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पूरे ठाठ बाट से पेड़ों पर फैलती हैं इसकी लताएं, जब न डॉक्टर थे, न अस्पताल…तब से सुख-दु:ख का साथी – Uttar Pradesh News

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Health Tips : इसमें हर वो औषधीय गुण मौजूद हैं, जिन्हें हम महंगी दवाओं में खोजते रहे हैं या डॉक्टर जिन्हें खाने की सलाह देते हैं. इसमें हर उस मर्ज का इलाज है, जो सदियों से हमें परेशान करते आए हैं.

अमरबेल पेड़ों पर पाई जाने वाली एक परजीवी वनस्पति है. आयुर्वेद में इसका उपयोग सदियों से किया जा रहा है. अमरबेल में कई औषधीय गुण पाए जाते हैं. यह कई बीमारियों के इलाज में प्रभावी है. बाग-बगीचों में यह आसानी से मिल जाती है. आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति में इसे एक मूल्यवान जड़ी-बूटी माना जाता है.

जिला अस्पताल बाराबंकी के चिकित्सक डॉ. अमित वर्मा (एमडी मेडिसिन) Bharat.one से कहते हैं कि अमरबेल के पत्ते और तने में भरपूर मात्रा में आयरन, कैल्शियम, विटामिन सी, फ्लेवोनोइड्स और एल्कलॉइड्स जैसे तत्व पाए जाते हैं. ये हमें कई गंभीर बीमारियों से बचाते हैं. बस इसका सही इस्तेमाल करने की जरूरत है.

अमरबेल के चूर्ण का सेवन करने से बुखार ठीक होता है. तीसरे या चौथे दिन आने वाले बुखार में भी अमरबेल को गले में बांध लेने से बुखार नहीं चढ़ता है.

अमरबेल के 10 मिली रस में 5 ग्राम काली मिर्च का चूर्ण मिलाकर खूब घोंटकर रोज सुबह पिला दें. तीन दिन में ही खूनी और बादी बवासीर में मिट जाएगी.

5-10 मिली अमरबेल के रस का सेवन करने से बुखार, लिवर विकार व कब्ज में लाभ होता है. अमरबेल के 10-20 मिली काढ़े को पीने से या इसके पेस्ट को आमाशय व पेट पर लेप करने से फैटी लीवर ठीक होता है. आकाशवल्ली का प्रयोग पेशाब को बढ़ाने के लिए व किडनी की बीमारियों के इलाज में भी किया जाता है.

अमरबेल को तिल या शीशम के तेल में पका लें. इसे सिर पर लगाने से बालों की जड़ें मजबूत बनती हैं. इससे गंजेपन में लाभ होता है. लगभग 50 ग्राम अमरबेल को कूटकर एक लीटर पानी में पका लें. इससे बालों को धोने से बाल में चमक आती है और बाल सुनहरे होते हैं. इससे बालों का झड़ना तो रुकता ही है, रूसी भी खत्म होती है.

अमरबेल कोलेस्ट्रॉल कम करता है और रक्तचाप को स्थिर रखकर हृदय स्वास्थ्य बनाए रखने में मदद करता है. अमरबेल का नियमित उपयोग हृदय रोगों के जोखिम को कम कर सकता है.

अमरबेल में एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण पाए जाते हैं जो मुंह के छालों के इलाज में मदद करते हैं. अमरबेल के पत्तों का रस और अमरबेल की गांठ के पाउडर का प्रयोग मुखपाक के रूप में किया जाता है. अमरबेल के पत्तों को पीसकर उसका लेप छालों पर लगाने से भी लाभ मिलता है.

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पूरे ठाठ बाट से पेड़ों पर फैलती हैं इसकी लताएं, सदियों से सुख-दु:ख का साथी


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