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RamNavami: किसान इस चैत्र नवमी को रबी फसलों के उपज की खुशी के उत्सव के रुप में भी मनाते हैं. बिहार और यूपी के इलाकों में चैत्र नवमी की रात बेरहीन (दाल भरकर बनाई गई पुड़ी) और रसियाव (गुड़ की बनी खीर) बनाकर मां द…और पढ़ें
चैत्र नवमी
हाइलाइट्स
- चैत्र नवमी को राम जन्मोत्सव और मां दुर्गा की पूजा के रूप में मनाया जाता है
- किसान रबी फसलों की उपज की खुशी में मनाते हैं चैत्र नवमी
- बिहार और यूपी में चैत्र नवमी की रात चढ़ाया जाता है बेरहीन और रसियाव का भोग
गोपालगंज. चैत्र नवमी हिंदू धर्म के मुख्य त्योहारों में से एक है. इस दिन को मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है. साथ ही इस दिन मां दुर्गा की पूजा भी की जाती है. चैत्र महीने के पहली तिथि से ही चैत्र नवरात्रि की शुरुआत होती है, जो नवमी के दिन मां दुर्गा के खास पूजा होती है. लेकिन इन दोनों परंपराओं के अलावा चैत्रनवमी से जुड़ी एक और परंपरा है, जो अपने आप में काफी खास है.
चैत्र नवमी की रात बेरहीन और रसियाव का चढ़ता है भोग
किसान इस चैत्र नवमी को रबी फसलों के उपज की खुशी के उत्सव के रुप में भी मनाते हैं. बिहार और यूपी के इलाकों में चैत्र नवमी की रात बेरहीन (दाल भरकर बनाई गई पुड़ी) और रसियाव (गुड़ की बनी खीर) बनाकर मां दूर्गा तथा अन्य देवी- देवताओं को अर्पित किया जाता है. खेतों से उपजे पांच नये अनाजों को मिलाकर बेरहीन बनाया जाता है. इसमें नये उपज वाली गेंहू का आटा की पुड़ी बनती है तथा उसमें नये मटर, चना, बकला आदि का दाल भरा जाता है.
की जाती है अनाज घर की संपन्नता की कामना
पंरपराओें के जानकार सदर प्रखंड के बरईपट्टी के रहने वाले किसान मिथिलेश कुमार बताते हैं कि कई बार ऐसा होता है कि चैत्र नवमी तक गेंहू तैयार नहीं रहती. ऐसे में कच्चे गेहू का पांच दाना भी जरूर डाला जाता है. बड़ी श्रद्धा से यह बेरहीन- रसियाव भगवान को अर्पित किया जाता है और भगवान से खेत तथा अनाज घर की संपन्नता की कामना की जाती है.
देवी स्थान पर कड़ाही चढ़ाने की है मान्यता
चैत्र नवमी के दिन मां दुर्गा को कड़ाही चढ़ाने की मान्यता भी है. महिलाएं गांव के दू्र्गा स्थान पर पहुंचती और मिट्टी की कड़ाही में पूड़ी बनाकर मां दुर्गा को समर्पित करती है. वहां से आने के बाद राम में घर पर बेरहीन तैयार किया जाता है और मीठा के रसियायव के साथ मां दुर्गा को समर्पित किया जाता है. इसके बाद भगवान राम के जन्म की खुशी में सोहर भी गाया जाता है. पूजा के बाद आसपास के लोगों में भी या प्रसाद का वितरण भी किया जाता है.
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