Home Lifestyle Health हर मुस्कान नहीं होती परफेक्ट! फिंगरप्रिंट और स्माइल का क्या है कनेक्शन? 

हर मुस्कान नहीं होती परफेक्ट! फिंगरप्रिंट और स्माइल का क्या है कनेक्शन? 

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‘स्माइल प्लीज’- हर फोटोग्राफर की फेवरेट लाइन होती है. स्माइल से केवल फोटो ही अच्छी नहीं आती, बल्कि इंसान भी सेहतमंद रहता है. एक मुस्कान दिन की शुरुआत को खूबसूरत बना सकती है, एक मुस्कान किसी के गम को दूर कर सकती है और यही मुस्कान किसी अंजान को भी अपना बनाने की ताकत रखती है. आखिर स्माइल में क्यों है इतनी ताकत? 

परफेक्ट स्माइल 13 से 17 डिग्री हो!
कुछ लोग मोना लिसा की रहस्मयी मुस्कान को तो कुछ लोग हॉलीवुड एक्ट्रेस जूलिया रॉबर्ट्स की स्माइल को परफेक्ट मानते हैं. लेकिन हेल्थलाइन के हिसाब से परफेक्ट स्माइल का मतलब है कि चेहरे का एंगल 13 से 17 डिग्री हो. मुस्कुराते हुए आंखें बंद ना हों. छोटा मुंह हो तो दांत ना दिखें और मुंह बड़ा हो तो ज्यादा दांत दिखना बेहतर है. मुस्कान को खूबसूरत बनाने में दांत, गम और होंठों का अहम रोल होता है. इसके लिए ओरल हाइजीन पर भी ध्यान देना जरूरी है.   

दर्द को दूर रखता है मुस्कुराता हुआ चेहरा
अमेरिका की वाल्डेन यूनिवर्सिटी में हुई स्टडी के अनुसार स्माइल मूड को अच्छा बनाने वाले हार्मोन्स को बढ़ाती हैं और कॉर्टिसोल और एड्रेनेलाइन नाम के स्ट्रेस हार्मोन को घटाती है. इससे ब्लड प्रेशर कम होता है और मांसपेशियों से दबाव कम होता है जिससे दिमाग मेँ एंडोरफिन्स बनने लगते हैं. यह एक तरह का केमिकल होता है जो दर्द और सट्रेस को दूर करता है. जिन लोगों को शरीर में दर्द रहता है, उनके लिए स्माइल एक पेनकिलर की तरह है.     

मुस्कान पर्सनैलिटी पर चार चांद लगाती है (Image-Canva)

बच्चा सबसे पहले मुस्कुराना सीखता है
मुस्कुराना एक ऐसा एक्सप्रेशन है जिसे नवजात पैदा होते ही सीख लेता है. एक स्टडी के अनुसार बच्चे दिन में 300 से 500 बार हंसते हैं लेकिन बड़े लोग दिन में केवल 18 बार ही मुस्कुराते हैं. वैसे, इंसानों के अलावा बंदर भी स्माइल करते हैं. मुस्कुराने से मेंटल हेल्थ भी अच्छी रहती है यानी जो लोग स्माइल करते हैं उन्हें एंग्जाइटी, डिप्रेशन और अकेलापन कभी परेशान नहीं करता. 

19 तरह की मुस्कान
स्माइल एक ग्लोबल एक्सप्रेशन है. चेहरे पर मुस्कान दुनिया के हर कोने में रहने वाली दूसरी भाषी को समझ आती है और वह भी स्माइल को देखकर स्माइल ही करता है. 1974 में लियोनाल्ड रूबिन नाम के लेखक ने कहा मुस्कान को 19 प्रकारों में बांटा था. यह मसल्स और दांतों से होने वाले एक्सप्रेशन के आधार पर था. उन्होंने 6 तरह की स्माइल को खुशी से जोड़ा. बाकी कुछ स्माइल शर्मींदगी से जोड़ीं तो कुछ को नकली मुस्कान बताया. उन्होंने लिखा था कि जब कोई फेक स्माइल करता है तो उनकी मसल्स इस तरह खिंचती हैं कि उनके चेहरे पर हल्की झुर्रियां पड़ती दिखती हैं. फेक स्माइल दिमाग के मोटर कॉर्टेक्स से कंट्रोल होती हैं जबकि दिल से निकली मुस्कान दिमाग के लिम्फेटिक सिस्टम से कंट्रोल होती है. 

