Is Raw Milk Safe To Drink: अगर गाय-भैंस को कोई इंफेक्शन हो जाए, तो उसके वायरस दूध में पहुंच सकते हैं. अगर इस दूध को सही तरीके से उबाला न जाए, तो ये वायरस कच्चे दूध में कई दिनों तक जिंदा रह सकते हैं. स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी की एक हालिया स्टडी में खुलासा हुआ है कि कच्चा दूध जब फ्रिज में रखा जाता है, तो उसमें फ्लू का वायरस 5 दिनों तक जिंदा रह सकता है. स्टडी में यह दिखाया गया है कि इन्फ्लूएंजा यानी फ्लू वायरस कच्चे दूध में सर्दी के मौसम लंबे समय तक जिंदा रहता है, जिससे संक्रमण के जोखिमों के बारे में चिंताएं बढ़ गई हैं. यह स्टडी तब ज्यादा महत्वपूर्ण है, जब डेयरी मवेशियों में बर्ड फ्लू का प्रकोप फैलने के कारण दुनियाभर में नए स्वास्थ्य संकट का खतरा पैदा हो गया है.
स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय के डोएर स्कूल ऑफ सस्टेनेबिलिटी और इंजीनियरिंग स्कूल की सीनियर रिसर्चर एलेक्जेंड्रिया बोहम ने बताया कि इस स्टडी में यह पाया गया है कि कच्चे दूध के सेवन से एवियन इन्फ्लूएंजा (बर्ड फ्लू) के संक्रमण का खतरा बढ़ सकता है और यह कच्चे दूध के पाश्चराइजेशन की अहमियत बताता है. पाश्चराइजेशन वह प्रक्रिया है, जिसमें दूध को उबालकर उसमें मौजूद हानिकारक बैक्टीरिया और वायरस को खत्म किया जाता है. इसके बिना कच्चा दूध बीमारियों का कारण बन सकता है. जो लोग कच्चा दूध पीना पसंद करते हैं, उन्हें ज्यादा सावधानी बरतने की जरूरत है.
कई लोग यह मानते हैं कि कच्चे दूध में पाश्चराइज्ड दूध की तुलना में अधिक पोषक तत्व, एंजाइम्स व प्रोबायोटिक्स होते हैं, जो शरीर के लिए फायदेमंद हो सकते हैं. कच्चे दूध से इम्यूनिटी बढ़ने का भी दावा किया जाता है. हालांकि, यूएस फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (FDA) ने साफ चेतावनी दी है कि कच्चे दूध का सेवन करने से 200 से ज्यादा बीमारियों का खतरा बढ़ सकता है. इसमें ई. कोली, साल्मोनेला और अन्य हानिकारक बैक्टीरिया शामिल हैं, जो विशेष रूप से बच्चों, बुजुर्ग, गर्भवती महिलाओं और कमजोर इम्यूनिटी वाले व्यक्तियों के लिए गंभीर बीमारियां पैदा कर सकते हैं.
जनरल एनवायरनमेंटल साइंस एंड टेक्नोलॉजी लेटर्स पत्रिका में पब्लिश हुई स्टडी में पाया गया है कि फ्रिज के तापमान पर गाय के कच्चे दूध में मानव इन्फ्लूएंजा वायरस का एक प्रकार एच1एन1 पीआर8 पांच दिनों तक जीवित और संक्रामक रहा. यह तथ्य इस बात का संकेत है कि कच्चे दूध में फ्लू का वायरस लंबे समय तक सक्रिय रह सकता है और डेयरी फार्मों में अन्य सतहों और सामग्रियों को भी दूषित कर सकता है, जिससे वायरस जानवरों और मनुष्यों के बीच फैल सकता है. ऐसे में लोगों को इस रिसर्च के बारे में जरूर जानना चाहिए.
अध्ययन के सह-लेखक मेंगयांग झांग ने कहा कि इस निष्कर्ष से यह साफ है कि कच्चे दूध में फ्लू वायरस का कई दिनों तक सक्रिय रहना स्वास्थ्य के लिए एक नया खतरा उत्पन्न करता है. शोधकर्ताओं ने यह भी पाया कि फ्लू वायरस का आनुवंशिक सामग्री (RNA) कच्चे दूध में 57 दिनों तक मौजूद रहा. जबकि पाश्चराइजेशन के द्वारा दूध से वायरस पूरी तरह से समाप्त हो जाता है और वायरल RNA की मात्रा 90 प्रतिशत तक घट जाती है, हालांकि यह पूरी तरह से खत्म नहीं हो पाता है. विशेषज्ञों का मानना है कि बर्ड फ्लू जैसी बीमारियों के फैलने के दौरान कच्चे दूध की ज्यादा निगरानी करना जरूरी है.
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FIRST PUBLISHED : December 14, 2024, 15:21 IST
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