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Chhath Puja Day 1: छठ पूजा के पहले दिन कद्दू भात क्यों खाते हैं? केवल परंपरा या सेहत लाभ भी, जानिए सच्चाई

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Chhath Puja Day 1 Rituals: छठ पूजा की शुरुआत नहाए-खाए से होती है जिसमें कद्दू, चना दाल और चावल का प्रसाद खाया जाता है. यह शुद्धता, अनुशासन और ऊर्जा का प्रतीक है.

जानिए, छठ पूजा के पहले दिन कद्दू भात क्यों खाते हैं? (AI)

Chhath Puja Day 1 Rituals: छठ पूजा पूर्वांचल के सबसे बड़े त्योहारों में से एक है. इस दौरान लोग पूरी श्रद्धा और भक्ति से छठी मैया की पूजा-अर्चना करते हैं और सूर्य देव को अर्घ्य देते हैं. इस बार 25 अक्टूबर से छठ पूजा की शुरुआत हो रही है. इस पर्व की शुरुआत नहाए-खाए से होती है यानी कि छठ पूजा के पहले दिन नहाए-खाए और आखिरी दिन उगते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है, जिसके बाद पारण होता है. लगातार 4 दिन चलने वाले इस पर्व के पहले दिन नहाय खाय में चना दाल, कद्दू की सब्जी और चावल का प्रसाद खाने की परंपरा है. कद्दू का यह विशेष महत्व श्रद्धा और परंपरा से जुड़ा हुआ है. इस दिन लोग कद्दू का सेवन करते हैं, जिसे वे अपने-अपने खेतों से उगाते हैं. किसान अपने कद्दू को श्रद्धालुओं के बीच वितरण करते हैं, जो इस पर्व को और भी खास बनाता है. अब सवाल है कि आखिर, छठ के पहले दिन क्यों खाते हैं कद्दू-भात? आइए जानते हैं इस बारे में-

कद्दू शुद्धता और अनुशासन का प्रतीक

‘कदुआ-भात’ सिर्फ एक डिश नहीं, बल्कि मन, वचन और कर्म की पवित्रता का प्रतीक है. छठ व्रत में नियमों की बहुत अहम भूमिका होती है. यह रस्म व्रती को संयम और साधना की मानसिक तैयारी देती है. यही वजह है कि इसे छठ की साधना का पहला चरण कहा जाता है. इस दिन लोग कदुआ यानी लौकी का दान देते हैं और सगे-संबंधियों के यहां लौकी देने जाते हैं. धार्मिक मान्यता है कि इससे पुण्य की प्राप्ति होती है.

नहाए-खाए में क्यों खाते हैं कद्दू की सब्जी

ज्योतिष आचार्य राकेश चतुर्वेदी बताते हैं कि, नहाए-खाए के दिन कद्दू खाने के पीछे धार्मिक मान्यताओं के साथ-साथ वैज्ञानिक महत्व भी है. बता दें कि, कद्दू में पानी की मात्रा अधिक होती है, जो शरीर में पानी की कमी को दूर करता है. यह विशेष रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि छठ पूजा के दौरान श्रद्धालु 36 घंटे का निर्जला उपवास रखते हैं.

शरीर में पोषक तत्वों की भरपाई करता कद्दू

कद्दू के सेवन से आवश्यक पोषण तत्वों की भरपाई होती है, जिससे शरीर को ऊर्जा मिलती है. नहाए-खाए में चना की दाल भी शामिल की जाती है, जो प्रोटीन का एक उत्कृष्ट स्रोत है. दाल का सेवन शक्ति और ऊर्जा प्रदान करता है, जो पूरे दिन की ऊर्जा के लिए आवश्यक होता है. इस प्रकार, कद्दू और चना की दाल का संयोजन न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि यह शारीरिक स्वास्थ्य के लिए भी लाभदायक है. यह विशेष आहार श्रद्धालुओं को न केवल शारीरिक, बल्कि मानसिक रूप से भी मजबूत बनाता है, जिससे वे इस पवित्र पर्व को पूरी श्रद्धा के साथ मना सकें.

Lalit Kumar

ललित कुमार को पत्रकारिता के क्षेत्र में 8 साल से अधिक का अनुभव है. उन्होंने अपने करियर की शुरुआत प्रिंट मीडिया से की थी. इस दौरान वे मेडिकल, एजुकेशन और महिलाओं से जुड़े मुद्दों को कवर किया करते थे. पत्रकारिता क…और पढ़ें

ललित कुमार को पत्रकारिता के क्षेत्र में 8 साल से अधिक का अनुभव है. उन्होंने अपने करियर की शुरुआत प्रिंट मीडिया से की थी. इस दौरान वे मेडिकल, एजुकेशन और महिलाओं से जुड़े मुद्दों को कवर किया करते थे. पत्रकारिता क… और पढ़ें

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Chhath Puja Day 1: छठ पूजा के पहले दिन कद्दू भात क्यों खाते हैं? जान लीजिए सच


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