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Shanishchari Amavasya 2025 Date: चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को चैत्र अमावस्या कहते हैं लेकिन यह अमावस्या शनिवार के दिन पड़ रही है, जिससे इस तिथि को शनि अमावस्या या शनिश्चरी अमावस्या के नाम से जाना…और पढ़ें

28 या 29 कब है साल की पहली शनिश्चरी अमावस्या
हाइलाइट्स
- शनि अमावस्या 2025 की पहली अमावस्या 29 मार्च को है.
- शनि अमावस्या पर शनिदेव की पूजा से शनि दोष में कमी आती है.
- शनि अमावस्या पर पीपल के पेड़ के नीचे दीपक जलाएं.
Shanishchari Amavasya 2025: हिंदू धर्म में अमावस्या तिथि का विशेष महत्व माना जाता है और यह तिथि पितरों को समर्पित मानी जाती है. अमावस्या तिथि कृष्ण पक्ष के अंतिम दिन होती है और इस दिन आकाश में चांद दिखाई नहीं देता है. लेकिन इस बार अमावस्या तिथि पर सूर्य ग्रहण लग रहा है और इस दिन शनिवार भी है. शनिवार के दिन पड़ने वाली अमावस्या को शनि अमावस्या या शनिश्चरी अमावस्या कहा जाता है. यह शनिश्चरी अमावस्या साल 2025 की पहली अमावस्या है. इस तिथि पर शनिदेव की पूजा करने से शनि दोष, साढ़ेसाती व ढैय्या के अशुभ प्रभाव में कमी आती है और शनिदेव के आशीर्वाद से जीवन में सुख-शांति और समृद्धि आती है. आइए जानते हैं साल 2025 की पहली शनिश्चरी अमावस्या कब है, पूजा मुहूर्त और महत्व…
शनिश्चरी अमावस्या का महत्व
स्कंद, पद्म और कई अन्य पुराणों के अनुसार, चैत्र मास में पड़ने वाली शनि अमावस्या के दिन पवित्र नदियों में स्नान, दान, पिंडदान व तर्पण करने से मनुष्य के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं. शनिदोष, शनि ढैय्या व साढ़ेसाती के अशुभ प्रभाव को कम करने के लिए शनि अमावस्या का बेहद महत्व बताया गया है. शनि अमावस्या के दिन शनिदेव और महादेव की पूजा अर्चना और दान करने से कई यज्ञों के बराबर पुण्य फल मिलता है. साथ ही इस तिथि पर तर्पण और श्राद्ध करने से पितर प्रसन्न होते हैं और पितृदोष से मुक्ति भी मिलती है. शनि अमावस्या के दिन शनिदेव की कृपा पाने के लिए शनि से संबंधित चीजें जैसे काले तिल, सरसों का तेल, उड़द दाल आदि का दान करना और पीपल की पूजा करना बहुत शुभ माना गया है.
शनिश्चरी अमावस्या कब है?
अमावस्य तिथि का प्रारंभ – 28 मार्च, शाम 7 बजकर 55 मिनट से
अमावस्या तिथि का समापन – 29 मार्च, शाम 4 बजकर 27 मिनट पर
उदिया तिथि को मानते हैं अमावस्या का पर्व 29 मार्च दिन शनिवार को मनाया जाएगा, चूंकि यह तिथि शनिवार के दिन पड़ रही है इसलिए इस तिथि को शनिश्चरी अमावस्या भी कहा जाएगा.
शनि अमावस्या का स्नान मुहूर्त – 29 मार्च, सुबह 4 बजकर 42 मिनट से 5 बजकर 29 मिनट तक
शनि अमावस्या पूजा मुहूर्त – 29 मार्च, सुबह 5 बजकर 6 मिनट से 10 बजकर 12 मिनट तक
शनि अमावस्या पूजा मंत्र
1- ॐ शं शनैश्चराय नमः
2– ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं श्रीं शनैश्चराय नमः
3- ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः
4- ॐ भूर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो न: प्रचोदयात्
शनिश्चरी अमावस्या पूजा विधि
1- शनि अमावस्या के दिन ब्रह्म मुहूर्त में पवित्र नदी व तालाब में स्नान करें. अगर ऐसा संभव नहीं है तो आप घर पर ही स्नान के पानी में गंगाजल डाल लें और स्नान कर लें.
2- स्नान व ध्यान करने के बाद व्रत का संकल्प लें और घर के मंदिर में दीपक जलाएं और सूर्यदेव को अर्घ्य दें.
3– इस दिन सुबह सुबह शनि मंदिर में जाकर साफ सफाई भी करें.
4- विधिवत रूप से पूजा अर्चना करें और शनिदेव पर सरसों का तेल में काले तिल मिलाकर अभिषेक करें.
5– पितृ दोष से संबंधित कार्य करें और उनके निमित्त तर्पण करें और पितरों के नाम का दान करें.
6- इस दिन शनिदेव को नीले फूल अर्पित करें और शनि चालीसा या शनि स्त्रोत का पाठ कर सकते हैं.
7- शनि अमावस्या के दिन पीपल के वृक्ष के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाएं.
8- शनि मंत्रों का जप करें और शनि से संबंधित चीजों का दान करें.
शनि अमावस्या पर करें ये उपाय
1- शनि अमावस्या पर पीपल के पेड़ के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाएं.
2- शनि अमावस्या पर तेल में बनी हुई पूड़ी का शनिदेव को भोग लगाएं.
3- शनिदेव के सामने सरसों के तेल का दीपक जलाएं और शनि मंत्र व दशरथ कृत शनि स्तोत्र का पाठ करें.
4- पितृ दोष से मुक्ति के लिए शनि अमावस्या के दिन चावल की खीर बनाकर गोबर के उपले जला लें और फिर पितरों के नाम की खीर का भोग लगाएं.
5- शनिदेव की पूजा करते समय 5, 7, 11 या 21 बार मंत्रों का जप करें और शनि आरती करें.
6- कांसे के कटोरे को सरसों या तिल के तेल से भरकर उसमें अपना चेहरा देखकर दान कर दें.
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