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Cough Syrup Deaths: मध्यप्रदेश और राजस्थान में कफ सिरप पीने से बच्चों की मृत्यु के बाद दिल्ली में बच्चों के विशेषज्ञ डॉक्टर ने खांसी के सिरप पर महत्वपूर्ण जानकारी दी है. उन्होंने कहा एक जैसी दवा हर खांसी में नहीं चल सकती और इस फॉर्मूलेशन की दवा से दूर रहना ही है बेहतर. जानकारी के लिए पड़े हैं पूरी खबर.
दिल्ली: मध्य प्रदेश में 30 सितंबर को कफ सिरप पीने से नौ बच्चों की किडनी फेल होने के बाद उनकी मौत हो गई और वहीं कल 2 अक्टूबर को राजस्थान में भी कुछ ऐसा ही हुआ जहां पर दो छोटे बच्चों की कफ सिरप पीने के बाद मौत अफरा तफरी मच गई. अभी तक कहां जा रहा है कि कुल मिलाकर चार लोगों की कफ सिरप पीने से मृत्यु हो चुकी है. इस स्थिति को देखकर जहां पूरे देश में इस वक्त एक डर का माहौल बन गया है वहीं केंद्र सरकार ने आज कफ सिरप पर एडवाइजरी भी जारी कर दी है.
Cough Syrup में यह फॉर्मूलेशन देखना जरूरी
न्यूज 18 की टीम ने जब इस एडवाइजरी और है कफ सिरप के विवाद पर दिल्ली में बच्चों के विशेषज्ञ डॉ. तरुण सिंह से पूछा तो उन्होंने कहा कि इस वक्त लोग अगर कफ सिरप ले रहे हैं तो उनको यह देखना जरूरी है कि क्या कफ सिर्फ में डेक्सट्रोमेथोर्फ़न फॉर्मूलेशन का इस्तेमाल है कि नहीं और यदि आप अपने चार साल से किसी भी कम उम्र के बच्चों को इस फॉर्मूलेशन वाली कफ सिरप दे रहे हैं तो आपको यह कफ सिरप उनको नहीं देनी है और जब भी आप कोई भी कफ सिरप लेते हैं तो आपको यह जरूर देखना है कि इस कफ सिरप में इस फॉर्मूलेशन का इस्तेमाल हुआ है कि नहीं और यदि कोई 12 साल से अधिक उम्र का व्यक्ति इस फॉर्मूलेशन वाला कप सिरप को लेता है तो भी उसे डॉक्टर से पहले दिखा लेना चाहिए क्योंकि इस तरीके की फॉर्मूलेशन वाले कफ सिरप को आपका वजन देखकर उसी के हिसाब से ही डॉक्टर आपको लेने के लिए प्रिसक्राइब करता है.
उनका यह भी कहना था कि ज्यादातर बच्चों को जो खांसी होती है डॉक्टर उसके लिए मेडिसिन नहीं देते हैं क्योंकि खांसी आपके स्वास्थ्य के लिए अच्छी होती है यदि आपके अंदर किसी भी तरह का कुछ होगा तो वह खांसी से अक्सर बाहर आ जाता है. इसलिए ज्यादातर डॉक्टर छोटे बच्चों को खांसी की दवा नहीं देते हैं क्योंकि यह एक तरह की नेचुरल थेरेपी भी होती है.
कई तरह की होती है खांसी
डॉ. तरुण का कहना था कि खांसी के कई प्रकार होते हैं, लेकिन सामान्य तौर पर उन्हें मुख्य रूप से सूखी खांसी (बलगम न निकले) और बलगम वाली खांसी (गीली खांसी, जिसमें बलगम निकले) में वर्गीकृत किया जाता है. अन्य प्रकारों में एलर्जीक खांसी, रात में होने वाली खांसी और क्रुप (बच्चों में होने वाली खांसी) शामिल हैं. खांसी को उसकी अवधि के आधार पर भी क्लासिफाइड किया जाता है, जैसे तीव्र, उप-तीव्र और पुरानी खांसी. इसलिए उनका कहना था की खांसी की दवाई कभी भी आपको सीधा जाकर केमिस्ट या फिर किसी भी दुकानदार से नहीं लेनी चाहिए. जब भी आप खांसी की दवा ले तो पहले डॉक्टर को दिखा ले और वह दवा भी डॉक्टर को लेकर दिखाएं ताकि वह बता पाए कि वह दवा सही रहेगी कि नहीं और आपको वह दवा किस मात्रा में लेनी है. क्योंकि हर खांसी अलग होती है और हर खांसी पर एक ही किस्म की दवा असर नहीं करती है.
with more than 4 years of experience in journalism. It has been 1 year to associated with Network 18 Since 2023. Currently Working as a Senior content Editor at Network 18. Here, I am covering hyperlocal news f…और पढ़ें
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Disclaimer: इस खबर में दी गई दवा/औषधि और स्वास्थ्य से जुड़ी सलाह, एक्सपर्ट्स से की गई बातचीत के आधार पर है. यह सामान्य जानकारी है, व्यक्तिगत सलाह नहीं. इसलिए डॉक्टर्स से परामर्श के बाद ही कोई चीज उपयोग करें. Bharat.one किसी भी उपयोग से होने वाले नुकसान के लिए जिम्मेदार नहीं होगा.
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