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Ajmer Pushkar Religious Place: अगर आप इस बार पुष्कर मेले में जा रहे हैं, तो सिर्फ ऊंटों, रंगों और मेलों की रौनक ही नहीं, बल्कि यहां के प्राचीन मंदिरों के दर्शन भी जरूर करें. पुष्कर और अजमेर क्षेत्र में कई ऐतिहासिक मंदिर हैं. इन मंदिरों से जुड़ी कथाएं और मान्यताएं आज भी भक्तों के दिलों में आस्था जगाती है. कहा जाता है कि इनके दर्शन से मनोकामनाएं पूरी होती हैं और जीवन में सुख-शांति आती है.
अगर आप इस बार पुष्कर मेले में जाने का प्लान बना रहे हैं, तो केवल मेले की रौनक में ही नहीं खो जाएं, बल्कि यहां के प्राचीन और दिव्य मंदिरों में दर्शन करना न भूलें. ऐसा माना जाता है कि इन मंदिरों के दर्शन मात्र से मनोकामनाएं पूरी होती है और जीवन में सुख-शांति आती है.
पुष्कर स्थित प्राचीन गणेश मंदिर का निर्माण मंडोर के राजा नाहर राव ने लगभग 1100 वर्ष पूर्व कराया था. मंदिर की प्राकृतिक बनावट इस प्रकार है कि बावड़ी में शिवलिंग के नीचे मां पार्वती के स्वरूप की आकृति है. मंदिर की मान्यता है कि जिन लोगों के घरों में विवाह में देरी हो रही होती है, वे मंदिर परिसर में नारियल को मूली के धागे के साथ बांधकर मनोकामना की अर्जी लगाते हैं.
अजमेर जिले के मसूदा उपखंड के देवमाली गांव में भगवान देवनारायण का प्राचीन मंदिर मौजूद है. यह मंदिर जिले के प्राचीन मंदिरों में से एक है. मंदिर के साथ-साथ यहां का गांव भी आकर्षण का प्रमुख केंद्र है . इस गांव में करोड़पति हो या लखपति सभी कच्चे मकान में रहते हैं. यहां सीमेंट, चूना, दारू, मीट-मांस और केरोसिन पर भी प्रतिबंध है.
अजमेर का जैन मंदिर जिसे सोनीजी की नसियां के नाम से भी जाना जाता है, यह अपनी वास्तुकला के लिए जाना जाता है. इसे उन्नीसवीं सदी के अंत में बनाया गया था. स्वर्ण नगरी “सोने के शहर” के नाम से मशहूर मुख्य कक्ष में सोने की परत चढ़ी लकड़ी की कई आकृतियां आज भी मौजूद है. यहां जैन धर्म से जुड़ी विरासत को सहेजकर रखा गया है.
पुष्कर में स्थित बैद्यनाथ मंदिर धार्मिक आस्था और प्राकृतिक सुंदरता का अद्भुत संगम है. यह प्राचीन मंदिर भगवान शिव को समर्पित है और पुष्कर की पवित्र नगरी में आने वाले श्रद्धालुओं के लिए आस्था का प्रमुख केंद्र माना जाता है. यहां स्थापित शिवलिंग अत्यंत प्राचीन है और इसका संबंध भगवान ब्रह्मा के समय से माना जाता है.
अजमेर में सराधना गांव के पास अरावली की पहाड़ियों पर मां गौरी का ऐतिहासिक और चमत्कारिक प्राचीन मंदिर है. यहां पर माता ने ऋषि मार्कंडेय को दर्शन दिए थे. यहां माता की जो प्रतिमा है वह स्वयंभू प्रकट हुई थी.
पुष्कर मेला घूमने के साथ अगर आप इन पवित्र स्थलों के दर्शन करेंगे, तो आपकी यात्रा न सिर्फ यादगार बल्कि आध्यात्मिक रूप से भी समृद्ध हो जाएगी. यहां की आस्था, परंपरा और वातावरण आपको एक अनोखा अनुभव प्रदान करेगा.
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