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डॉक्टर साहब, लिखें साफ! बिहार में डॉक्टरों से साफ लिखावट की गुहार, लोग बोले- यही तो है वसूली का खेला

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Doctors Handwritting Issue: पटना के कई युवाओं ने Bharat.one के जरिए डॉक्टरों से साफ सुथरी हैंडराइटिंग में पर्ची लिखने का अनुरोध किया है. उन्होंने इसके कई फायदे भी गिनाएं. आइये इसके बारे में जानते हैं

पटना. पिछले दिनों हाइकोर्ट ने पंजाब, हरियाणा और चंडीगढ़ के डॉक्टरों को निर्देश दिया था कि जब तक कंप्यूटराइज्ड या टाइप की गई पर्चियां लागू नहीं होती हैं. तब तक वे कैपिटल लेटर में मरीजों को पर्ची और डायग्नोसिस लिखें. साफ सुथरी हैंडराइटिंग में पर्ची लिखना डॉक्टरों की जिम्मेदारी है. मरीजों को पढ़ने लायक मेडिकल पर्ची और डायग्नोसिस देना उनका मौलिक अधिकार है.

हाइकोर्ट के इस ऐतिहासिक फैसले के बाद बिहार में भी इस तरह का निर्देश जारी करने की मांग उठने लगी है. पटना के कई युवाओं ने Bharat.one के जरिए डॉक्टरों से साफ सुथरी डराइटिंग में पर्ची लिखने का अनुरोध किया है. उन्होंने इसके कई फायदे भी गिनाए हैं.

सिर्फ डॉक्टर का ही केमिस्ट पढ़ पाएगा हैंडराइटिंग

आशीष कुमार ने कहा कि हाई कोर्ट के इस फैसले का स्वागत किया जाना चाहिए. डॉक्टरों की हैंडराइटिंग के कारण मरीजों को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है. अक्सर समझ ही नहीं आता कि डॉक्टर ने पर्ची में क्या लिखा है और कौन-सी दवाई दी है. पर्ची को सिर्फ वही दुकानदार पढ़ पाता है, जो डॉक्टर से कनेक्टेड होता है. अगर मरीज उस पर्ची को लेकर किसी दूसरी दुकान पर जाता है, तो दुकानदार यह कह देता है कि उसे समझ नहीं आ रहा कि इसमें क्या लिखा है. ऐसी हालात में मरीजों को मजबूरी में उसी दुकान से दवाई खरीदनी पड़ती है. जहां दाम भी अधिक वसूले जाते हैं.

कमीशन का खेल है रगड़कर कर लिखना

वहीं, विशाल ने कहा कि हम इलाज कराने के लिए समस्तीपुर के एक डॉक्टर के पास गए थे. डॉक्टर ने दवा का नाम ऐसे लिखा कि किसी को समझ ही नहीं आ रहा था. अक्सर वह केवल पहला लेटर लिखकर आगे रगड़ देते हैं. अगर डॉक्टर साफ और पूरा नाम लिखेंगे तो मरीज कहीं से भी दवा खरीद सकता है. अगर दवा महंगी हो तो उसका सब्स्टीट्यूट भी खरीदा जा सकता है. कम से कम मरीज को यह तो पता चले कि डॉक्टर ने कौन-सी दवा लिखी है. हमको तो लगता है कि यह सब कमीशन का खेल है. इसलिए जानबूझकर डॉक्टर रगड़ कर लिखते हैं.

कभी-कभी गलत दवा दे देते हैं मेडिकल वाले

वहीं, शुभम ने बताया कि अगर बिहार के भी डॉक्टर साफ सुथरे हैंडराइटिंग में पर्ची लिखते हैं, तो मरीजों में बहुत सुविधा होगी. कोई भले ही इंग्लिश मीडियम से पढ़ा लिखा हो, लेकिन डॉक्टर का लिखा हुआ नहीं पढ़ सकता. इसीलिए बिहार में भी डॉक्टरों को आगे आकर इस चीज में सुधार लाने की जरूरत है. कई दफा यह सुनने को मिलता है कि डॉक्टर ने जो दवा लिखा वो दुकानदार को समझ में ही नहीं आया. ऐसे में दुकानदार ने अनुमान के आधार पर गलत दवा दे दी, जिससे मरीज की तबियत ज्यादा खराब हो गई. यह सबसे बड़ी समस्या है. अगर डॉक्टर साफ सुथरा और फुल नेम लिखेंगे तो मरीज दवाई का मिलान खुद से भी कर सकता है.

ऑनलाइन भी खरीद सकते हैं, डिस्काउंट भी मिलेगा

मनोज ने कहा कि हम लोग स्टूडेंट हैं, बायोलॉजी पढ़ते हैं, लेकिन डॉक्टर साहब क्या लिखते हैं, समझ ही नहीं आता है. अगर वो क्लियर लिखेंगे तो हमलोग ऑनलाइन भी दवाई को खरीद सकते हैं. दुकानदारों की मनचाही रेट से राहत मिलेगी. ऑनलाइन खरीदने पर कई तरह का डिस्काउंट भी मिल जाता है, लेकिन पढ़ा ही नहीं जाता तो कैसे कोई जान पायेगा.

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डॉक्टर साहब, लिखें साफ! बिहार में डॉक्टरों से साफ लिखावट की गुहार


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