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Health Tips: शाकाहारियों में क्यों बढ़ रही है विटामिन B12 की कमी? जानें लक्षण और प्राकृतिक उपाय

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Health Tips: विटामिन बी12 को ‘मज्जावर्धक तत्व’ कहा गया है, जो शरीर की ऊर्जा, ओज और तंत्रिका शक्ति का आधार होता है, जब शरीर में बी12 की कमी होती है, तो इसके लक्षण धीरे-धीरे सामने आते हैं, जिन्हें नजर अंदाज करना खतरनाक हो सकता है.

विटामिन बी12 हमारे शरीर के लिए सबसे आवश्यक तत्वों में से एक है. यह न केवल लाल रक्त कोशिकाओं के निर्माण, बल्कि तंत्रिकाओं के स्वास्थ्य और मस्तिष्क की कार्यक्षमता को बनाए रखने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. हालांकि, आजकल यह कमी बहुत आम हो गई है, खासकर शाकाहारी और वीगन लोगों में, क्योंकि यह मुख्य रूप से मांसाहारी उत्पादों में पाया जाता है.

आयुर्वेद में विटामिन बी12 को ‘मज्जावर्धक तत्व’ कहा गया है, जो शरीर की ऊर्जा, ओज और तंत्रिका शक्ति का आधार होता है, जब शरीर में बी12 की कमी होती है, तो इसके लक्षण धीरे-धीरे सामने आते हैं, जिन्हें नजर अंदाज करना खतरनाक हो सकता है.

बिना किसी कारण लगातार कमजोरी और ऊर्जा की कमी महसूस होना. याददाश्त की कमी, चीजों को भूलना और ध्यान केंद्रित करने में मुश्किल. हाथ-पैरों में झुनझुनी या सुन्नपन महसूस होना. चिड़चिड़ापन, अवसाद (Depression) और मूड में अचानक बदलाव.

बी12 की कमी के पीछे सिर्फ आहार ही नहीं, बल्कि हमारी जीवनशैली भी जिम्मेदार है. बी12 मुख्य रूप से मांसाहारी उत्पादों (दूध को छोड़कर) में मिलता है, इसलिए शाकाहारी भोजन करने वालों में इसकी कमी अधिक होती है. पेट में एसिड की कमी या पाचन तंत्र की कमजोरी से शरीर बी12 को अवशोषित (Absorb) नहीं कर पाता. अत्यधिक चाय या कॉफी पीना या लंबे समय तक एसिडिटी की दवाओं का सेवन करना भी बी12 के अवशोषण में रुकावट डालता है. आंतों में बैक्टीरिया का असंतुलन और पर्याप्त नींद की कमी भी इस कमी को बढ़ा सकती है.

आयुर्वेद बी12 की कमी को मज्जा धातु की कमी से जोड़ता है और इसके लिए आंतरिक पाचन अग्नि को मजबूत करने पर जोर देता है. ये लिवर को मजबूत करते हैं और पाचन को बेहतर बनाकर बी12 के अवशोषण में मदद करते हैं. ये तंत्रिकाओं को शक्ति प्रदान करते हैं, तनाव कम करते हैं और मज्जा धातु का पोषण करते हैं. तिल और सूरजमुखी जैसे ओमेगा-3 से भरपूर बीजों का नियमित सेवन शरीर के संतुलन को बनाए रखता है. बी12 को ठीक से पचाने के लिए त्रिफला चूर्ण या हिंगवाष्टक चूर्ण का सेवन लाभकारी होता है. डेयरी उत्पाद (दूध, दही, घी) और मूंग दाल को अपनी डाइट में शामिल करें.

आयुर्वेदिक उपायों के साथ-साथ स्वस्थ जीवनशैली अपनाना भी जरूरी है. रोज सुबह 10-15 मिनट धूप में बैठना (विटामिन डी के लिए) और नियमित योग-प्राणायाम करना. चाय और कॉफी का सेवन सीमित करें और पूरी नींद लें. यदि आपको लगता है कि आपके शरीर में बी12 की कमी हो सकती है, तो आयुर्वेदिक जीवनशैली अपनाते हुए आधुनिक चिकित्सा के तहत डॉक्टर द्वारा सुझाए गए मिथाइलकोबालामिन सप्लीमेंट्स या इंजेक्शन का उपयोग करना सबसे प्रभावी हो सकता है.

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शाकाहारियों में क्यों बढ़ रही है विटामिन B12 की कमी? जानें लक्षण और उपाय


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