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Lingaraja Temple Bhubaneswar: यहां एक साथ पूजते हैं हर और हरि, गैर-हिंदुओं का प्रवेश निषेध, ब्रह्म पुराण में मिलता है उल्लेख

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Lingaraja Temple: भुवनेश्वर का लिंगराज मंदिर ही लिंगम के राजा का मंदिर है. यह शिव के साथ-साथ विष्णु की भी आराधना का स्थान है और इसे हरिहर तीर्थ भी कहा जाता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, पितृ शांति और वंश वृद…और पढ़ें

यहां एक साथ पूजते हैं हर और हरि, गैर-हिंदुओं का प्रवेश निषेध
Lingaraj Temple in Bhubaneswar: ओडिशा की राजधानी भुवनेश्वर में स्थित लिंगम के राजा का लिंगराज मंदिर स्थित है, जहां भक्त भक्ति भाव से पहुंचते हैं और हर के साथ हरि का दर्शन करते हैं. लिंगराज मंदिर का अर्थ है – लिंगों के राजा (शिवलिंगों के अधिपति). इस मंदिर के दर्शन करके आप भगवान शिव और भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त कर सकते हैं क्योंकि यहां का शिवलिंग हरिहर रूप का प्रतीक है अर्थात आधा शिव और आधा विष्णु. इसलिए इसे हरिहर लिंगम भी कहा जाता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, लिंगराज मंदिर के दर्शन करने से पाप नाश और पुण्य वृद्धि होती है और शिव और विष्णु दोनों की कृपा से धन, संतति और सुख-समृद्धि मिलती है.
गैर-हिंदुओं का मंदिर में प्रवेश निषेध
लिंगराज यह मंदिर भगवान शिव (हर) और भगवान विष्णु (हरि) के एक स्वरूप हरिहर को समर्पित है, जो शैव और वैष्णव संप्रदायों के मिलन का भी प्रतीक है. 11वीं शताब्दी में सोमवंशी राजा जजाति केशरी ने मंदिर का निर्माण कराया था. यहां स्थापित स्वयंभू शिवलिंग का व्यास 8 फुट और ऊंचाई 8 इंच है. कलिंग स्थापत्य शैली में बना यह मंदिर अपनी बारीक नक्काशी और विशाल मीनार के लिए भी विख्यात है. प्रांगण में स्थित अन्य छोटे मंदिरों से सुसज्जित इस परिसर की भव्यता दूर से ही मन मोह लेती है. गैर-हिंदुओं का मंदिर में प्रवेश निषेध है. उनके लिए मंदिर परिसर के बाहर एक मंच बनाया गया है, जहां से वे इसकी भव्यता का दर्शन कर सकते हैं.
लिंगराज मंदिर का ब्रह्म पुराण में उल्लेख
पौराणिक कथाओं के अनुसार, लिंगराज मंदिर का उल्लेख ब्रह्म पुराण में मिलता है. एक कथा के मुताबिक, देवी पार्वती ने यहीं ‘लिट्टी’ और ‘वसा’ नामक राक्षसों का वध किया था. संग्राम के बाद माता पार्वती को प्यास लगी थी, जिसके लिए भगवान शिव ने बिंदुसागर सरोवर बनाया, जिसमें सभी पवित्र नदियों का जल समाहित है. यह सरोवर मंदिर के उत्तर में है और चंदन यात्रा जैसे उत्सवों का केंद्र है.
धार्मिक अवसरों पर बड़ी संख्या में आते हैं भक्त
लिंगराज मंदिर में महाशिवरात्रि, अशोकाष्टमी और चंदन यात्रा जैसे त्योहार धूमधाम से मनाए जाते हैं. महाशिवरात्रि के साथ ही सावन समेत अन्य धार्मिक अवसरों पर भी बड़ी संख्या में भक्त यहां पहुंचते हैं. उपवास रखकर भगवान शिव को प्रसाद चढ़ाते हैं और रात में महादीप जलाकर उपवास तोड़ते हैं. चंदन यात्रा अक्षय तृतीया से शुरू होने वाला 21 दिवसीय उत्सव है, जिसमें भगवान की मूर्तियों को बिंदुसागर सरोवर में चंदन और जल से स्नान कराया जाता है.

मनमोहक है मंदिर की वास्तुकला
अशोकाष्टमी पर भगवान लिंगराज की रथयात्रा निकलती है, जिसमें उनकी मूर्ति को रामेश्वर मंदिर ले जाया जाता है. मंदिर के पास बिंदुसागर सरोवर और एकाम्र वन उद्यान भी दर्शनीय हैं. एकाम्र वन में औषधीय गुणों वाले पौधे और हिंदू देवी-देवताओं से जुड़े वृक्ष इसे खास बनाते हैं. पर्यटक मुक्तेश्वर, राजरानी, अनंत वासुदेव और परशुरामेश्वर जैसे नजदीकी मंदिरों की मनमोहक वास्तुकला का भी आनंद ले सकते हैं.

Parag Sharma

मैं धार्मिक विषय, ग्रह-नक्षत्र, ज्योतिष उपाय पर 8 साल से भी अधिक समय से काम कर रहा हूं। वेद पुराण, वैदिक ज्योतिष, मेदनी ज्योतिष, राशिफल, टैरो और आर्थिक करियर राशिफल पर गहराई से अध्ययन किया है और अपने ज्ञान से प…और पढ़ें

मैं धार्मिक विषय, ग्रह-नक्षत्र, ज्योतिष उपाय पर 8 साल से भी अधिक समय से काम कर रहा हूं। वेद पुराण, वैदिक ज्योतिष, मेदनी ज्योतिष, राशिफल, टैरो और आर्थिक करियर राशिफल पर गहराई से अध्ययन किया है और अपने ज्ञान से प… और पढ़ें

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यहां एक साथ पूजते हैं हर और हरि, गैर-हिंदुओं का प्रवेश निषेध


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