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न झटका न हलाला, बिना जानवर काटे इस तरह तैयार हो रहा मीट ! लोगों को खूब आ रहा पसंद, सेहत के लिए भी फायदेमंद

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Lab Grown Meat Health Benefits: दुनियाभर में मीट खूब खाया जाता है और इसके लिए रोज लाखों जानवरों को काटना पड़ता है. इससे न सिर्फ जानवरों के प्रति क्रूरता होती है, बल्कि इस मीट से लोगों की डिमांड भी पूरी नहीं हो पा रही है. एक हालिया रिपोर्ट में पता चला है कि एशिया-पेसिफिक रीजन में लोगों को लैब में बनाया गया मीट काफी पसंद आ रहा है. लैब में बनाया गया मीट सेहत के लिए भी ज्यादा फायदेमंद माना जा रहा है और लोगों की इससे जरूरतें भी पूरी हो रही हैं. लैब में बनाया गया मीट प्रोटीन, फैट, कार्बोहाइड्रेट और विटामिन का अच्छा सोर्स है, जो भरपूर एनर्जी दे सकता है.

अब सवाल है कि लैब ग्रोन मीट क्या है और यह कैसे तैयार किया जाता है? न्यूज मेडिकल की रिपोर्ट के मुताबिक लैब में बना मीट (Lab-grown meat) जानवर काटकर तैयार किए गए मीट का एक विकल्प है. यह मीट लैब में तैयार किया जाता है. इसे तैयार करने की प्रक्रिया में सबसे पहले किसी जीवित जानवर से एक बायोप्सी (biopsy) ली जाती है, जिसमें मसल सेल्स से स्टेम सेल्स को अलग किया जाता है. फिर इन स्टेम सेल्स को एक विशेष घोल (medium) में रखा जाता है, जिसमें उन्हें बढ़ने और विभाजित होने के लिए जरूरी पोषक तत्व मिलते हैं. जैसे-जैसे ये स्टेम सेल्स डिवाइड होती हैं, वे मसल सेल्स और फैट सेल्स में बदल जाती हैं. आखिर में ये सेल्स मीट का रूप ले लेती हैं. इस तरह लैब में बिना जानवर काटे मीट तैयार हो जाता है.

लेब में बनाए गए मीट को कई अन्य नाम से भी जाना जाता है. इसे कल्चर्ड मीट (cultured meat), सेल बेस्ड मीट (cell-based meat), आर्टिफिशियल मीट (artificial meat), कल्टीवेटेड मीट (cultivated meat) और डिजाइनर मीट (designer meat) भी कहा जाता है. यह पारंपरिक मीट प्रोडक्शन के मुकाबले पर्यावरण के लिए काफी बेहतर माना जाता है, क्योंकि इसमें किसी भी जानवर को मारे बिना मांस का उत्पादन किया जाता है. ग्लोबल डेटा की रिपोर्ट के अनुसार सिंगापुर, जापान, दक्षिण कोरिया, चीन और भारत समेत कई देशों में लैब ग्रोन मीट की डिमांड में जबरदस्त बढ़ोतरी हो रही है.

क्या लैब ग्रोन मीट सेहत के लिए भी ज्यादा फायदेमंद होता है? लैब में बनाया गया मीट पारंपरिक मीट की तुलना में ज्यादा सुरक्षित और फायदेमंद हो सकता है. यह मीट स्वच्छ और कंट्रोल्ड वातावरण में उगाया जाता है, जिससे इसमें हानिकारक बैक्टीरिया या वायरस के कंटामिनेशन का खतरा काफी कम होता है. लैब में मीट उत्पादन के दौरान कोई एंटीबायोटिक्स या हॉर्मोन का उपयोग नहीं किया जाता है, जिससे स्वास्थ्य पर साइड इफेक्ट का खतरा कम होता है. पर्यावरणीय दृष्टिकोण से भी यह मीट अधिक फायदेमंद है, क्योंकि इससे प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ता है.

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https://hindi.news18.com/news/lifestyle/health-lab-grown-meat-demand-increases-in-asia-pacific-countries-good-for-health-environment-know-all-about-it-8930931.html

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