Home Astrology Tripur Bhairavi Jayanti Kab Hai 2025 Date muhurat | tripura bhairavi kon...

Tripur Bhairavi Jayanti Kab Hai 2025 Date muhurat | tripura bhairavi kon hai | त्रिपुर भैरवी जयंती कब है? जानें तारीख, शुभ मुहूर्त, महत्व

0


Tripur Bhairavi Jayanti Kab Hai 2025 Date: त्रिपुर भैरवी जयंती हर साल मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को मनाई जाती है. मां त्रिपुर भैरवी 10 महाविद्याओं में से एक देवी हैं. इनको 5वीं महाविद्या भी कहा जाता है. मां त्रिपुर भैरवी की पूजा करने से शत्रुओं पर जीत हासिल होती है, करियर में उन्नति की प्राप्ति होती है. इनकी कृपा जिस पर होती है, उसके भय का नाश हो जाता है. त्रिपुर भैरवी माता महाकाली का ही एक स्वरूप हैं. उनसे ही भैरवी की उत्पत्ति हुई है. आइए जानते हैं कि त्रिपुर भैरवी जयंती कब है? त्रिपुर भैरवी की पूजा का मुहूर्त क्या है?

त्रिपुर भैरवी जयंती कब?

दृक पंचांग के अनुसार, त्रिपुर भैरवी जयंती के लिए मार्गशीर्ष पूर्णिमा तिथि की शुरूआत 4 दिसंबर को सुबह 08:37 ए एम बजे से होने वाला है. इस तिथि का समापन 5 दिसंबर को प्रात: 04:43 ए एम बजे होना है. ऐसे में उदयातिथि नहीं प्राप्त हो रही है, तो पूर्णिमा को चंद्रोदय समय के अनुसार त्रिपुर भैरवी जयंती 4 दिसंबर दिन गुरुवार को मनाई जाएगी.

त्रिपुर भैरवी जयंती मुहूर्त

4 दिसंबर को त्रिपुर भैरवी जयंती के दिन ब्रह्म मुहूर्त 05:10 ए एम से 06:04 ए एम तक रहेगा. यह समय स्नान के लिए उत्तम होता है. वहीं दिन का शुभ समय यानि अभिजीत मुहूर्त 11:50 ए एम से दोपहर 12:32 पी एम तक है. निशिता पूजा का मुहूर्त रात में 11:45 पी एम से लेकर देर रात 12:39 ए एम तक है. तंत्र-मंत्र की सिद्धि के लिए निशिता मुहूर्त सही मानी जाती है.

रवि योग में त्रिपुर भैरवी जयंती

त्रिपुर भैरवी जयंती के दिन 3 शुभ योग बन रहे हैं. उस दिन रवि योग, शिव योग और सिद्ध योग बनेंगे. रवि योग सुबह में 06:59 ए एम से लेकर दोपहर 02:54 पी एम तक रहेगा. वहीं शिव योग प्रात:काल से लेकर दोपहर 12:34 पी एम तक है, उसके बाद से सिद्ध योग बनेगा.

शिव योग साधना, जप, तप के लिए अच्छा माना जाता है, जबकि सिद्ध योग में किए गए कार्य सफल होते हैं. त्रिपुर भैरवी जयंती के दिन कृत्तिका नक्षत्र प्रात:काल से लेकर दोपहर 02:54 पी एम तक है, उसके बाद से रोहिणी नक्षत्र है.

त्रिपुर भैरवी की उत्पत्ति कथा

पौराणिक कथा के अनुसार, महाकाली को एक बार मन में फिर से गौर वर्ण पाने का विचार आया तो वो कैलाश से कहीं चली गईं. जब शिव जी ने देखा कि महाकाली उनके पास नहीं हैं तो वे नारद जी से उनके बारे में पूछते हैं. तो नारद जी बताते हैं कि माता महाकाली सुमेरु पर्वत के उत्तर में प्रकट हुई हैं.

​​शिव आज्ञा से नारद जी देवी के पास पहुंचते हैं और देवी के समक्ष शिव जी से विवाह का प्रस्ताव रखते हैं. इससे देवी नाराज हो जाती हैं और फिर वहीं उनके शरीर से देवी भैरवी प्रकट होती हैं. तंत्र शास्त्र के अनुसार देवी त्रिपुर भैरवी महाकाली का उग्र स्वरूप हैं.


.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.

https://hindi.news18.com/news/dharm/tripur-bhairavi-jayanti-kab-hai-2025-date-muhurat-ravi-yoga-tripura-bhairavi-kon-hai-ws-e-9880964.html

NO COMMENTS

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Exit mobile version