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कुंडली में ग्रहों के अशुभ मेल या अंकों का गड़बड़ खेल? दांपत्य जीवन में क्यों मच जाता है तूफान, उजड़ जाती दुनिया

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आत्महत्या एक पाप होता है. जो जीवन को समाप्त कर देता है. आत्महत्या की घटनाएं दैनिक जीवन में आसपास घटित होती रहती है. आत्महत्या की प्रवृत्ति के कई कारण होते हैं. जिसके कारण आत्महत्या की तरफ झुकाव उत्पन्न हो जाता है. आज कल के पढ़ने वाले विद्यार्थी कम अंक लाने पर या फेल हो जाने पर आत्महत्या जैसा बड़ा कदम उठा लेते हैं. कुछ लोग प्रेम, पारिवारिक और करियर आदि से जुड़ी समस्या को लेकर मानसिक रूप से टूट जाते हैं. अपना झुकाव आत्महत्या की तरफ कर लेते हैं. अभी हाल ही में उत्तर प्रदेश में जौनपुर के रहने वाले सुभाष अतुल ने बैंगलोर में गृह क्लेश से परेशान होकर आत्महत्या जैसा बड़ा कदम उठा लिया. सुभाष अतुल अपनी पत्नी के साथ क्लेश और उनके द्वारा लगाए गए लगभग 120 मुकदमों से परेशान थे.

क्या आप जानते हैं इसके अलावा भी कई कारण होते हैं. जैसे आत्महत्या करने वाले जातक की कुंडली में ग्रहों और नक्षत्र का न ठीक होना. कुंडली में कई तरह के योग होते हैं, जो आत्महत्या की तरफ प्रेरित करते हैं. आइए जानते हैं क्यों लोग सुभाष अतुल जैसा कदम उठाने को मजबूर होते हैं.

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कुंडली में आत्महत्या को प्रेरित करने वाले योग :

  1. कुंडली में राहु-मंगल की स्थिति : कुंडली में राहु, मंगल एक साथ अष्टम भाव में स्थित होते हैं. पापी ग्रहों का प्रभाव राहु या मंगल पर हो ऐसा योग आत्महत्या के दिशा की ओर ले जाता है. बुध ग्रह अष्टम भाव में पापी ग्रह के साथ होता है तब व्यक्ति ऐसा कदम उठा लेता है. किसी व्यक्ति की कुंडली में लग्न और सप्तम भाव नीच स्थान पर उपस्थित हो. कुंडली के अष्टम भाव में पाप कर्तरी योग हो. व्यक्ति की कुंडली में जब शनि ग्रह सही स्थिति में नहीं होता है. तब मृत्यु को प्राप्त हो सकता है.
  2. कुंडली में चन्द्रमा की स्थिति : यदि किसी जातक की कुंडली में चन्द्रमा कमजोर स्थिति में होता है. तब व्यक्ति मानसिक रूप से कमजोर हो जाता है. वैदिक ज्योतिष के अनुसार चन्द्रमा को मन का कारक माना जाता है. अगर चंद्रमा पर पापी ग्रह अपनी नजर डालते हैं. तो व्यक्ति मानसिक बीमारियों का शिकार हो जाता है. ऐसे में जातक आत्महत्या की ओर प्रेरित हो जाता है.
  3. कुंडली में बुध ग्रह की स्थिति : बुध ग्रह को बुद्धि का प्रतीक कहा गया है. किसी व्यक्ति की कुंडली में बुध ग्रह कमजोर होता है. तब व्यक्ति के निर्णय लेने की क्षमता कम हो जाती है. ऐसे में व्यक्ति आत्महत्या का निर्णय ले लेता है.
  4. कुंडली में शनि ग्रह की स्थिति : ज्योतिष शास्त्र में शनि ग्रह दुःख का प्रतीक होता है. अगर कुंडली में शनि ग्रह अच्छी स्थिति में नहीं होता है तो व्यक्ति अपनी परिस्थितियों से हार जाता है.अवसाद से हारकर आत्महत्या कर लेता है.यह भी पढ़ें: Home Vastu Tips: घर के साउथ-ईस्ट में रखी ये चीजें आपकी जिंदगी में ला देंगी भूचाल! वास्तु अनुसार जानें क्या करें उपाय

वास्तु भी जिम्मेदार : आत्महत्या के कई कारण हो सकते हैं, लेकिन घर में पति-पत्नी के ख़राब संबंध और आत्महत्या के लिए वास्तु भी एक बड़ा कारण है, आइए जानते हैं किन परिस्थति में लोग आत्महत्या जैसा बड़ा कदम उठाते हैं.

  1. जिस घर की पूर्व दिशा में मुख्य द्वार हो और चारदीवारी के आग्नेय कोण की पूर्व दिशा में एक और द्वार हो या जिस घर की ईशान दिशा कट गई हो और वायव्य में कुंआ या पानी स्रोत हो तो ऐसे घर में रहनेवाले परिवार के लोग खुदखुशी का कदम उठा सकते हैं.
  2. अगर घर के नैऋत्य (प्लॉट के पश्चिम-दक्षिण का हिस्सा) में पश्चिम की तरफ ढलान, नीचा स्थान या नैऋत्य की दक्षिण दिशा में दरवाजा हो, ऐसे घर में रहनेवाला कोई सदस्य आत्महत्या का कदम उठा सकता है.
  3. अगर घर के नैऋत्य (प्लॉट के पश्चिम-दक्षिण का हिस्सा) में पश्चिम की तरफ ढलान, नीचा स्थान या नैऋत्य की दक्षिण दिशा में दरवाजा हो, ऐसे घर में रहनेवाला कोई सदस्य आत्महत्या का कदम उठा सकता है.
  4. नैऋत्य ब्लॉक में स्थित घर का ईशान कोण कट जाता है या उत्तर और पूर्व की सड़कों के कारण अगर उस घर का ईशान कोण कट जाता है, साथ ही नैऋत्य कोण किसी प्रकार से नीचा हो तो ऐसे घर में रहनेवाले लोग आर्थिक रूप से संपन्न होने पर भी रिश्तों को महत्व नहीं देते. अकेलेपन से जूझते हैं और खुदखुशी जैसा कदम उठा सकते हैं.

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ये मूलांक के लोग भी होते हैं परेशान : भावुकता और कष्ट में आने पर जब जन्म कुंडली में मारक ग्रहों की दशा आ जाती है तो आत्महत्या के योग बन जाते हैं. कभी-कभी मारक दशा आने पर भी  मूलांक 2, 4, 7 और 8 वालों के अंदर आमतौर पर यह प्रवृत्ति पाई जाती है. मूलांक और भाग्यांक अगर शत्रु हैं, तब भी ऐसा होता है.


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https://hindi.news18.com/news/astro/atul-subhash-death-case-news-know-birth-numerology-and-jyotish-vastu-shastra-inauspicious-combination-creates-storm-in-married-life-8889057.html

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