कि हुआ उसके फेवरिट स्टार अक्सर रंग बदले थे, इसलिए हुया ने भी ऐसा ही किया. जब भी फेवरिट स्टार बालों का रंग बदलते, तो लड़की भी हेयर सैलून में बाल रंगवाने पहुंच जाती थी. डॉक्टर उसका इलाज चल कर रहे हैं.
भारत में कितने लोग करते हैं हेयर डाई?
कंज्यूमर बिहेवियर पर काम कर रही एजेंसी मिंटेल के अनुसार, भारत में 40% अडल्ट्स अपने बालों को रंगते हैं, जिनमें से एक बड़ा हिस्सा घरेलू उपाये पसंद करता है. घरों में ही बाल रंगने के प्रचलन के बावजूद, कई लोग सैलून जाना बेहतर मानते हैं.
वेबसाइट रिसर्च मार्किट के अनुसार, भारत में हेयर कलर का बाज़ार तेज़ी से बढ़ रहा है. साल 2024 में 0.66 अरब अमेरिकी डॉलर का था और 2030 तक 1.72 अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुँचने की संभावना है. फ़ैशन जागरूकता, बढ़ती डिस्पोजेबल इनकम और पर्सनल ग्रूमिंग के प्रति बढ़ती पसंद के कारण है.
शहरीकरण, सोशल मीडिया और सेलिब्रिटी कल्चर के कारण माँग में और इज़ाफा हो रहा है. इससे कंज्यूमर अमोनिया-मुक्त और ऑर्गेनिक फ़ॉर्मूले की ओर रुख कर रहे हैं. इस बाज़ार में अस्थायी, अर्ध-स्थायी और स्थायी हेयर डाई शामिल हैं. भारतीय बाज़ार में लॉरियल, गार्नियर और गोदरेज जैसी कंपनियाँ दबदबा बनाए हुए हैं, जबकि घरेलू ब्रांड भी अपना विस्तार कर रहे हैं.
कंपनियों पर पहले भी उठे सवाल
इस वर्ष की शुरुआत में, अमेरिका में एक पूर्व हेयर स्टाइलिस्ट हेक्टर कोरवेरा ने दिग्गज 10 अन्य कंपनियों के खिलाफ मुकदमा दायर किया था. उनका आरोप था कि हेयर डाई में कैंसर पैदा करने वाले केमिकल्स होते हैं. इसके बार-बार संपर्क में आने से उसे ब्लेडर का कैंसर हो गया.
एनबीसी न्यूज के अनुसार, लॉस एंजिल्स में वकील एलन स्मिथ ने भी एक मुकदमा दायर किया है, जिसमें उन्होंने दावा किया है कि कोर्वेरा का कैंसर हेयर डाई प्रोडक्ट्स में गैर-ज़रूरी खतरनाक और खराब प्राकृति के केमिकल्स के इस्तेमाल के चलते हुआ है. इसमें कंपनियों पर अपने प्रोडक्ट्स को लेकर गलत और लापरवाह व्यवहार का आरोप लगाया गया है.
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