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Cancer Survivor Lists 6 toxic Things Must Avoid : कैंसर सर्वाइवर ने बताया 6 चीजों से बनाएं दूरी, जिंदगी बनेगी आसान

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Cancer Survivor Tips To Prevent Disease: कैंसर को सबसे ज्यादा घातक और दर्दनाक बीमारी माना जाता है. किसी को कैंसर हो जाए, तो सीधे मौत से जंग लड़नी पड़ती है. कई लोग कैंसर से जंग में हारकर जान गंवा देते हैं, तो कुछ लोग कैंसर जैसी घातक बीमारी को भी मात देने में कामयाब हो जाते हैं. अमेरिका की रहने वाली कॉन्टेंट क्रिएटर सुसाना डेमोर की जिंदगी तब बदल गई, जब उन्हें 35 साल की उम्र में कैंसर डिटेक्ट हुआ. उस वक्त सुसाना प्रेग्नेंट थीं, जिसकी वजह से उनके लिए कैंसर से जंग लड़ना ज्यादा मुश्किल हो गया था. लंबी लड़ाई के बाद सुसाना ने कैंसर को हरा दिया.

कैंसर सर्वाइवर सुसाना ने हाल ही में सोशल मीडिया के जरिए बताया कि जब उन्हें कैंसर डिटेक्ट हुआ, तब पता चला कि रोज के रूटीन में वे कितनी टॉक्सिक चीजों का इस्तेमाल कर रही थीं. इसके कारण उन्हें हद से ज्यादा स्ट्रेस, इंफ्लेमेशन और कई अन्य फैक्टर्स का सामना करना पड़ा. कैंसर से जंग जीतने के बाद उन्होंने अपने घर से उन चीजों को हटा दिया, जो सेहत के लिए खतरनाक हो सकती हैं. चिंता की बात यह है कि अधिकतर लोग अपनी रोज की जिंदगी में इन चीजों का काफी इस्तेमाल करते हैं. अगर इन चीजों को बेहतर चीजों से रिप्लेस कर दिया जाए, तो कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी से बचा जा सकता है.

सुसाना डेमोर ने सोशल मीडिया पोस्ट में बताया कि उन्होंने सबसे पहले ट्रेडिशनल डियोडेरेंट को नॉन टॉक्सिक डियोडेरेंट के साथ रिप्लेस कर दिया, ताकि हार्मोन्स में बाधा न आए. इसके बाद उन्होंने कपड़े धोने वाले डिटर्जेंट और अन्य क्लीनिंग के प्रोडक्ट्स को नॉन टॉक्सिक वर्जन के साथ रिप्लेस किया. आमतौर पर इस्तेमाल होने वाले डिटर्जेंट में कई केमिकल्स होते हैं, जो कार्सिनोजेनिक माना जा सकता है. तीसरे नंबर पर उन्होंने अपना टूथपेस्ट बदल दिया. अधिकतर लोग फ्लोराइड वाले टूथपेस्ट का इस्तेमाल करते हैं, जिनमें पैराबेन्स होते हैं. इसके बजाय हाइड्रॉक्सीएपेटाइट, प्रीबायोटिक्स वाला टूथपेस्ट यूज करना चाहिए.

कैंसर सर्वाइवर के अनुसार उन्होंने अपने शैम्पू को बदल दिया, क्योंकि उसमें पैराबेन्स और सिंथेटिक फ्रैगरेंस होता है. शैम्पू में कई केमिकल्स भी होते हैं, जो सेहत को नुकसान पहुंचा सकते हैं. इस शैम्पू को नॉन टॉक्सिक शैम्पू के साथ बदल किया. इसके अलावा स्किन केयर के लिए इस्तेमाल होने वाले केमिकल बेस्ड सभी प्रोडक्ट्स को बदल दिया. इतना ही नहीं, उन्होंने ओवर द काउंटर मिलने वाले सप्लीमेंट्स को भी बेहतर क्वालिटी वाले सप्लीमेंट्स के साथ रिप्लेस कर दिया. इन सभी चीजों को उन्होंने नॉन टॉक्सिक वर्जन में खरीदा और इस्तेमाल किया. इससे उन्हें बेहतर नतीजे मिले.

अब सवाल है कि क्या इन 6 चीजों को बदलने से कैंसर का खतरा कम हो सकता है? इस बारे में हैदराबाद के ग्लैनीगल्स हॉस्पिटल के क्रिटिकल केयर डिपार्टमेंट के हेड डॉ. मनींद्र ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि कैंसर का डायग्नोसिस होने पर लोग अपनी लाइफस्टाइल के ऑप्शंस पर दोबारा विचार करते हैं. यह बात सच है कि लंबे समय तक टॉक्सिक पदार्थों के संपर्क में रहने से सेहत पर बुरा असर पड़ता है. आमतौर पर इस्तेमाल किए जाने वाले डियोडेरेंट में में एल्यूमिनियम कंपाउंड और सिंथेटिक फ्रेग्रेंस होते हैं, जो हार्मोनल संतुलन को प्रभावित कर सकते हैं और ब्रेस्ट कैंसर से संबंधित हो सकते हैं. इसी प्रकार लांड्री डिटर्जेंट्स और क्लीनिंग प्रोडक्ट्स में फ्थैलेट्स, VOCs और सिंथेटिक फ्रेग्रेंस होते हैं, जो कुछ कैंसरजन्य हो सकते हैं.

डॉक्टर ने बताया कि फ्लोराइड वाले टूथपेस्ट से डेंटल फ्लोरोसिस की समस्या हो सकती है. इसके बजाय हाइड्रॉक्सीएपेटाइट-बेस्ड टूथपेस्ट एक नेचुरल मिनरल है. यह एक नॉन-टॉक्सिक विकल्प है. शैम्पू की बात करें, तो अधिकतर शैम्पू में पैराबेंस और सिंथेटिक फ्रेग्रेंस होते हैं, जो एंडोक्राइन सिस्टम को प्रभावित कर सकते हैं. EU ने पहले ही इन रसायनों पर प्रतिबंध लगा दिया है, जो सुरक्षा के दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है. स्किन केयर प्रोडक्ट्स में पैराबेंस, फ्थैलेट्स और अन्य रसायन होते हैं, जो स्किन के लिए खतरनाक हो सकते हैं. नॉन-टॉक्सिक स्किन केयर प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल स्किन की सेफ्टी के लिए जरूरी है.

एक्सपर्ट की मानें तो ओवर-द-काउंटर सप्लीमेंट्स की क्लाविटी अलग हो सकती हैं, जिससे सेहत पर असर पड़ता है. अच्छी सेहत के लिए बेहतर क्वालिटी वाले सप्लीमेंट्स चुनें. इसके अलावा कैंसर या पुरानी बीमारियों की हिस्ट्री वाले लोगों को अनावश्यक रासायनिक संपर्क को कम करना समझदारी है. रोजमर्रा के उत्पादों के नॉन-टॉक्सिक वर्जन को अपनाना स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद है. इससे बीमारियों का खतरा कम किया जा सकता है. छोटे-छोटे पॉजिटिव बदलाव स्वास्थ्य में सुधार कर सकते हैं और कैंसर का जोखिम कम कर सकते हैं.


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