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Uchchhishta Ganapati Temple tirunelveli history in hindi | lord ganesha aghori swaroop | एशिया का सबसे बड़ा उच्छिष्ट गणपति मंदिर | भगवान गणेश का अघोरी रूप वाला मंदिर

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Uchchhishta Ganapati Temple: तमिलनाडु के तिरुनेलवेली जिले में एक गणपति मंदिर है, जो एशिया का सबसे बड़ा उच्छिष्ट गणपति मंदिर है. इसमें भगवान गणेश का अघोरी स्वरूप है, जो अपनी पत्नी के साथ विराजमान हैं. भगवन गणेश ने यह डरावना स्वरूप क्यों धारण किया? आइए जानते हैं इस मंदिर की विशेषता और महत्व के बारे में.

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तिरुनेलवेली का उच्छिष्ट गणपति मंदिर. (IANS)

Uchchhishta Ganapati Temple: प्रथम पूज्य भगवान गणेश के देशभर में कई मंदिर हैं, जहां सात्विक रूप में उनकी पूजा की जाती है, लेकिन क्या आप भगवान गणेश के अघोरी रूप को जानते हैं, जिसे देखकर आप सोचने पर मजबूर हो जाएंगे. तमिलनाडु में उच्छिष्ट गणपति का मंदिर है, जहां भगवान गणेश अघोरी और आलिंगन की अवस्था में अपनी पत्नी के साथ विराजमान हैं.

भगवान गणेश का अघोरी रूप वाला मंदिर

तमिलनाडु में तिरुनेलवेली जिले के मेहलिंगपुरम के पास उच्छिष्ट गणपति मंदिर है. मंदिर बहुत बड़े परिसर में बना है और मंदिर का राजगोपुरम बड़ा और पांच मंजिला है. राजगोपुरम पर देवी-देवताओं की नक्काशी बनी है, जिसे रंग-बिरंगे पेंट से सजाया गया है.

ये मंदिर एशिया का सबसे बड़ा उच्छिष्ट गणपति मंदिर है. यह मंदिर अपने नाम की तरह ही बाकी मंदिरों से अलग है. इस मंदिर में भगवान गणेश अघोरी रूप में अपनी पत्नी (नील सरस्वती) के साथ विराजमान हैं.

पत्नी संग आलिंगन मुद्रा में भगवान गणेश

मंदिर के गर्भगृह में भगवान गणेश अपनी पत्नी के साथ आलिंगन की मुद्रा में हैं. प्रतिमा में भगवान गणेश की सूंड उनकी पत्नी की नाभि पर है. यह भगवान गणेश की पहली प्रतिमा है, जिसमें वे अपनी पत्नी के साथ आलिंगन की मुद्रा में हैं.

अघोरी रूप लेने की वजह

माना जाता है कि एक राक्षस का वध करने के लिए भगवान गणेश ने अघोरी रूप लिया था. भगवान गणेश अकेले उस राक्षस का वध नहीं कर सकते थे, इसलिए उन्होंने शक्ति नील सरस्वती को प्रकट किया और दोनों ने मिलकर असुर का वध किया.

दर्शन से संतान की होती है प्राप्ति

मान्यता है कि उच्छिष्ट गणपति मंदिर की इस प्रतिमा के दर्शन करने से दंपत्ति को गुणी संतान की प्राप्ति होती है. साथ ही जिन दंपत्तियों को संतान प्राप्ति में परेशानी होती है, उन्हें भी उच्छिष्ट गणपति के दर्शन जरूर करने चाहिए. मनोकामना पूरी होने पर भक्त मंदिर में आकर भगवान गणेश और नील सरस्वती का अभिषेक कराते हैं और यंत्र, मंत्र जाप और आरती से भगवान का धन्यवाद करते हैं.

तंत्र सिद्धियों की होती है पूर्ति

उच्छिष्ट गणपति भगवान गणेश का एक तांत्रिक रूप है, जिनकी पूजा तांत्रिक अपने सिद्धियों को प्राप्त करने के लिए करते हैं. यहां उच्छिष्ट का मतलब ही है बचा हुआ आखिरी भोजन. ये रूप गणपति के 32 रूपों में से एक है, जिसकी साधारण तौर पर बाकी देवी-देवताओं से अलग पूजा होती है.

कार्तिकेय तिवारी

कार्तिकेय तिवारी Hindi Bharat.one Digital में Deputy News Editor के पद पर कार्यरत हैं. वर्तमान में धर्म, ज्योतिष, वास्तु और फेंगशुई से जुड़ी खबरों पर काम करते हैं. पत्रकारिता में 12 वर्षों का अनुभव है. डिजिटल पत्रक…और पढ़ें

कार्तिकेय तिवारी Hindi Bharat.one Digital में Deputy News Editor के पद पर कार्यरत हैं. वर्तमान में धर्म, ज्योतिष, वास्तु और फेंगशुई से जुड़ी खबरों पर काम करते हैं. पत्रकारिता में 12 वर्षों का अनुभव है. डिजिटल पत्रक… और पढ़ें

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सबसे बड़ा उच्छिष्ट गणपति मंदिर, जहां अघोरी हैं भगवान गणेश, क्यों लिया यह रूप?


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