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बच्‍चों में बढ़ रहीं द‍िल की बीमार‍ियां, RML अस्‍पताल ने दी गुड न्‍यूज, मिलेगा एडवांस इलाज

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दिल्‍ली का आरएमएल अस्‍पताल अब इस मामले में एम्‍स नई द‍िल्‍ली, पीजीआई चंडीगढ़ और त्र‍िवेंद्रम के श्रीच‍ित्रा इंस्‍टीट्यूट की केटेगरी में खड़ा हो गया है. अब यहां पीड‍ियाट्र‍िक कार्डियोलॉजी में डीएम कोर्स शुरू किया जा रहा है. हर साल 2 छात्र इसमें दाख‍िला ले सकेंगे.

बच्‍चों में बढ़ रहीं द‍िल की बीमार‍ियां, RML अस्‍पताल ने दी गुड न्‍यूजआरएमएल अस्‍पताल में शुरू हुआ पीड‍ियाट्र‍िक कार्डियोलॉजी में डीएम कोर्स..
RML hospital New Delhi: बच्चों में बढ़ते हृदय रोगों के इलाज को लेकर दिल्ली के अटल बिहारी वाजपेई इंस्टीट्यूट और डॉ राम मनोहर लोहिया अस्पताल ने अच्छी खबर दी है. केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने एक आदेश जारी कर अस्पताल में बच्चों के हृदय रोग से संबंधित पीडियाट्रिक कार्डियोलॉजी डिविजन में डीएम प्रोग्राम शुरू करने की अनुमति दे दी है. इससे अब बच्चों में दिल की बीमारियों का इलाज करने के लिए अस्पताल के अंदर ही एक्सपर्ट डॉक्टर्स तैयार हो सकेंगे.

9 सितंबर को दिए आदेश में बताया गया कि इस कोर्स का एफीलिएशन गुरु गोविंद सिंह इंद्रप्रस्थ यूनिवर्सिटी से किया गया है और सत्र 2025-26 से ही मेडिकल छात्र इसमें एडमिशन ले सकेंगे. आरएमल अस्पताल में हार्ट डिजीज के साथ आने वाले बच्चों के इलाज के लिए भी यह एक महत्वपूर्ण कदम है. इस कोर्स के शुरू होने से उत्तर भारत में राम मनोहर लोहिया अस्पताल नवजात शिशु और बच्चों के हृदय रोग के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण जिम्मेदारी निभा सकेगा.

इस बारे में आरएमएल में प्रोफेसर और पीडियाट्रिक्स विभाग के प्रमुख डॉ दिनेश यादव ने बताया कि सरकार के इस आदेश से हर साल दो पोस्टग्रेजुएट परास्नातक मेडिकल छात्र बाल हृदय रोग में सुपर स्पेशलिटी डीएम कोर्स के अंतर्गत शिक्षा पा सकेंगे. अभी तक इस स्पेशलिटी की शिक्षा की सुविधा कुछ चुने हुए सरकारी संस्थानों में है, जैसे अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान नई दिल्ली, पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज चंडीगढ़ और श्रीचित्रा इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज त्रिवेंद्रम में .

विदेश जाने से बचेंगे छात्र
इस कदम से पीडियाट्रिक कार्डियोलॉजी में डीएम करने के लिए विदेश जाने वाले छात्रों की संख्या में कमी आएगी साथ ही देश में हर साल बाल हृदय रोगों के एक्सपर्ट चिकित्सकों की संख्या बढ़ेगी जिसका फायदा देश के उन परिवारों को होगा जहां बच्चों में कंजेटियल और एक्वायर्ड हार्ट डिफेक्ट्स हैं.

देश में है हार्ट स्पेशलिस्ट और सर्जन की कमी
बता दें कि देश की आबादी को देखते हुए बाल हृदय रोग चिकित्सक और हार्ट सर्जनों की देश में काफी कमी है.
अस्पताल में बाल हृदय रोग विभाग की स्थापना 2011 में सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा की गई थी. साथ ही इसके लिए 200 वेकेंसी सैंक्शन करना और उसके लिए पर्याप्त आर्थिक संसाधन का आदेश 2013 में जारी किया था.

डॉ. दिनेश ने बताया कि बच्चों की इकोकार्डियोग्राफी की सुविधा यहां 2010 से मौजूद है. वहीं बच्चों के लिए Cath लैब भी 2019 में शुरू हो गई थी.इसके बाद बाल हृदय रोग विभाग में बच्चों के कार्डियक आईसीयू वार्ड का भी निर्माण किया गया. आज डॉक्टर राम मनोहर लोहिया अस्पताल में बाल एवं शिशु हृदय रोग के संपूर्ण इलाज की व्यवस्था है जिसका कि कॉर्पोरेट अस्पतालों में खर्च लाखों रुपए में आता है. आरएमएल जैसे सरकारी अस्पतालों में मरीजों का इलाज लगभग मुफ्त में किया जाता है.

priya gautamSenior Correspondent

अमर उजाला एनसीआर में रिपोर्टिंग से करियर की शुरुआत करने वाली प्रिया गौतम ने हिंदुस्तान दिल्ली में संवाददाता का काम किया. इसके बाद Hindi.Bharat.one.com में वरिष्ठ संवाददाता के तौर पर काम कर रही हैं. हेल्थ एंड लाइफस्…और पढ़ें

अमर उजाला एनसीआर में रिपोर्टिंग से करियर की शुरुआत करने वाली प्रिया गौतम ने हिंदुस्तान दिल्ली में संवाददाता का काम किया. इसके बाद Hindi.Bharat.one.com में वरिष्ठ संवाददाता के तौर पर काम कर रही हैं. हेल्थ एंड लाइफस्… और पढ़ें

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