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स्टूडेंट्स अपनी कुंडली में इस भाव को कर लें मजबूत, सरकारी एग्जाम बनेगा बाएं हाथ का खेल

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शिखा श्रेया/ रांची: हर माता-पिता का सपना होता है कि उनके बच्चे पढ़ाई में अच्छे अंक प्राप्त करें और सरकारी प्रतियोगी परीक्षाओं में सफलता हासिल करें. लेकिन कई बार सभी सुविधाएं उपलब्ध कराने के बावजूद, बच्चों का ध्यान पढ़ाई में नहीं लगता. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, शिक्षा और अध्ययन में सफलता मुख्य रूप से कुंडली के पंचम भाव पर निर्भर करती है. अगर पंचम भाव मजबूत हो, तो विद्यार्थी की एकाग्रता और परिश्रम की क्षमता में वृद्धि होती है, जिससे वह पढ़ाई में बेहतरीन प्रदर्शन कर पाता है.

झारखंड की राजधानी रांची के ज्योतिष आचार्य संतोष कुमार चौबे, जो रांची यूनिवर्सिटी से ज्योतिष शास्त्र में गोल्ड मेडलिस्ट हैं, ने Bharat.one को बताया कि अक्सर माता-पिता उनके पास इस समस्या के समाधान के लिए आते हैं. उनका कहना होता है कि बच्चे पढ़ाई में कमजोर हैं और उनका ध्यान पढ़ाई में नहीं लगता. इस पर ज्योतिष आचार्य पंचम भाव को मजबूत करने की सलाह देते हैं, क्योंकि यह भाव शिक्षा, स्किल डेवलपमेंट और मानसिक स्थिरता के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होता है.

पंचम भाव का महत्व
पंडित संतोष चौबे के अनुसार, कुंडली का पंचम भाव शिक्षा, बुद्धि और स्किल डेवलपमेंट से जुड़ा होता है. यह दिमाग की स्थिरता और एकाग्रता का भी प्रतिनिधित्व करता है. अगर पंचम भाव में राहु आकर बैठ जाए, तो व्यक्ति भ्रमित हो जाता है और मेहनत करने की क्षमता खो देता है. राहु का असर होने से विद्यार्थी का ध्यान पढ़ाई से हटकर अनावश्यक विचारों में भटक जाता है, जिससे वह सपने तो बड़े देखता है लेकिन उन्हें पूरा करने के लिए मेहनत नहीं कर पाता.

साथ ही, अगर पंचम भाव में चंद्रमा अशुभ स्थिति में हो, तो विद्यार्थी का मन स्थिर नहीं रह पाता और उसकी एकाग्रता में कमी आती है. चंद्रमा का अशुभ प्रभाव विद्यार्थी के मन को लगातार भटकाता है, जिससे उसकी पढ़ाई में ध्यान केंद्रित नहीं हो पाता. इस स्थिति में पंचम भाव को मजबूत करना अत्यंत आवश्यक हो जाता है.

पंचम भाव को मजबूत करने के उपाय
ज्योतिष आचार्य संतोष चौबे के अनुसार, पंचम भाव को मजबूत करने के लिए कुछ सरल उपाय हैं जो विद्यार्थियों को उनकी पढ़ाई और प्रतियोगी परीक्षाओं में मदद कर सकते हैं:

पुखराज रत्न धारण करना: यह रत्न बुद्धि को तेज करता है और मानसिक स्थिरता प्रदान करता है. हालांकि, किसी भी रत्न को धारण करने से पहले कुंडली का विश्लेषण कराना आवश्यक है.
राहु के उपाय: राहु के अशुभ प्रभाव को कम करने के लिए कुत्ते को मीठी रोटी खिलाना और अपनी दिनचर्या में अनुशासन लाना लाभकारी होता है. इससे ध्यान केंद्रित करने में मदद मिलती है.
चंद्रमा का उपाय: अगर चंद्रमा अशुभ स्थिति में है, तो विद्यार्थी को मन की शांति के लिए ध्यान (मेडिटेशन) करना चाहिए, जिससे उसकी एकाग्रता में सुधार हो सके.
निष्कर्ष
कुंडली का पंचम भाव शिक्षा और मानसिक स्थिरता के लिए सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है. यदि विद्यार्थी अपनी पढ़ाई में ध्यान केंद्रित नहीं कर पा रहे हैं, तो पंचम भाव का विश्लेषण और उपाय करके उन्हें बेहतर परिणाम मिल सकते हैं. सही ज्योतिषीय मार्गदर्शन और उपायों के साथ, सरकारी प्रतियोगी परीक्षाओं को पास करना किसी भी विद्यार्थी के लिए आसान हो सकता है.


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