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Record Foreign Tourists Visit Chand Baori Abhaneri Dausa

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Rajasthan Heritage: दौसा जिले के आभानेरी स्थित 250 साल पुरानी चांद बावड़ी में पिछले एक दशक में विदेशी पर्यटकों की संख्या में रिकॉर्ड वृद्धि हुई है (82 हजार पर्यटक). ASI द्वारा संरक्षण कार्यों के बाद अब इसका महलनुमा हिस्सा भी पर्यटकों के लिए खुल गया है, जिससे यह स्थल अंतरराष्ट्रीय पर्यटन केंद्र बन गया है. इसके सामने स्थित हर्षद माता मंदिर भी आकर्षण का केंद्र है.

Dausa News: दौसा जिले के बांदीकुई उपखंड से लगभग पांच किलोमीटर दूर स्थित आभानेरी गांव अपनी ऐतिहासिक धरोहरों — चांद बावड़ी (Chand Baori) और हर्षद माता मंदिर के लिए विश्वभर में प्रसिद्ध है. आठवीं सदी में निर्मित यह बावड़ी अपनी अनूठी स्थापत्य कला, रहस्यमयी संरचना और ऐतिहासिक महत्व के कारण देशी-विदेशी पर्यटकों का अभूतपूर्व आकर्षण केंद्र बनी हुई है. इस प्राचीन स्थल की यात्रा भारत की समृद्ध जल प्रबंधन संस्कृति की झलक पेश करती है.

करीब 19.5 मीटर गहरी और 35 मीटर चौड़ी चांद बावड़ी को दुनिया की सबसे गहरी और जटिल बावड़ियों में गिना जाता है. इसकी सबसे बड़ी खासियत इसकी ज्यामितीय सीढ़ियाँ हैं. इसमें लगभग 3,500 सीढ़ियाँ हैं जो तीन दिशाओं से नीचे उतरती हैं, जबकि चौथी दिशा में महलनुमा संरचना बनी हुई है.

किंवदंती है कि जो व्यक्ति जिस सीढ़ी से नीचे उतरता है, वह उसी सीढ़ी से ऊपर नहीं लौट पाता- सीढ़ियों के इस रहस्यमय जाल के कारण इसे “भूलभुलैया बावड़ी” भी कहा जाता है. इस बावड़ी का निर्माण स्थानीय शासक राजा चाँद द्वारा किया गया था.

संरक्षण और पुनर्निर्माण कार्य
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (ASI) द्वारा हाल ही में किए गए व्यापक संरक्षण कार्यों के बाद अब बावड़ी के महलनुमा हिस्से का प्रवेश द्वार पर्यटकों के लिए खोल दिया गया है, जिससे पर्यटकों की दिलचस्पी और बढ़ गई है.

इस दौरान बरामदों और दीवारों की मरम्मत पारंपरिक तकनीक — बेलगिरी, गोंद, गुड़ और चूने के मिश्रण — से की गई ताकि इसकी मौलिकता और ऐतिहासिकता बरकरार रहे. पर्यटकों की सुविधा और सुरक्षा के लिए गार्ड तैनात किए गए हैं और सूचना बोर्ड भी लगाए गए हैं, जिससे पर्यटकों को इसके इतिहास को जानने में मदद मिलती है.

हर्षद माता मंदिर का आकर्षण
चांद बावड़ी के ठीक सामने स्थित हर्षद माता मंदिर भी अपनी प्राचीनता और कलात्मकता के लिए प्रसिद्ध है. महामेरू शैली में बने इस मंदिर की दीवारों पर देवी-देवताओं और अप्सराओं की सुंदर मूर्तियां उकेरी गई हैं, जो उस काल की उच्च कला कौशल को दर्शाती हैं.

इतिहासकारों के अनुसार, 10वीं–11वीं सदी के दौरान महमूद गजनवी के आक्रमणों में मंदिर की कई मूर्तियाँ खंडित की गई थीं, जिनके अवशेष आज भी परिसर में मौजूद हैं, जो इतिहास के पन्नों की गवाही देते हैं.

बढ़ता विदेशी पर्यटन
  • पर्यटन विभाग के उपनिदेशक उपेंद्र सिंह शेखावत ने बताया कि पिछले 10 वर्षों में आभानेरी में विदेशी सैलानियों की संख्या में रिकॉर्ड वृद्धि हुई है.
  • बीते वर्ष यहाँ 82 हजार विदेशी पर्यटक पहुंचे, जो अब तक का सबसे बड़ा आंकड़ा है.
  • देशी सैलानियों की संख्या भी लगातार बढ़ रही है, जिससे स्थानीय स्तर पर रोजगार और पर्यटन विकास को नई गति मिली है.
  • चांद बावड़ी, हर्षद माता मंदिर और ASI के प्रयासों के संयुक्त प्रभाव ने आभानेरी को राजस्थान के पर्यटन मानचित्र पर एक महत्वपूर्ण स्थान दिलाया है.
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8वीं सदी की भूलभुलैया… आभानेरी की ऐतिहासिक बावड़ी बनी सैलानियों…


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