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मोबाइल स्क्रीन का अधिक उपयोग बढ़ा सकता है मायोपिया का खतरा.

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Screen Use Can Increase Risk of Myopia: आजकल लोगों के पास हमेशा मोबाइल रहता है और हमेशा वह इसमें चिपके रहते हैं. लेकिन एक रिसर्च में कहा गया है कि यदि 1 घंटे भी आप रोजाना डिजिटल स्क्रीन पर अपना समय बिताते हैं त…और पढ़ें

दिन में 1 घंटे भी मोबाइल में चिपके रहेंगे तो हो जाएगा मायोपिया, आंखों से देखना

स्क्रीन टाइम के नुकसान

हाइलाइट्स

  • मोबाइल स्क्रीन पर 1 घंटे बिताने से मायोपिया का खतरा 21% बढ़ता है.
  • मायोपिया से नजदीक की चीजें देखना मुश्किल हो जाता है.
  • स्क्रीन टाइम बढ़ने से दिमाग और शरीर पर नकारात्मक असर होता है.

Screen Use Can Increase Risk Of Myopia: यदि आपको मोबाइल पर चिपके रहने की आदत है तो सतर्क हो जाएं क्योंकि हाल ही में एक रिसर्च में दावा किया गया है कि 1 घंटे की डिजिटल स्क्रीन पर चिपके रहने की आदत है तो इससे मायोपिया की बीमारी हो जाएगी. मायोपिया आंखों की गंभीर बीमारी है जिसमें नजदीक की चीजें दिखाई नहीं देती. अगर आप अखबार पढ़ रहे हैं तो आपको आंखों से बिना चश्मे के पढ़ना मुश्किल हो जाएगा. जामा ओपन नेटवर्क में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक यदि आप रोज एक घंटे डिजिटल स्क्रीन पर अपना समय बिताते हैं तो और इस समय में धीरे-धीरे वृद्धि करते हैं तो इससे आंखों में मायोपिया बीमारी का जोखिम 21 प्रतिशत तक अधिक हो जाएगा.

साढ़े तीन लाख लोगों पर अध्ययन
बड़े पैमाने पर किए गए इस अध्ययन में पता चला है कि अगर कोई रोजाना 1 घंटे से कम डिजिटल स्क्रीन पर अपना समय बिताते हैं तो इससे उतना खतरा नहीं है लेकिन यदि इसमें वृद्धि की जाती है आंखों के खराब होने का खतरा बहुत बढ़ जाता है. हालांकि आज युवा उम्र में शायद ही कोई ऐसा होगा जो स्क्रीन में चार-पांच घंटे का समय नहीं बिताता होगा. अध्ययन में कहा गया है कि एक घंटे से जितना अधिक आप स्क्रीन पर समय बिताएंगे उतना अधिक और उतनी जल्दी मायोपिया होने का खतरा होगा. शोधकर्ताओं ने कहा, “ये निष्कर्ष चिकित्सकों और शोधकर्ताओं को मायोपिया के जोखिम के संबंध में मार्गदर्शन प्रदान कर सकते हैं.” डिजिटल स्क्रीन के बढ़ते उपयोग के कारण निकट दृष्टि दोष के मामलों में वृद्धि हुई है. टीम ने 45 जांचों से प्राप्त आंकड़ों की समीक्षा की गई जिसमें बच्चों से लेकर युवा वयस्कों तक 3.35 लाख से अधिक प्रतिभागियों में स्क्रीन समय और निकट दृष्टि दोष के बीच संबंध को देखा गया.

ज्यादा देर तक स्क्रीन टाइम से दिमाग पर असर
शोधकर्ताओं ने कहा कि 1-4 घंटे तक स्क्रीन पर समय बिताने से जोखिम काफी बढ़ जाता है और फिर धीरे-धीरे और बढ़ता जाता है. हालांकि, 1 घंटे से कम समय तक संपर्क में रहने से कोई संबंध नहीं पाया गया, जो संभावित सुरक्षा सीमा का सुझाव देता है. लेखकों का कहना है कि ये निष्कर्ष “मायोपिया महामारी” से निपटने वाले चिकित्सकों को मार्गदर्शन प्रदान कर सकते हैं. हाल ही में, भारत में विशेषज्ञों ने बात की कि तकनीक और मोबाइल जैसे गैजेट्स, छात्रों, माता-पिता और शिक्षकों के लिए परीक्षा के समय बड़ी समस्या बन गए हैं. ज़्यादा देर तक स्क्रीन देखने से दिमाग की सोचने-समझने की शक्ति पर असर पड़ता है. ऐसा इसलिए होता है क्योंकि ध्यान कम हो जाता है और लंबे समय तक स्क्रीन देखते हुए अक्सर लोग बिस्तर या सोफे पर गलत तरीके से बैठे रहते हैं. इससे विभिन्न स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं हो सकती हैं, जिसमें मोटापा, शरीर में दर्द, रीढ़ की हड्डी की समस्याएं और पीठ दर्द भी शामिल है.

इनपुट -आईएएनएस

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