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Pitru Paksha 2025: अगर किसी की मौत हो जाए तो उसका पहला श्राद्ध कब करना चाहिए? यहां दूर कर लें कफ्यूजन

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Pitru Paksha 2025: पितृ पक्ष 7 सितंबर से 14 दिन चलेगा. राकेश चतुर्वेदी के अनुसार श्राद्ध पूर्णिमा पर नहीं, मृतक की पुण्यतिथि या अमावस्या पर करें. श्राद्ध न करने से जीवन में परेशानियां आती हैं.

Pitru Paksha 2025: अगर किसी की मौत हो जाए तो उसका पहला श्राद्ध कब करना चाहिए?जानिए, पितृ का पहला श्राद्ध कब करना चाहिए. (AI)
Pitru Paksha 2025: इस साल पितृ पक्ष की शुरुआत 7 सितंबर 2025 से हो रही है. पितृ पक्ष का प्रारंभ अश्विन कृष्ण प्रतिपदा तिथि से होता है. पितृ पक्ष 14, 15 या 16 दिनों का होता है. तिथियों के कम या ज्यादा होने पर इसके दिन घट या बढ़ जाते हैं. इस बार पितृ पक्ष 14 दिन चलेंगे. इस दौरान लोग अपने पितरों को याद कर तर्पण, पिंडदान, श्राद्ध, दान, ब्राह्मण भोज, पंचबलि आदि करते हैं. माना जाता है कि ऐसा करने से पितर खुश होते हैं और तृप्त होकर आशीर्वाद देते हैं. लेकिन, तर्पण को लेकर लोगों में कुछ ऐसी भी भ्रांतियां होती हैं, जिसके चक्कर में लोग गलती कर बैठते हैं. ऐसी ही एक भ्रांति है कि घर में किसी की मौत हो जाए तो वह पहली श्राद्ध कब करें? क्या पूर्णिमा पर श्राद्ध कर सकते हैं? वरसी के बाद श्राद्ध करना कितना सही? इस बारे में बता रहे हैं नोएडा के ज्योतिर्विद और वास्तु विशेषज्ञ राकेश चतुर्वेदी-

मृतक का पहला श्राद्ध कब करें

सही जानकारी न होने की वजह से कुछ लोग स्वजन की मृत्यु के पश्चात प्रथम वर्ष में श्राद्ध कर देते हैं तो कुछ कभी भी नहीं करते. कई ऐसे भी लोग हैं जो तीसरे वर्ष में श्राद्ध करते हैं. लेकिन, ऐसा करना गलत है. ज्योतिषाचार्य के मुताबिक, श्राद्ध कभी भी पूर्णिमा पर नहीं, बल्कि तीसरे वर्ष में मृतक की पुण्यतिथि पर श्राद्ध करना अधिक शास्त्रोक्त है.
क्या वरसी के बाद श्राद्ध कर सकते हैं

निश्चित तौर पर पितृ की वार्षिकीय यानी वरसी के बाद श्राद्ध किया जा सकता है. बता दें कि, वार्षिकीय का मतलब मृतक के लिए साल में एक बार निकाला जाने वाला भोजन है. वार्षिकीय व्यक्ति की मृत्यु के सालभर के अंदर ही होती है. अगर आप चाहें तो पहली बार पड़ने वाली श्राद्ध की अमावस्या पर भी कर सकते हैं.

मृत्यु तिथि तथा पितृ पक्ष में श्राद्ध करना कितना सही

सनातन परंपरा में मृत्यु तिथि तथा पितृ पक्ष में श्राद्ध करना आवश्यक है.श्राद्ध से केवल अपनी तथा अपने पितरों की ही संतृप्ति नहीं होती, अपितु जो व्यक्ति इस प्रकार विधिपूर्वक अपने धन के अनुरूप श्राद्ध करता है, वह ब्रह्मा से लेकर घास तक समस्त प्राणियों को संतृप्त कर देता है. पितृ पक्ष में मृत व्यक्ति की जो तिथि आए, उस तिथि पर मुख्य रूप से पावर्ण, महालया श्राद्ध करने का विधान है. किसी का भी श्राद्ध आरंभ में पूर्णिमा तिथि से करना पूर्णतया गलत है.

पितृ का श्राद्ध न करें तो क्या होगा

मृतक की आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध, तर्पण और दान करना बेहद जरूरी है. माना जाता है कि, ऐसा करने से पितृ प्रसन्न होते हैं. साथ ही पितृऋण से भी हमको मुक्ति मिलती है. मार्कंडेय पुराण के अनुसार, जो व्यक्ति पितृ पक्ष के दौरान पूर्वजों के निमित्त श्राद्ध कर्म नहीं करता है, उसके जीवन कोई न कोई परेशानी हमेशा बनी रहती है. व्यक्ति को जीवन में संपत्ति और संतति से जुड़ी परेशानी हो सकती है. साथ ही, कई और गंभीर परिणाम व्यक्ति को भुगतने पड़ सकते हैं.

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Pitru Paksha 2025: अगर किसी की मौत हो जाए तो उसका पहला श्राद्ध कब करना चाहिए?


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