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7 संकेत जिनसे पता चलता है कि महिला में मेनोपॉज का समय नजदीक आ गया, अगर ऐसा हो तो सतर्क रहना जरूरी

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Sign of perimenopause: महिलाओं के शरीर को कुदरत ने बेहद बारीकी से बनाया है. महिलाओं का बायलॉजिकल साइकिल पुरुषों की तुलना में ज्यादा रिदमिक होता है. 12 से 15 साल के बीच हर महीने आने वाले पीरियड्स आते हैं. पीरियड्स आते ही महिलाओं के शरीर में हर महीने अंडाणु बनने लगता है.यह अंडाणु स्पर्म के साथ फ्यूज होकर भ्रुण में बदल जाता है और इससे बच्चा होता है. लेकिन पीरियड्स आने की एक निश्चित उम्र है. आमतौर पर 45 से 55 साल की उम्र के बीच महिलाओं में पीरियड्स रूक जाते हैं और इस घटना को मेनोपॉज कहते हैं लेकिन मेनोपॉज से पहले का एक समय होता है जिसे पेरीमेनोपॉज कहते हैं. यह महिलाओं के शरीर और मन के लिए मुश्किल भरा समय होता है जिसमें सतर्क रहने की जरूरत होती है. इस समय अगर एहतियात बरती जाए तो मेनोपॉज के दौरान होने वाली परेशानी कम हो सकती है. आइए जानते हैं कि मेनोपॉज से पहले के संकेत.

मेनोपॉज से पहले के संकेत

1. अनियमित पीरियड्सटाइम की रिपोर्ट में गायनेकॉलॉजिस्ट और मेनोपॉज एक्सपर्ट डॉ. मैरी क्लेयर कहती हैं कि पेरीमेनोपॉज मेनोपॉज और पेरीमेनोपॉज के बीच का जटिल समय है. इस दौरान एस्ट्रोजन और प्रोजेस्ट्रॉन हार्मोन में जबर्दस्त उतार-चढ़ाव होता है. पेरीमेनोपॉज मेनोपॉज से 4 से 8 साल पहले शुरू हो जाता है. यह 40 से 45 की उम्र में आता है. अगर इस दौरान पीरियड्स में लगातार अनियमितता हो रही है तो इसका मतलब है कि मेनोपॉज से पहले वाला फेज आ चुका है.

2. हॉट फ्लैशेज-मेनोपॉज से पहले लगभग 70 प्रतिशत महिलाएं हॉट फ्लैशेज का अनुभव करती हैं. इस दौरान रात में पसीना आना प्रमुख लक्षण है. इसमें अचानक शरीर के कई हिस्सों में तेज गर्मी महसूस होती है और उस जगह पसीना निकलने लगता है. गर्दन, सिर, छाती, पीठ पर गर्माहट महसूस होती है और स्किन में रेडनेस भी हो जाता है.

3. वेजाइनल ड्राइनेस-मेनोपॉज आने से पहले महिलाओं के शरीर में कई तरह के हार्मोनल बदलाव होते हैं. चूंकि एस्ट्रोजन कम होने लगता है इसलिए वेजाइनल ड्राइनेस भी होना शुरू हो जाता है. इस कारण संबंध बनाने में दिक्कत होती है. डॉ. ग्रीव्स कहती हैं कि एस्ट्रोजन प्राइवेट पार्ट के अंदर लोशन की तरह काम करता है और रिलेशनशिप के दौरान सुख देता है. अगर ड्राइनेस की समस्या बढ़े तो डॉक्टर से दिखाना चाहिए.

4. ज्वाइंट पेन-पेरिमेनोपॉज में 70 प्रतिशत महिलाएं जोड़ों में दर्द का अनुभव करती है. इस दौरान बोन डेंसिटी और मसल्स मास में कमी आती है. इससे अर्थराइटिस, फ्रोजन शोल्डर और अन्य तरह के ज्वाइंट पेन होने लगते हैं.

5. वजन ज्यादा-मेनोपॉज आने से पहले आमतौर पर महिलाओं का वजन बढ़ जाता है. खासकर पेट के पास चर्बी जमा होने लगती है. हालांकि इसे लेकर चिंता नहीं करनी चाहिए बल्कि रेगुलर एक्सरसाइज कर इस समस्या से मुक्ति पाई जा सकती है.

6. ब्रेन फॉग-दिमाग में उलछन बढ़ जाती है. इसे ब्रेन फॉग कहा जाता है. ब्रेन फॉग में चीजों को भूलने की आदत होने लगती है. ऐसा लगता है कि सिर के उपर मंडरा रहा है. इसमें कभी-कभी आप जिस कमरे में जाएंगे आपको पता ही नहीं लगेगा कि हम इस कमरे में क्यों आए हैं. इसी तरह गाड़ी की चाबी भूल जाना भी आम है. ऐसा लगता है कि कई कामों का बोझ है.

7. मूड में बदलाव-मेनोपॉज आने से कई साल पहले से मूड चेंज होने लगता है. कभी मूड बहुत सही रहेगा तो कभी बहुत गुस्सा आ जाएगा. इस दौरान प्रीमेन्सट्रुअल सिंड्रोम के लक्षण भी दिखने लगते हैं.इस दौरान बच्चे होने के तत्काल बाद जो डिप्रेशन होता है, वह भी होने लगता है. एंग्जाइटी, बेचैनी,गुस्सा, भावनाओं में ज्वार जैसी समस्याएं आने लगती है. इन सबका समाधान यह है कि हेल्दी डाइट लें, रोजाना एक्सरसाइज करें और योग और मेडिटेशन को प्रमुखता दें, बाहर अपनों के साथ घूमने जाएं, अच्छी छुट्टियां बिताएं. इससे इन सारे लक्षणों का असर कम होगा.

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