जितिया व्रत को जीवित्पुत्रिका व्रत या जिउतिया भी कहा जाता है. हिंदू कैलेंडर के अनुसार, हर साल आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को जितिया व्रत रखा जाता है. इस दिन माताएं अपनी संतान की लंबी आयु, उत्तम स्वास्थ्य, सुरक्षित और सुखी जीवन के लिए निर्जला व्रत रखती हैं. जितिया व्रत में गंधर्व राजा जीमूतवाहन की पूजा की जाती है, जिन्होंने पक्षीराज गरुड़ से एक नाग वंश की महिला के पुत्र के प्राणों की रक्षा की थी. तिरुपति के ज्योतिषाचार्य डॉ कृष्ण कुमार भार्गव से जानते हैं कि जितिया कब है?
2025 में जितिया कब है?
पंचांग के अनुसार, जितिया के लिए आवश्यक आश्विन कृष्ण अष्टमी तिथि 14 सितंबर रविवार को सुबह 5 बजकर 4 मिनट से शुरू हो रही है. यह तिथि अगले दिन 15 सितंबर सोमवार को तड़के 3 बजकर 6 मिनट पर खत्म हो जाएगी. ऐसे में उदया तिथि के आधार पर जितिया 14 सितंबर रविवार को है.
जितिया के दिन का अभिजीत मुहूर्त 11:52 ए एम से दोपहर 12:41 पी एम तक है. इस शुभ समय में आप शुभ कार्य कर सकते हैं. सुबह और प्रदोष काल में जितिया की पूजा की जाती है. प्रदोष काल सूर्यास्त के बाद यानि 06:27 पी एम के बाद शुरू होगा.
जितिया को राहुकाल शाम में 04:55 पी एम से 06:27 पी एम तक है. राहुकाल में कोई भी शुभ कार्य न करें. यह समय अशुभ फलदायी होता है.
व्रत वाले दिन प्रात:काल में वज्र योग बनेगा, जो सुबह 07:35 ए एम तक रहेगा. उसके बाद से सिद्धि योग बनेगा. यह 15 सितंबर को तड़के 04:55 ए एम तक रहेगा. उसके बाद व्यतीपात योग होगा. जितिया पर रोहिणी नक्षत्र प्रात:काल से लेकर सुबह 08:41 ए एम तक है, उसके बाद से मृगशिरा नक्षत्र है.
जितिया व्रत पारण का समय
जो माताएं 14 सितंबर को जितिया का निर्जला व्रत रखेंगी, वो व्रत का पारण 15 सितंबर सोमवार को सूर्योदय के बाद करेंगी. उस दिन सूर्योदय 06:06 ए एम पर होगा. ऐसे में जितिया व्रत के पारण का समय सुबह 6 बजकर 6 मिनट से है.