परिवर्तनी एकादशी 2025 में कब है?
परिवर्तनी एकादशी का व्रत आज रखा जा रहा है. व्रत रखने वालों को इसका पारण अगले दिन करना चाहिए, जो कि 4 सितंबर 2025 को दोपहर 01:36 से 04:07 बजे के बीच किया जाएगा. पारण का मतलब होता है व्रत को विधि के अनुसार पूरा करना और भोजन ग्रहण करना.
पूजा की आसान विधि
इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और साफ वस्त्र पहनें. पूजा स्थल को साफ करके भगवान विष्णु की प्रतिमा या तस्वीर के सामने दीपक जलाएं. उन्हें तुलसी, फूल, फल, नारियल, मिठाई और पंचामृत अर्पित करें. इसके बाद भगवान विष्णु की कथा सुनें या पढ़ें. पूजा के दौरान “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र का जप करें. तुलसी की माला से मंत्र का कम से कम एक माला जप करना शुभ माना जाता है.
इस दिन का धार्मिक महत्व
कहा जाता है कि परिवर्तनी एकादशी के दिन ही भगवान श्रीकृष्ण ने पहली बार यशोदा माता और नंद बाबा के साथ ब्रज में रथ यात्रा निकाली थी. इसी वजह से इस दिन कुछ जगहों पर भगवान को पालकी में बिठाकर नगर भ्रमण भी कराया जाता है. इसे जलझूलनी एकादशी इसलिए कहा जाता है क्योंकि भगवान को झूले पर बैठाया जाता है और उन्हें झुलाया जाता है.
एकादशी: आत्मसंयम और श्रद्धा का पर्व
एकादशी का दिन भक्तों के लिए विशेष होता है. इस दिन भोजन की जगह फलाहार या पानी तक न पीने का व्रत रखा जाता है. मान्यता है कि इस दिन मन और शरीर की पवित्रता सबसे अधिक मायने रखती है.
-इस दिन का महत्व केवल खाने-पीने तक सीमित नहीं है. झूठ बोलना, किसी से रूखा व्यवहार करना या गुस्से में कुछ कहना भी उचित नहीं माना जाता. ऐसा करने से व्रत का असर कम हो सकता है. मन की शांति बनाए रखना और विनम्रता से पेश आना इस दिन का हिस्सा है.
-एकादशी आत्मनियंत्रण, श्रद्धा और भक्ति का प्रतीक है. इस दिन के नियमों का पालन करके व्यक्ति अपने भीतर शुद्धता और संतुलन का अनुभव कर सकता है.
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