खुद को आईने में देखकर मुस्कुराएं
मनोचिकित्सक प्रियंका श्रीवास्तव कहती हैं कि स्माइल एक पॉजिटिव एक्सप्रेशन है. जब कोई स्माइल करता है तो दिमाग को सिग्नल जाता है कि व्यक्ति खुश है. जिससे हैप्पी हार्मोन्स रिलीज होते हैं. हर फेशियल एक्सप्रेशन दिल का आइना होते हैं और स्माइल हैपी इमोशन से जुड़ी है. अगर कोई डिप्रेशन या किसी परेशानी से गुजर रहा है तो हम मरीजों को आइने में खुद को घूरते हुए मुस्कुराने को कहते हैं. इसे मिरर टेक्नीक कहा जाता है. इससे दिमाग पर असर होता है और स्ट्रेस हॉर्मोन कॉर्टिसोल रिलीज होने बंद हो जाता है.

स्माइल शरीर में हैप्पी हॉर्मोन्स रिलीज करती है (Image-Canva)

हर स्माइल होती यूनीक
जिस तरह से हमारे फिंगर प्रिंट्स यूनीक होते हैं, ठीक उसी तरह स्माइल भी होती है. स्माइल हर व्यक्ति की अलग पहचान होती हैं. मुस्कान इतनी ताकतवर होती है कि इससे व्यक्ति पर्सनल और प्रोफेशनल लाइफ में तेजी से तरक्की करता है क्योंकि स्माइल उन्हें फ्रेंडली, भरोसेमंद और कॉन्फीडेंट बनाती हैं. मुस्कुराता हुआ चेहरा कभी किसी को बुरा नहीं लगता और इस वजह से कभी मनमुटाव भी नहीं होता.  

लंबी होती है उम्र
हार्वर्ड मेडिकल स्कूल की स्टडी के अनुसार स्माइल का कनेक्शन उम्र से भी है. जो लोग ज्यादा मुस्कुराते हैं उनकी उम्र लंबी होती है. साथ ही वह कैंसर और किसी भी तरह के इंफेक्शन की चपेट में नहीं आते.  नेशनल अकैडमी ऑफ साइंस के जनरल में भी इस बात को माना गया. मुस्कुराने वाले लोग आशावादी होते हैं. वह जिंदगी में बड़ी से बड़ी मुसीबत के सामने भी घबराते नहीं है. ऐसे लोगों की इम्यूनिटी भी अच्छी होती है. 

स्माइल हो रही डिजाइन
चेहरे को खूबसूरत बनाने के लिए आजकल स्माइल भी डिजाइन हो रही हैं. जिन लोगों के दांत पीले हैं या दांत आड़े तिरछे हैं या दांतों में गैप है तो उनकी स्माइल करेक्ट की जाती है. इसे कॉस्मेटिक डेंटिस्ट्री कहा जाता है. इससे दांत और स्माइल दोनों सुंदर होती हैं. वहीं कुछ लिप क्रास स्माइल करवाना पसंद करते हैं. इसमें होंठों का नाप लिया जाता है और कंप्यूटर पर स्माइल का डिजाइन बनाया जाता है. इसके बाद होंठों पर कुछ ट्रांसपेरेंट केमिकल लगाएं जाते हैं ताकि स्माइल मनचाही शेप की हो. इसके अलावा कुछ परफेक्ट स्माइल के लिए होंठों की लेमिनेटेड सर्जरी कराते हैं.       


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https://hindi.news18.com/news/lifestyle/health-which-smile-is-perfect-and-healthy-how-it-can-cure-diseases-8749114.html

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