Mahabharat Facts: महाभारत सिर्फ एक युद्ध की कहानी नहीं है, बल्कि ऐसे अनगिनत रहस्यों से भरी हुई गाथा है जिन्हें सुनकर आज भी लोग हैरान रह जाते हैं. हर घटना के पीछे कोई न कोई बड़ी वजह छुपी रहती है, खासकर जब बात आती है भगवान श्री कृष्ण की लीलाओं की. श्री कृष्ण को पूरे संसार का मार्गदर्शक, न्याय का रक्षक और धर्म को बचाने वाला माना जाता है. यही वजह है कि लोग अक्सर सोच में पड़ जाते हैं कि अगर कृष्ण इतने न्यायप्रिय थे, तो फिर उन्होंने शिशुपाल जैसे व्यक्ति को इतनी छूट क्यों दी? आखिर क्यों उन्होंने 100 अपराध होने तक उसे कुछ नहीं कहा? क्या वजह थी कि वही कृष्ण, जो गलत को कभी बर्दाश्त नहीं करते थे, वही शिशुपाल की गलतियां गिन-गिन कर माफ करते रहे? इस किले के पीछे सिर्फ एक भावुक कहानी ही नहीं, बल्कि एक गहरी सीख भी छुपी है. महाभारत में शिशुपाल का किरदार जितना कड़वा दिखता है, उतनी ही दिल को छूने वाली है उसकी जन्म से जुड़ी कहानी. उसके जन्म के साथ जो अनहोनी जुड़ी थी, उसने श्री कृष्ण के फैसले को एक अलग मोड़ दिया. इसी वजह से श्री कृष्ण ने शिशुपाल की गलतियों पर उस समय तक चुप्पी बनाए रखी, जब तक उसकी गालियों की गिनती 100 तक नहीं पहुंच गई.
आज हम उसी किस्से को सरल और साफ शब्दों में समझेंगे –
श्री कृष्ण ने शिशुपाल को आखिर 100 अपराधों की छूट क्यों दी?
और क्या था वह पल जब कृष्ण ने उसके जीवन का अंत किया?
शिशुपाल का अद्भुत और डराने वाला जन्म
शिशुपाल कृष्ण की बुआ का बेटा था. उसका जन्म बेहद अजीब हालात में हुआ. जब वह पैदा हुआ, तो उसके पास तीन आंखें और चार हाथ थे. यह देखकर उसके माता-पिता घबरा गए और सोचा कि यह बच्चा कहीं किसी बड़ी मुसीबत का संकेत तो नहीं. उसी समय आकाशवाणी हुई कि इस बच्चे को छोड़ना नहीं है, क्योंकि समय आने पर उसके एक हाथ और एक आंख अपने आप गायब हो जाएंगे. साथ ही यह भी बताया गया कि जिस व्यक्ति की गोद में आते ही ये अतिरिक्त अंग गायब होंगे, वही उसके जीवन का अंत करेगा.
श्री कृष्ण की गोद में आते ही हुआ चमत्कार
-कुछ समय बाद, जब शिशुपाल को कृष्ण की गोद में रखा गया, तो वही हुआ जिसकी आकाशवाणी में चेतावनी दी गई थी.
-उसकी एक आंख और एक हाथ गायब हो गए. यह देखकर कृष्ण की बुआ बेहद डर गईं. उन्होंने कृष्ण से विनती की कि वे उनके बेटे को बचाएं और उसकी गलतियों को माफ करें.
श्री कृष्ण ने अपनी बुआ को शांत करते हुए कहा-
“मैं शिशुपाल की 100 गलतियां माफ करूंगा, लेकिन 101वीं गलती पर वह दंड से नहीं बच पाएगा.”
यह वचन, कृष्ण के मन में प्रेम और जिम्मेदारी दोनों का मेल था.
रुक्मणि को लेकर शिशुपाल की बढ़ती नाराजगी
शिशुपाल, रुक्मणि के भाई रुक्म का बहुत करीबी दोस्त था. शिशुपाल रुक्मणि से शादी करना चाहता था और रुक्म भी इस रिश्ते से खुश था, लेकिन रुक्मणि के माता-पिता इस शादी के विरोध में थे. वे अपनी बेटी का विवाह श्री कृष्ण से करवाना चाहते थे. इसके बाद घटनाएं इस तरह बदलीं कि रुक्म ने अपनी बहन का विवाह जबरन शिशुपाल से तय कर दिया, लेकिन रुक्मणि ने कृष्ण को संदेश भेज दिया और कृष्ण उसे अपने साथ ले गए और उससे विवाह कर लिया. यहीं से शिशुपाल के मन में कृष्ण के लिए गुस्सा और नफरत बढ़ गई.
राजसूय यज्ञ में शिशुपाल की कड़वी बातें
जब युधिष्ठिर राजा बने, तो उन्होंने राजसूय यज्ञ का आयोजन किया. इसमें बड़े-बड़े राजा बुलाए गए, जिसमें कृष्ण और शिशुपाल भी शामिल थे.
यज्ञ के दौरान जब युधिष्ठिर ने कृष्ण का सम्मान किया, तो शिशुपाल आगबबूला हो गया.
वह उसी सभा में कृष्ण को बुरा-भला कहने लगा.
कृष्ण शांत रहे, क्योंकि उन्होंने बुआ से वचन लिया था.
शिशुपाल एक-एक कर गालियां देता रहा और कृष्ण मन ही मन उसकी गिनती करते रहे.

101वीं गलती और सुदर्शन चक्र का प्रहार
जब शिशुपाल ने 100 गालियां दे दीं और 101वीं गाली देने ही वाला था, तब कृष्ण ने अपना सुदर्शन चक्र उठा लिया.
101वीं अपमान होते ही कृष्ण ने चक्र घुमाया और शिशुपाल का अंत कर दिया.
यही वह पल था जब कृष्ण ने अपने वचन और धर्म -दोनों को निभाया.
(Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारियां और सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं. Hindi news18 इनकी पुष्टि नहीं करता है. इन पर अमल करने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से संपर्क करें.)
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