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Papankusha Ekadashi Vrat Katha 2025 | story of ashwin shukla Ekadashi | Papankusha Ekadashi muhurat parana time | पापांकुशा एकादशी व्रत कथा | पापांकुशा एकादशी मुहूर्त और पारण समय

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Papankusha Ekadashi Vrat Katha 2025: 3 अक्टूबर शुक्रवार को पापांकुशा एकादशी है. इस दिन भगवान पद्मनाभ की पूजा करें और पापांकुशा एकादशी की व्रत कथा सुनें. इससे पाप मिटते हैं और मोक्ष मिलता है. आइए जानते हैं पापांकुशा एकादशी व्रत कथा, मुहूर्त और पारण समय.

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Papankusha Ekadashi Vrat Katha 2025: पापांकुशा एकादशी का व्रत 3 अक्टूबर शुक्रवार को है. पापांकुशा एकादशी के दिन रवि योग और सर्वार्थ सिद्धि योग बन रहे हैं. इस दिन व्रत रखकर भगवान विष्णु की पूजा करते हैं और पापांकुशा एकादशी की व्रत कथा सुनते हैं. इस व्रत को करने से पाप मिटते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है. इस बार पापांकुशा एकादशी पूजा का मुहूर्त सुबह 06:15 बजे से 10:41 बजे तक है. यह व्रत आश्विन मा​ह के शुक्ल पक्ष की एकादशी ति​थि को है. आइए जानते हैं पापांकुशा एकादशी व्रत कथा, मुहूर्त और पारण समय.

पापांकुशा एकादशी व्रत कथा

धर्मराज युधिष्ठिर ने एक बार श्रीकृष्ण जी से अश्विन शुक्ल एकादशी के व्रत के महत्व और विधि के बारे में बताने की प्रार्थना की. तब भगवान श्रीकृष्ण ने उनको बताया कि इसे पापांकुशा एकादशी कहते हैं. इस व्रत से पाप और दोष खत्म होते हैं. इस अवसर पर श्रीहरि के पद्मनाभ स्वरूप की पूजा करते हैं. उनकी कृपा से जीवात्मा को मोक्ष मिलता है और वह स्वर्ग में स्थान प्राप्त करता है. पापांकुशा एकादशी व्रत की कथा इस प्रकार से है-

विंध्य पर्वत पर क्रोधन नाम का एक बहेलिया रहता था. वह सभी पाप और अधर्म वाले कर्म करता था. वह बड़ा ही क्रूर और निर्दयी था. वह अपने पूरे जीवन में दूसरे जीवों को दुख देता रहा. जीवन के अंत में उसके पास यमराज के दूत आए और बोला कि कल तुम्हारा अंतिम दिन है. कल वे प्राण हर लेंगे और अपने साथ यमलोक ले जाएंगे.

यमदूतों की बातें सुनकर बहेलिया डर गया. वह सोचने लगा कि उसे कर्मों के आधार पर नरक के कष्ट भोगने होंगे. अनेक प्रकार की यातनाएं सहन करनी होंगी. इस डर से वह वन में गया और अंगिरा ऋषि के आश्रम में पहुंच गया. अंगिरा ऋषि को प्रणाम करके अपनी चिंता और दुख को बताया. उसने कहा कि हे मुनि! मैंने पूरे जीवन पाप कर्म किए हैं. अब उससे मुक्ति चाहता हूं. कुछ ऐसा उपाय बताएं, ताकि उससे मुक्ति मिल जाए और मोक्ष प्राप्त कर लूं.

तब अंगिरा ऋषि ने कहा कि तुमको पापांकुशा एकादशी का व्रत करना चाहिए. इस व्रत को करने से पापों से मुक्ति मिल सकती है. श्रीहरि की कृपा से मोक्ष के भी अधिकारी हो जाओगे. पापांकुशा एकादशी व्रत विधि और महत्व को सुनकर बहेलिया खुश हो गया. उसने अंगिरा ऋषि को धन्यवाद किया और घर चला गया.

उसने अश्विन शुक्ल एकादशी को पापांकुशा एकादशी का व्रत विधि विधान से रखा. भगवान पद्मनाभ की पूजा की और रात्रि में जागरण किया. उसके अगले दिन सूर्योदय के बाद पारण किया और व्रत पूरा किया. पापांकुशा एकादशी के व्रत से उसके सभी पाप मिट गए. मृत्यु के बाद उसे मोक्ष मिल गया. जो व्यक्ति यह व्रत करता है, उसे भी मोक्ष की प्राप्ति होती है.

पापांकुशा एकादशी मुहूर्त और पारण समय

आश्विन शुक्ल एकादशी तिथि का प्रारंभ: 2 अक्टूबर, शाम 07:10 बजे
आश्विन शुक्ल एकादशी तिथि का समापन: 3 अक्टूबर, शाम 06 बजकर 32 मिनट पर
पापांकुशा एकादशी पूजा मुहूर्त: सुबह 06:15 बजे से लेकर सुबह 10:41 बजे तक
सर्वार्थ सिद्धि योग: सुबह 06:15 बजे से सुबह 09:34 बजे तक
रवि योग: सुबह 06:15 बजे से सुबह 09:34 बजे तक
पापांकुशा एकादशी पारण समय: 4 अक्टूबर, सुबह 06:16 बजे से 08:37 बजे के बीच.

कार्तिकेय तिवारी

कार्तिकेय तिवारी Hindi Bharat.one Digital में Deputy News Editor के पद पर कार्यरत हैं. वर्तमान में धर्म, ज्योतिष, वास्तु और फेंगशुई से जुड़ी खबरों पर काम करते हैं. पत्रकारिता में 12 वर्षों का अनुभव है. डिजिटल पत्रक…और पढ़ें

कार्तिकेय तिवारी Hindi Bharat.one Digital में Deputy News Editor के पद पर कार्यरत हैं. वर्तमान में धर्म, ज्योतिष, वास्तु और फेंगशुई से जुड़ी खबरों पर काम करते हैं. पत्रकारिता में 12 वर्षों का अनुभव है. डिजिटल पत्रक… और पढ़ें

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सर्वार्थ सिद्धि योग में पापांकुशा एकादशी, पूजा समय पढ़ें यह कथा, देखें मुहूर्त


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