Home Astrology shiv gupta in Guptakashi Uttarakhand history | उत्तराखंड में गुप्त रूप से...

shiv gupta in Guptakashi Uttarakhand history | उत्तराखंड में गुप्त रूप से क्यों विराजमान हैं भोलेनाथ? जानिए पौराणिक कथा

0


Last Updated:

उत्तराखंड को देव भूमि कहा जाता है और यहां के कण कण में देवी देवताओं का वास है. यह पूरा स्थान कई रहस्यों और चमत्कारों से भरा हुआ है. उत्तराखंड में एक स्थान है, जिसे गुप्त काशी या छिपी हुई काशी कहा जाता है और यहां भगवान शिव स्वयं गुप्त रूप से विराजमान हैं. आइए जानते हैं इस स्थान से जुड़ी पौराणिक कथाओं के बारे में…

Bholenath Shiv In Guptakashi: उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में बसा गुप्तकाशी एक ऐसा तीर्थस्थल है, जो रहस्यों और भक्ति दोनों से भरा हुआ है. गुप्तकाशी का संबंध पौराणिक कथाओं और आध्यात्मिक परंपराओं में निहित है, इस जगह को छिपी हुई काशी भी कहा जाता है. यह स्थान पांडवों द्वारा भगवान शिव से माफी मांगने की कहानी के कारण बेहद महत्वपूर्ण तीर्थस्थल बना हुआ है. समुद्र तल से करीब 1,319 मीटर की ऊंचाई पर स्थित यह स्थान अपने नाम की तरह ही गुप्त रहस्यों को समेटे हुए है. यहां स्थित विश्वनाथ मंदिर भगवान शिव का वह धाम है, जहां वे स्वयं गुप्त रूप में विराजमान हैं. आइए जानते हैं आखिर उत्तराखंड में भोलेनाथ गुप्त रूप से क्यों विराजमान हैं…

इसलिए पड़ा गुप्तकाशी नाम
पौराणिक कथा के अनुसार, महाभारत युद्ध के बाद जब पांडव अपने पापों से मुक्ति पाने के लिए भगवान शिव की शरण में आए, तो शिव उनसे रुष्ट होकर हिमालय के इस क्षेत्र में छिप गए. पांडवों ने बहुत तपस्या की, लेकिन भगवान शिव गुप्त ही रहे. यही कारण है कि इस जगह का नाम गुप्तकाशी पड़ा. हालांकि, बाद में शिवजी केदारनाथ में प्रकट हुए, लेकिन उनकी इस लीला ने गुप्तकाशी को पवित्र बना दिया.

प्रेम कथा का एक अहम हिस्सा गुप्तकाशी
यही नहीं, गुप्तकाशी भगवान शिव और माता पार्वती की प्रेम कथा का भी एक अहम हिस्सा है. मान्यता है कि यहीं मां पार्वती ने भगवान शिव को विवाह का प्रस्ताव दिया था. वर्षों की कठोर तपस्या के बाद जब पार्वती ने शिव का हृदय जीता, तब गुप्तकाशी में ही उनके विवाह की बात तय हुई. बाद में उनका विवाह त्रियुगी नारायण मंदिर में संपन्न हुआ, लेकिन उस दिव्य मिलन की शुरुआत यहीं हुई थी. इसलिए यह स्थान उन श्रद्धालुओं के लिए खास है जो वैवाहिक सुख, प्रेम और एकता की कामना करते हैं.

वातावरण और भक्ति का माहौल पवित्र
मंदिर की बनावट भी अद्भुत है. पत्थरों से बना यह प्राचीन मंदिर नागर शैली की झलक दिखाता है. गर्भगृह में स्थित शिवलिंग अत्यंत प्राचीन है और यहां की अर्धनारीश्वर मूर्ति शिव और शक्ति के संतुलन की प्रतीक मानी जाती है. मंदिर के सामने दो पवित्र धाराएं गंगा और यमुना बहती हैं, जिनका जल बेहद शुद्ध और पवित्र माना जाता है. यहां एक अक्षय दीपक भी सदैव जलता रहता है, जिसे भगवान शिव की अनंत उपस्थिति का प्रतीक माना जाता है. कहा जाता है कि केदारनाथ की यात्रा तब तक पूर्ण नहीं मानी जाती जब तक भक्त गुप्तकाशी के विश्वनाथ मंदिर में दर्शन न करें. यहां की ऊर्जा, वातावरण और भक्ति का माहौल इतना पवित्र है कि यहां आने वाले हर भक्त के मन को शांति और आत्मिक सुकून की अनुभूति होती है.

Parag Sharma

मैं धार्मिक विषय, ग्रह-नक्षत्र, ज्योतिष उपाय पर 8 साल से भी अधिक समय से काम कर रहा हूं। वेद पुराण, वैदिक ज्योतिष, मेदनी ज्योतिष, राशिफल, टैरो और आर्थिक करियर राशिफल पर गहराई से अध्ययन किया है और अपने ज्ञान से प…और पढ़ें

मैं धार्मिक विषय, ग्रह-नक्षत्र, ज्योतिष उपाय पर 8 साल से भी अधिक समय से काम कर रहा हूं। वेद पुराण, वैदिक ज्योतिष, मेदनी ज्योतिष, राशिफल, टैरो और आर्थिक करियर राशिफल पर गहराई से अध्ययन किया है और अपने ज्ञान से प… और पढ़ें

न्यूज़18 को गूगल पर अपने पसंदीदा समाचार स्रोत के रूप में जोड़ने के लिए यहां क्लिक करें।
homedharm

उत्तराखंड में गुप्त रूप से क्यों विराजमान हैं भोलेनाथ? जानिए पौराणिक कथा


.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.

https://hindi.news18.com/news/dharm/why-bholenath-shiv-gupta-in-guptakashi-uttarakhand-know-history-and-shiv-or-parvati-ki-prem-kahani-ws-kl-9827571.html

NO COMMENTS

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Exit mobile version