Home Astrology Pitru Paksha 2025: पितृपक्ष में श्राद्ध की कैसे हुई थी शुरुआत? दानवीर...

Pitru Paksha 2025: पितृपक्ष में श्राद्ध की कैसे हुई थी शुरुआत? दानवीर कर्ण से क्या है कनेक्शन, पढ़ें रोचक कहानी

0


Last Updated:

Pitru Paksha Karna Story: पितृपक्ष की शुरुआत महाभारत के कर्ण से जुड़ी है, जिन्होंने स्वर्ग में तर्पण न करने की गलती सुधारने हेतु 16 दिन पृथ्वी पर पूर्वजों को भोजन अर्पित किया था.

पितृपक्ष में श्राद्ध की कैसे हुई थी शुरुआत? दानवीर कर्ण से क्या है कनेक्शनपितृपक्ष में श्राद्ध की कैसे हुई शुरुआत? पढ़िए दानवीर कर्ण की रोचक कहानी. (AI)
Pitru Paksha Karna Story: सनातन धर्म में पितृपक्ष का बहुत महत्व है. आज यानी 14 सितंबर को पितृपक्ष का 9वां श्राद्ध है. इसकी 7 सितंबर से शुरुआत और समापन 21 सितंबर 2025 को होगा. पितृपक्ष 16 दिन चलता है और इन महत्वपूर्ण दिनों में पूर्वजों को याद किया जाता है. इन दिनों में मृतात्माओं के नाम पर श्रद्धा पूर्वक जो अन्न-जल, वस्त्र ब्राह्मणों को दान दिया जाता है. वह सूक्ष्म रूप से उन्हें प्राप्त हो जाता है और पितृ लोग संतुष्ट होकर पूरे वर्ष आशीष की वर्षा करते रहते हैं. मान्यता है कि पितृ पक्ष में श्राद्ध करने से पितर प्रसन्न होते हैं. ज्योतिष आचार्यों की मानें तो, पितृपक्ष का श्राद्ध महाभारत काल के दानवीर कर्ण से जुड़ा है. कहा जाता है कि सबसे पहले कर्ण ने ही श्राद्ध किया था. तो आइए पितृपक्ष के श्राद्ध पर पढ़ते हैं कर्ण की रोचक कहानी-

कर्ण ने मरने के बाद पितरों का तर्पण कैसे किया

महाभारत कथा के अनुसार, दानवीर कर्ण जब अपनी मृत्यु के बाद स्वर्गलोक में पहुंचे, तो उन्हें अन्न की जगह केवल सोना ही मिला. यह सब देखकर दानवीर कर्ण हैरान हो गए. तब उनकी आत्मा ने देवराज इंद्र से पूछा कि उन्हें खाने में सोने की चीजें क्यों दी जा रही है? इस पर स्वर्गलोक के देवता देवराज इंद्र ने कर्ण को बताया कि उन्होंने अपने जीवन के समय एक ऐसी बड़ी भूल कर दी है, जिसके कारण तुम्हें भी सोना ही खाने को दिया गया. असल में कर्ण ने अपने पितरों का कभी भी तर्पण या श्राद्ध नहीं किया था.
स्वर्गलोक से तर्पण के लिए कर्ण को धरती पर भेजा

देवराज इंद्र का उत्तर सुन कर्ण ने हाथ जोड़कर कहा कि उन्हें नहीं पता था कि, उनके पूर्वज कौन हैं और वे किस कुल से संबंध रखते हैं. वास्तविक पितरों के भ्रम में वे कुछ दान नहीं कर पाए. उन्होंने कहा, कि मृत्यु होने से कुछ समय पहले ही उन्हें यह रहस्य पता चला था कि वे वास्तव में कुंती पुत्र हैं. कर्ण की व्यथा सुनकर देवराज इंद्र ने सही मानी. इसके बाद स्वर्ग से कर्ण को अपनी गलती सुधारने के लिए मौका दिया गया और उन्हें दोबारा 16 दिनों के लिए वापस पृथ्वी पर भेजा गया. इसके बाद 16 दिनों तक कर्ण ने अपने पूर्वजों को याद करते हुए उन्हें भोजन अर्पित किया. तब से लेकर इसी 16 दिनों को पितृ पक्ष कहा जाने लगा.

न्यूज़18 को गूगल पर अपने पसंदीदा समाचार स्रोत के रूप में जोड़ने के लिए यहां क्लिक करें।
homedharm

पितृपक्ष में श्राद्ध की कैसे हुई थी शुरुआत? दानवीर कर्ण से क्या है कनेक्शन


.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.

https://hindi.news18.com/news/dharm/pitru-paksha-2025-story-of-karna-revealed-in-pitru-paksha-mystery-and-importance-of-shraddha-ws-kln-9620630.html

NO COMMENTS

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Exit mobile version