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Nabhi khiskne ki paresani: नाभि खिसकना पाचन और ऊर्जा तंत्र को प्रभावित करता है. आयुर्वेद में सरसों का तेल, योगासन और घरेलू उपाय जैसे हींग, अजवाइन राहत देते हैं. भारी सामान उठाने से बचें.
Nabhi khiskne ki paresani: नाभि खिसकने की समस्या को आमतौर पर लोग गंभीरता से नहीं लेते, लेकिन आयुर्वेद और लोक चिकित्सा में इसे शरीर के स्वास्थ्य का महत्वपूर्ण संकेत माना गया है. हमारे शरीर में नाभि सिर्फ सौंदर्य का प्रतीक नहीं है बल्कि यह पाचन और ऊर्जा तंत्र का केंद्र बिंदु है. आयुर्वेद में नाभि को सम्बंधिनी मर्म कहा गया है, जो वात, पित्त और कफ जैसे तीनों दोषों को संतुलित रखने का काम करता है. जब किसी कारणवश नाभि अपनी प्राकृतिक स्थिति यानी केंद्र से थोड़ी इधर-उधर हो जाती है तो शरीर में कई असंतुलन दिखाई देने लगते हैं. इसे आम भाषा में नाभि खिसकना कहा जाता है. वैज्ञानिक दृष्टि से यह स्थिति मांसपेशियों और स्नायु पर अचानक दबाव या खिंचाव के कारण होती है. जानिए नाभि खिसकने के कारण क्या हैं? नाभि खिसकने पर क्या होती परेशानियां? आइए जानें-
नाभि खिसकने के कई कारण हो सकते हैं. भारी सामान उठाना इसका सबसे बड़ा कारण माना जाता है. अचानक तेज व्यायाम या कूदना, भोजन के तुरंत बाद श्रम करना, कब्ज और गैस की समस्या, पेट की मांसपेशियों की कमजोरी, या अचानक गिरने और फिसलने से भी यह समस्या उत्पन्न हो सकती है.
नाभि खिसकने पर होने वाली परेशानी
कई बार महिलाओं में गर्भावस्था के बाद भी पेट की मांसपेशियों के ढीले पड़ने से नाभि खिसकने की स्थिति देखी जाती है. जब नाभि अपनी जगह से हटती है तो पेट के बीच में दर्द और खिंचाव महसूस होता है. भूख अचानक बहुत अधिक लगने लगती है या बिल्कुल कम हो जाती है. कई मरीजों को कब्ज या दस्त की शिकायत होती है, तो कुछ लोगों को गैस और अफारे की समस्या परेशान करती है. कमर और निचले हिस्से में भारीपन, थकान और चक्कर आना भी इसके लक्षणों में शामिल हैं.
नाभि खिसकने के आयुर्वेदिक उपाय
इस समस्या के घरेलू और आयुर्वेदिक उपाय अत्यंत सरल और प्रभावकारी हैं. सबसे आसान और लोकप्रिय उपाय है सरसों का तेल. नाभि के चारों ओर और अंदर 2-3 बूंद सरसों का तेल डालने से स्नायु शिथिल होती हैं और नाभि धीरे-धीरे अपनी जगह लौट आती है. इसके अलावा गरम पानी की थैली पेट पर रखने से मांसपेशियों का खिंचाव कम होकर राहत मिलती है. योगासन में पवनमुक्तासन और मकरासन को विशेष रूप से लाभकारी माना गया है क्योंकि ये आसन पेट की मांसपेशियों को संतुलित करके नाभि को सही स्थिति में लाते हैं. नाभि खिसकने पर पाचन तंत्र भी प्रभावित होता है, ऐसे में गुनगुने पानी में नींबू और अजवाइन का सेवन तुरंत राहत देता है. गैस और ऐंठन से छुटकारा पाने के लिए गर्म दूध में चुटकी भर हींग डालकर पीना भी असरदार उपाय है.
लोक चिकित्सा में एक पारंपरिक तरीका है तौलिये से खिंचाव विधि. इसमें मरीज को पीठ के बल सीधा लिटाकर नाभि के पास पेट पर तौलिये से हल्का दबाव देकर ऊपर-नीचे खींचा जाता है. यह तकनीक सिर्फ अनुभवी व्यक्ति द्वारा ही की जानी चाहिए. आयुर्वेद में इसे वात विकार माना गया है और इसके लिए अभ्यंग (तेल मालिश), स्नेहपान और योगासन का विशेष महत्व बताया गया है.
नाभि खिसकने से बचने के लिए भारी सामान उठाने से परहेज करना चाहिए. कब्ज की समस्या से बचने के लिए फाइबर युक्त आहार लें और पानी पर्याप्त मात्रा में पिएं. भोजन के तुरंत बाद झुकना या दौड़ना हानिकारक हो सकता है. नियमित योग और व्यायाम से पेट की मांसपेशियां मजबूत रहती हैं और नाभि खिसकने की संभावना कम हो जाती है.
ललित कुमार को पत्रकारिता के क्षेत्र में 8 साल से अधिक का अनुभव है. उन्होंने अपने करियर की शुरुआत प्रिंट मीडिया से की थी. इस दौरान वे मेडिकल, एजुकेशन और महिलाओं से जुड़े मुद्दों को कवर किया करते थे. पत्रकारिता क…और पढ़ें
ललित कुमार को पत्रकारिता के क्षेत्र में 8 साल से अधिक का अनुभव है. उन्होंने अपने करियर की शुरुआत प्रिंट मीडिया से की थी. इस दौरान वे मेडिकल, एजुकेशन और महिलाओं से जुड़े मुद्दों को कवर किया करते थे. पत्रकारिता क… और पढ़ें
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https://hindi.news18.com/news/lifestyle/health-nabhi-khiskne-ke-karan-lakshan-aur-ayurvedic-upay-revealed-ws-kln-9669735.html