Home Dharma मुगलसराय मां काली मंदिर: चंदौली का 200 वर्ष पुराना आस्था केंद्र.

मुगलसराय मां काली मंदिर: चंदौली का 200 वर्ष पुराना आस्था केंद्र.

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चंदौली: जिले के मुगलसराय के जीटी रोड के बीचों-बीच स्थित मां काली का प्राचीन मंदिर श्रद्धालुओं की अटूट आस्था, विश्वास और भक्ति का केंद्र बना हुआ है. यह मंदिर न केवल नगर वासियों के लिए बल्कि दूर-दराज से आने वाले श्रद्धालुओं के लिए भी एक विशेष आस्था स्थल है. ऐसा माना जाता है कि मां काली अपने भक्तों की हर मुराद पूरी करती हैं और उनकी हर समस्या का समाधान करती हैं. यहां साल भर धार्मिक अनुष्ठान, हवन, पूजा-पाठ और कथा श्रवण जैसे आयोजनों का सिलसिला चलता रहता है.

मां काली मंदिर: नगर की धड़कन

मंदिर के महत्व को बताते हुए स्थानीय निवासी नीना वैश्य ने Bharat.one से बताया कि मां काली मुगलसराय शहर की धड़कन हैं. उनके बिना यह शहर अधूरा है. कोई भी शुभ कार्य हो, चाहे विवाह, गृह प्रवेश या किसी अन्य अवसर पर, सबसे पहले मां काली के दर्शन करना आवश्यक माना जाता है. लोग अपने शुभ कार्य की सूचना पहले मां को देते हैं और आशीर्वाद लेने मंदिर आते हैं. शादी के बाद दूल्हा-दुल्हन भी माता के दर्शन करने जरूर आते हैं और अपने परिवार की रक्षा की प्रार्थना करते हैं.

मां काली की चमत्कारी शक्ति

विजय गुरु, जो इस मंदिर में वर्षों से सेवा में लगे हैं, उन्होंने Bharat.one से बताया कि यह मंदिर लगभग 200 वर्ष पुराना है. उन्होंने कहा कि उनके पिता जी का निधन 104 वर्ष की उम्र में हुआ और वह भी इस मंदिर की प्राचीनता की पुष्टि करते थे. उनका मानना था कि मां काली इस स्थान पर स्वयं प्रकट हुई थीं. मंदिर में आने वाला कोई भी भक्त खाली हाथ नहीं लौटता. मां काली के चमत्कारों की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि यहां सच्चे मन से मांगी गई हर मन्नत अवश्य पूरी होती है.

ब्रिटिश काल से अडिग मंदिर

इस मंदिर की एक और विशेष बात यह है कि यह ब्रिटिश शासनकाल से ही जीटी रोड के बीचों-बीच स्थित है. जब यहां रोड बनाई जा रही थी, तब भी यह मंदिर यथास्थान पर बना रहा और इसे हटाया नहीं जा सका. यह इस बात का प्रतीक है कि मां काली की शक्ति और आस्था इतनी दृढ़ है कि अंग्रेजों जैसा शासन भी इस मंदिर को हिला नहीं सका.

प्रसिद्ध हस्तियों की आस्था

इस मंदिर की ख्याति इतनी दूर तक फैली है कि फिल्म अभिनेता और सांसद मनोज तिवारी समेत कई बड़े कलाकार भी यहां दर्शन करने आ चुके हैं. वे अपने करियर में सफलता की कामना लेकर मां के चरणों में नतमस्तक होते हैं. यह मंदिर कलाकारों, राजनेताओं और आम जनता सभी के लिए समान रूप से आस्था का केंद्र बना हुआ है.

चमत्कारी अनुभवों की भरमार

इस मंदिर से जुड़े कई चमत्कारी किस्से भी लोगों की जुबान पर हैं. हाल ही में एक गंभीर रूप से बीमार व्यक्ति, जिसे डॉक्टरों ने जवाब दे दिया था, मां काली के दरबार में आया और मन्नत मांगी कि यदि वह ठीक हो गया तो पुनः आकर आशीर्वाद लेगा. चमत्कारिक रूप से अगले ही दिन उसकी हालत में सुधार हुआ और उसने माता रानी के दरबार में आकर उनका धन्यवाद अर्पित किया. ऐसे अनेक उदाहरण हैं, जो यह सिद्ध करते हैं कि मां काली का दरबार सच्चे श्रद्धालुओं को कभी निराश नहीं करता.

सेवा में लगे श्रद्धालु

इस मंदिर की सेवा में स्थानीय लोग निरंतर लगे हुए हैं. वे न केवल पूजा-अर्चना करते हैं, बल्कि मंदिर की स्वच्छता, भंडारे और अन्य आयोजनों में भी सक्रिय भागीदारी निभाते हैं. मां काली की कृपा से ही यह मंदिर आज भी आस्था का प्रमुख केंद्र बना हुआ है, जहां हर अवसर पर लोग आकर प्रसाद ग्रहण करना नहीं भूलते.

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