Shardiya Navratri 2025 Day 7, Maa Katyayani Devi: शारदीय नवरात्रि का आज सातवां दिन है और इस दिन मां दुर्गा की छठवीं शक्ति मां कात्यायनी की पूजा अर्चना की जाती है. भागवत पुराण में वर्णन है कि गोपियों ने व्रत कर मां कात्यायनी की पूजा की थी ताकि वे भगवान श्रीकृष्ण को पति रूप में प्राप्त कर सकें. इसलिए आज भी विवाह योग्य कन्याएं शीघ्र विवाह और उत्तम वर की प्राप्ति हेतु कात्यायनी पूजन करती हैं. मां दुर्गा का यह स्वरूप सिंह पर सवार और चार भुजाओं वाला है. माना जाता है कि मां कात्यायनी की पूजा करने से विवाह में आ रही बाधाएं दूर होती हैं और घर में सुख-समृद्धि आती है. आइए जानते हैं नवरात्रि 2025 के सातवें दिन की जाने वाली माता कात्यायनी का स्वरूप, भोग, आरती और मंत्र…

मां कात्यायनी की पूजा का मुहूर्त
ब्रह्म मुहूर्त: 04:37 ए एम से 05:25 ए एम
अभिजित मुहूर्त: 11:48 ए एम से 12:36 पी एम
विजय मुहूर्त: 02:12 पी एम से 03:00 पी एम
रवि योग: 06:13 ए एम से 03:55 ए एम, 29 सितंबर
ऐसा है माता का स्वरूप
देवी भागवत पुराण के अनुसार, मां दुर्गा की छठी शक्ति मां कात्यायनी का जन्म महर्षि कात्यायन के घर हुआ था, इसलिए इनका नाम कात्यायनी पड़ा. माता का स्वरूप दिव्य और भव्य है. इनका शुभ वर्ण है और स्वर्ण आभा से मंडित हैं. इनकी चार भुजाओं में से दाहिने तरफ का ऊपरवाला हाथ अभय मुद्रा और नीचे वाला हाथ वर मुद्रा में है. ऊपरी बाएं हाथ में तलवार और निचले हाथ में कमल है. माता सिंह पर सवार रहती हैं.
मां कात्यायनी को प्रिय भोग
मां कात्यायनी को शहद और गुड़ से बने प्रसाद का भोग लगाना शुभ माना जाता है. इसके अलावा दूध से बने मिष्ठान जैसे रसगुल्ला और खीर भी अर्पित किए जाते हैं. कहा जाता है कि मां को शहद बहुत प्रिय है, इसलिए इसे प्रसाद में अवश्य शामिल करें.
मां कात्यायनी मंत्र
बीज मंत्र
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ॐ कात्यायन्यै नमः
प्रणाम मंत्र
चन्द्रहासोज्ज्वलकरा शार्दूलवरवाहना। कात्यायनी शुभं दद्याद्देवी दानवघातिनी॥
ॐ कात्यायनी महामाये महायोगिन्यधीश्वरि।
नन्दगोपसुतं देवी पतिं मे कुरु ते नमः॥
या देवी सर्वभूतेषु मातृरूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
मां कात्यायनी पूजा विधि
नवरात्रि के छठें दिन मां कात्यायनी की विधि-विधान से पूजा करने के लिए ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें और साफ वस्त्र पहनें. माता की चौकी को साफ करें. इसके बाद गंगाजल का छिड़काव करें. मां कात्यायनी की पंचोपचार विधि से पूजा कर उन्हें लाल फूल, अक्षत, कुमकुम और सिंदूर आदि अर्पित करें. इसके साथ ही श्रृंगार का सामान भी चढ़ाएं, जिसमें लाल चुनरी, सिंदूर, अक्षत, लाल पुष्प (विशेषकर गुड़हल), चंदन, रोली आदि शामिल हों. फिर, मिठाई का भोग लगाएं, उसके बाद अपने हाथ में एक कमल का फूल लेकर मां कात्यायनी का ध्यान करें. इसके बाद उनके सामने घी या कपूर जलाकर आरती करें. अंत में, मां के मंत्रों का उच्चारण करें. इस दिन मां कात्यायनी की पूजा में सफेद या पीले रंग का इस्तेमाल कर सकते हैं. मां कात्यायनी शुक्र ग्रह को नियंत्रित करती हैं. मां कात्यायनी स्वयं नकारात्मक शक्तियों का अंत करने वाली देवी हैं.
कात्यायनी माता की आरती
जय जय अम्बे, जय कात्यायनी,
जय जगमाता, जग की महारानी।
बैजनाथ स्थान तुम्हारा,
वहां वरदाती नाम पुकारा।कई नाम हैं, कई धाम हैं,
यह स्थान भी तो सुखधाम है।
हर मंदिर में जोत तुम्हारी,
कहीं योगेश्वरी महिमा न्यारी।
हर जगह उत्सव होते रहते,
हर मंदिर में भक्त हैं कहते।
कात्यायनी रक्षक काया की,
ग्रंथि काटे मोह माया की।
झूठे मोह से छुड़ाने वाली,
जय जय अम्बे, जय कात्यायनी।
जय जगमाता, जग की महारानी,
अपना नाम जपाने वाली।
बृहस्पतिवार को पूजा करियो,
ध्यान कात्यायनी का धरियो।
हर संकट को दूर करेगी,
भंडारे भरपूर करेगी।
जो भी मां को भक्त पुकारे,
कात्यायनी सब कष्ट निवारे।
जय जय अम्बे, जय कात्यायनी,
जय जगमाता, जग की महारानी।
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