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गणेश उत्सव के बाद क्यों किया जाता हैं विसर्जन? अगर ना करें तो क्या होगा, ज्योतिषाचार्य से जान लीजिए पूरी बात

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Ganesh Chaturthi 2025 में 27 अगस्त से 6 सितंबर तक गणेश उत्सव मनाया जाएगा. महाराष्ट्र से शुरू हुई विसर्जन परंपरा लोकमान्य तिलक ने 1893 में सार्वजनिक रूप से शुरू की थी.

गणेश उत्सव के बाद क्यों किया जाता हैं विसर्जन? जानिए अगर ना करें तो क्या होगाजानिए, गणेश उत्सव के बाद क्यों किया जाता हैं विसर्जन? (AI)
Ganesh Chaturthi 2025: गणेश उत्सव का आज दूसरा दिन है. पूरे देश में इस पवित्र पर्व को धूमधाम से मनाया जा रहा है. भाद्रपद माह के शुक्ल की चतुर्थी तिथि को गणेश चतुर्थी का पर्व मनाया जाता है. यह त्योहार 10 दिन तक यानी गणेश चतुर्थी से लेकर अनंत चतुर्दशी तक मनाया जाता है. इस बार गणेश चतुर्थी 27 अगस्त से शुरू होकर 6 सितंबर को विसर्जन किया जाएगा. भगवान गणेश को प्रसन्न करने के लिए उनका प्रिय भोग मोदक अर्पित किया जाता है. इसके बाद परंपरा के अनुसार, गणेश उत्सव के बाद विघ्नहर्ता को सम्मान के साथ विदा किया जाता है. इसके साथ ही उत्सव की समाप्ति होती है. लेकिन, क्या आप जानते हैं कि आखिर गणेश उत्सव के बाद विसर्जन क्यों किया जाता है? अगर विसर्जन न करें तो क्या होगा? क्या गणपति प्रतिमा को घर में रखकर पूजा की जा सकती है? आइए जानते हैं इस बारे में-

गणेश उत्सव के बाद क्यों किया जाता विसर्जन?

उन्नाव के ज्योतिषाचार्य ऋषिकांत मिश्र बताते हैं कि, गणेश उत्सव और विसर्जन की परंपरा की शुरुआत महाराष्ट्र में हुई थी. क्योंकि, उत्तर भारत से भगवान गणेश अपने भाई कार्तिकेय से मिलने महाराष्ट्र गए थे. वहां वे 10 दिन रुके थे. इसके बाद उनकी सम्मान के साथ विदाई हुई थी. इसी दिन के बाद विसर्जन की शुरुआत हो गई. इसके अलावा, विसर्जन के माध्यम से यह संदेश दिया जाता है कि गणेश भगवान सभी विघ्नों को समाप्त करके अपने लोक में वापस चले जाते हैं.
गणेश प्रतिमा का विसर्जन न करें तो क्या होगा?

ज्योतिषाचार्य के मुताबिक, गणेश पूजा के 10 दिन बाद विसर्जन करना जरूरी है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, ऐसा न करने से यह दोष का कारण बन सकता है. यदि आप मूर्ति को केवल सजावट या पूजन के उद्देश्य से घर में रखते हैं और विधिवत स्थापना या विसर्जन नहीं करते, तो यह धार्मिक दृष्टिकोण से कोई दोष नहीं माना जाता.

क्या गणेश प्रतिमा को घर में ही रखा जा सकता है?

उत्सव के बाद गणेश प्रतिमा का विसर्जन बेहद जरूरी है. बता दें कि, गणेश मूर्ति की स्थापना एक निश्चित समय के लिए की जाती है और उसे उचित विधि से विसर्जित करना आवश्यक होता है. हालांकि, छोटी गणेश मूर्तियों को विसर्जित करने की आवश्यकता नहीं है. इस प्रतिमा को आप घर में रखकर पूजा कर सकते हैं.

…तो इसलिए सार्वजनिक रूप से मनाया जाने लगा उत्सव

कहा जाता है कि लोकमान्य तिलक ने 1893 में गणेशोत्सव को सार्वजनिक रूप से मनाने की शुरुआत की थी. ऐसा करने के पीछे का मकसद था कि समाज को एकजुट किया जाए और ब्रिटिश शासन के खिलाफ भारतीयों में जागरूकता फैलाई जा सके. तब से यह परंपरा हर साल गणेशोत्सव के बाद मूर्ति विसर्जन के रूप में पूरी होती है.

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गणेश उत्सव के बाद क्यों किया जाता हैं विसर्जन? जानिए अगर ना करें तो क्या होगा


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