Rikhiram Story: अभी तक आपने फिल्मों में देखा होगा कि एक्सीडेंट में किसी की याददाश्त चली गई और फिर किसी घटना के बाद अचानक मेमोरी वापस आ गई लेकिन इससे भी एक कदम आगे हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले का बेहद दिलचस्प मामला काफी वायरल हो रहा है. जहां नाड़ी गांव के रिखीराम की 16 साल की उम्र में एक्सीडेंट में याददाश्त चली गई और वे महाराष्ट्र पहुंच गए लेकिन 45 साल बाद उनके सिर में फिर एक चोट लगी और उन्हें अपना घर, गांव और परिवार सब याद आ गया और वे लौट आए.
परिवार और गांववाले खोए बेटे को वापस पाकर जश्न मना रहे हैं और इसे कुदरत का करिश्मा मान रहे हैं, जबकि सुनने वालों को यह कहानी फिल्मी लग रही है. लोगों का सवाल है कि क्या एक चोट से याददाश्त का चले जाना और दूसरी से वापस आना संभव है? इस पर मेडिकल साइंस क्या कहती है?
रिखीराम ने बताई ये कहानी
राम ने बताया उन्हें कुछ याद नहीं था तो एक साथी ने उनका नाम रवि चौधरी रख दिया और वे उसी नाम से महाराष्ट्र में रहने लगे. इस दौरान संतोष नाम की महिला से उनकी शादी हो गई और 3 बच्चे भी हो गए. लेकिन फिर अचानक एक दिन सिर में दोबारा चोट लगने से उन्हें उनकी पुरानी जिंदगी याद आ गई. 45 साल के इस घटनाक्रम में रिखीराम के माता-पिता इसी दुख में चले गए कि उनका बेटा शायद मर गया. हालांकि अब इतने लंबे समय बाद घर लौटकर राम अपने भाई-बहनों और परिवार से मिलकर बहुत खुश हैं.
इस कहानी को सुनकर हर कोई हतप्रभ है, लिहाजा News18hindi ने दिल्ली के दो जाने-माने डॉक्टरों से इस संबंध में बातचीत की है और पूछा है कि क्या सच में दोबारा चोट लगने से याददाश्त वापस आ सकती है?
दिल्ली के राम मनोहर लोहिया अस्पताल के न्यूरो सर्जरी प्रमुख डॉ. अजय चौधरी हंसते हुए कहते हैं कि यह तो एकदम फिल्मी कहानी है. अभी तक ऐसे मामले फिल्मों में देखे थे, आज हकीकत में सुना है. मेडिकल साइंस हमेशा सबूत और प्रयोगों पर भरोसा करती है. साइंस में अभी तक ऐसी कोई केस स्टडी नहीं है जिसमें दोबारा चोट लगने पर याददाश्त लौट आए. एक्सीडेंटल केसेज या सीवियर ट्रॉमा में मेमोरी चली जाती है, व्यक्ति सब कुछ भूल जाता है और कई मरीजों में ऐसा देखा भी गया है कि उनकी मेमोरी आंखों के सामने हुई किसी घटना से ट्रिगर होकर धीरे-धीरे आने लगती है, तो हो सकता है कि उसकी मेमोरी धीरे-धीरे लौट रही होगी लेकिन इसे चोट से लौटी बताकर हाइलाइट किया गया है. हालांकि ऐसा कोई मेडिकल एविडेंस नहीं है कि एक चोट से गई मेमोरी सिर में दूसरी चोट से लौट आई हो.
डॉ. चौधरी आगे कहते हैं कि ब्रेन और मेमोरी का स्पैक्ट्रम काफी व्यापक है, वहां बदलाव होते हैं और होना संभव भी है, लेकिन सिर में चोट लगने पर अगर कोई डैमेज हुआ है तो उसका पहले इलाज होगा, उसके बाद उसका कुछ परिणाम आएगा. ऐसे मामलों में कई बार मरीज की साइकेट्रिक स्टेज को भी देखना जरूरी है. उसकी जांच करवाई जा सकती है कि क्या वह स्वस्थ है. साथ ही ये भी जानना जरूरी है कि क्या पहली बार एक्सीडेंट के दौरान वह कौमा में गया था? क्या बेहोश हुआ था? क्या उसका कहीं इलाज हुआ था? जब तक ये सभी बातें साफ नहीं होतीं, इस कहानी पर भरोसा करना मुश्किल है.
हकीकत से दूर लग रही कहानी… बोले साइकेट्रिस्ट
नई दिल्ली के इंस्टीट्यूट ऑफ ह्यूमन बिहेवियर एंड एलाइड साइंसेज में प्रोफेसर साइकैट्री डॉ. ओमप्रकाश कहते हैं, ‘यह कहानी असली नहीं लग रही है. ऐसा संभव नहीं है कि पहले एक्सीडेंट में चोट लगकर मेमोरी चली गई और सिर या ब्रेन में कोई नुकसान हुए बिना और सब कुछ ठीक-ठाक होते हुए इतने लंबे समय के बाद अचानक चोट लगकर वापस आ गई. अधिकतम चोट लगने के 3-4 साल में इलाज के बाद याद्दाश्त लौटने की संभावनाएं होती हैं, 45 साल बाद अचानक इस तरह होना गले नहीं उतर रहा. साइकोलॉजिकल इश्यूज वाले ऐसे कई मरीज आते हैं जो अजीबोगरीब कहानियां बताते हैं, लेकिन वे हकीकत नहीं होती. इस केस में भी ऐसा कुछ हो सकता है .’
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