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Planning to visit Chitrakoot: उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश की सीमा पर बसा धर्मनगरी चित्रकूट आज भी आस्था, श्रद्धा और भक्ति का केंद्र माना जाता है. मान्यता है कि यही वह पवित्र भूमि है. जहां प्रभु श्रीराम ने अपने वनवास काल का सबसे बड़ा हिस्सा बिताया था. चित्रकूट की हर शिला, हर नदी और हर घाट पर भगवान श्रीराम, माता सीता और लक्ष्मण जी के पावन चरणों के निशान आज भी मौजूद हैं. यही कारण है कि देशभर से हजारों श्रद्धालु प्रतिदिन यहां दर्शन और परिक्रमा करने पहुंचते हैं. अगर आप भी चित्रकूट आने की योजना बना रहे हैं, तो यहां के इन पांच प्रमुख धार्मिक स्थलों के दर्शन किए बिना यात्रा अधूरी मानी जाती है.
कामदगिरि पर्वतः चित्रकूट का हृदय माने जाने वाला यह पर्वत वह स्थान है. जहां भगवान श्रीराम ने अपने वनवास काल का अधिकांश समय बिताया था. श्रद्धालु यहां की लगभग 5 किलोमीटर लंबी परिक्रमा श्रद्धा भाव से करते हैं.
भरत मिलाप मंदिरः मान्यता है कि जब भरत जी अयोध्या से प्रभु श्रीराम को मनाने चित्रकूट आए थे, तो दोनों भाइयों का मिलन इसी स्थान पर हुआ था. कहा जाता है कि उस भावनात्मक क्षण में पत्थर भी पिघल गए थे, जिन पर आज भी उनके चरण चिन्ह मौजूद हैं.
रामघाट और मंदाकिनी नदीः यह चित्रकूट का सबसे प्रसिद्ध घाट है. मान्यता है कि प्रभु श्रीराम यहां स्नान करते थे, और यहीं उन्होंने अपने पिता दशरथ जी का पहला पिंडदान भी किया था. मंदाकिनी नदी की कलकल ध्वनि आज भी उस पावन कथा की गूंज सुनाती है.
राम सैयाः यह स्थान उस पत्थर की शिला के लिए प्रसिद्ध है, जिस पर कहा जाता है कि श्रीराम और माता सीता रात्रि विश्राम किया करते थे. आज भी उस चट्टान पर उनके विश्राम के निशान श्रद्धालुओं को दिखाई देते हैं.
पुष्कर्णी अमृत सरोवरः चित्रकूट के मानिकपुर टिकरिया मार्ग पर स्थित यह पवित्र सरोवर उस स्थान की याद दिलाता है, जहां प्रभु श्रीराम ने विराध राक्षस का वध करने के बाद अपने अस्त्र-शस्त्र और वस्त्रों को शुद्ध किया था.
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