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Kapal Kriya In Antim Sankar : कपाल क्रिया केवल एक रस्म नहीं है, बल्कि यह मृत्यु के बाद आत्मा की मुक्ति की दिशा में किया गया एक अंतिम प्रयास होता है. यह दर्शाता है कि हिंदू परंपरा में मृत्यु को भी कितनी श्रद्धा …और पढ़ें

क्या है कपाल क्रिया?
हाइलाइट्स
- कपाल क्रिया आत्मा की मुक्ति के लिए की जाती है.
- सिर का भाग देर से जलता है, इसलिए तोड़ा जाता है.
- तांत्रिक विधियों से बचाव के लिए सिर तोड़ा जाता है.
Kapal Kriya In Antim Sankar : हिंदू धर्म में मृत्यु को अंत नहीं, बल्कि एक नई यात्रा की शुरुआत माना जाता है. जब किसी व्यक्ति का जीवन समाप्त होता है, तो उसका अंतिम संस्कार अग्नि को समर्पित कर किया जाता है. इस पूरे संस्कार में एक विशेष क्रिया होती है जिसे कपाल क्रिया कहा जाता है. यह क्रिया तब की जाती है जब शव जल रहा होता है और इसमें मृतक के सिर पर लकड़ी से वार किया जाता है. देखने में यह थोड़ा अजीब जरूर लगता है, लेकिन इसके पीछे गहरी मान्यताएं और विशेष कारण छिपे हैं. क्या है इसके पीछे का कारण आइए जानते हैं भोपाल निवासी ज्योतिषी एवं वास्तु सलाहकार पंडित हितेंद्र कुमार शर्मा से.
कपाल क्रिया शव जलाने की प्रक्रिया का एक अहम हिस्सा मानी जाती है. जब किसी की मृत्यु होती है, तो उसके पार्थिव शरीर को अंतिम दर्शन के बाद श्मशान ले जाया जाता है. वहां मुखाग्नि देने के बाद चिता में आग लगा दी जाती है. शरीर धीरे धीरे जलता है, लेकिन सिर यानी कपाल का हिस्सा बहुत देर से जलता है. ऐसे में, एक विशेष समय पर लकड़ी से सिर को तोड़ा जाता है. इसे ही कपाल क्रिया कहा जाता है.
अब सवाल उठता है कि ऐसा करना क्यों जरूरी होता है?
-इसका पहला कारण यह है कि सिर का भाग बाकी शरीर की तुलना में अधिक मजबूत होता है और देर से जलता है. इसलिए उसे तोड़ना जरूरी हो जाता है, ताकि वह भी पूरी तरह अग्नि में समर्पित हो सके.
-दूसरा कारण यह माना जाता है कि जब सिर खोला जाता है, तब आत्मा को शरीर से पूरी तरह अलग होने में सहायता मिलती है. इससे आत्मा अपनी अगली यात्रा पर निकल सकती है.
-तीसरा और महत्वपूर्ण कारण यह है कि कुछ तांत्रिक विधियों में शवों के सिर का गलत इस्तेमाल किया जाता है. पुराने समय में यह माना जाता था कि तांत्रिक लोग चिता से अधजले कपाल को निकालकर उसे साधना में प्रयोग करते थे. ऐसे में सिर को पूरी तरह तोड़कर जलाना, इस खतरे को रोकने का तरीका माना गया.
ध्यान देने वाली बात यह भी है कि जो व्यक्ति योग या सन्यास के मार्ग पर होते हैं, उनका दाह संस्कार सामान्य तरीके से नहीं किया जाता. उन्हें ज़मीन में समाधि दी जाती है, क्योंकि वे पहले ही सांसारिक बंधनों से मुक्त माने जाते हैं. इसलिए उनके साथ कपाल क्रिया जैसी प्रक्रिया की आवश्यकता नहीं होती.
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https://hindi.news18.com/news/dharm/why-do-hit-stick-on-deadbody-aster-funeral-rites-know-secrets-of-kapal-kriya-ws-kl-9190020.html