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इस कुंड में स्नान करने से होता है कालसर्प दोष का निवारण! राजस्थान में ये पहाड़ है नाग देवताओं का स्थान है

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Nag Kund Pushkar Rajasthan: राजस्थान के पुष्कर में एक ऐसा पहाड़ है, जिसे नाग देवताओं का स्थान माना जाता है. मान्यता है, कि यहां जिस किसी व्यक्ति की जन्म कुंडली में काल सर्प दोष होता है, तो नागपंचमी के दिन यहां …और पढ़ें

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पुष्कर नाग पहाड़ी

हाइलाइट्स

  • पुष्कर का नाग पहाड़ नाग देवताओं का स्थान है
  • नागपंचमी पर स्नान से कालसर्प दोष का निवारण होता है
  • नाग पहाड़ पर दुर्लभ सांपों की कई प्रजातियाँ निवास करती हैं

अजमेर:- राजस्थान का पुष्कर न केवल अपने धार्मिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि ये अपनी प्राकृतिक सुंदरता और पहाड़ों के लिए जाना जाता है. बता दें, यहां एक ऐसा पहाड़ है जिसे नाग पहाड़ के नाम से जाना जाता है . यह पहाड़ अजमेर और पुष्कर के बीच प्राकृतिक विभाजन रेखा का भी काम करता है. कहा जाता है कि यहां पर हजारों की संख्या में दुर्लभ सांप निवास करते हैं . इस पहाड़ को नाग देवताओं का स्थान भी कहा जाता है .

नागवंश के उदय स्थल का प्रतीक माना जाता है
इस बारे में सर्प मित्र सुखदेव भट्ट ने बताया, कि पांडवों ने अपने वनवास काल के दौरान नाग पहाड़ी के बीच पद्म पुराण में वर्णित नाग कुंड के पास निवास किया था. इस पहाड़ को नागवंश के उदय स्थल का प्रतीक भी माना जाता है. उन्होंने आगे बताया कि पुष्कर व आसपास के इलाकों में जब भी कोई सांप निकलता है, तो वह उसे पड़कर इसी पहाड़ पर सुरक्षित छोड़ते हैं . वे अब तक चेकर्ड, वोल्फ, गैलेक्सी बेलिड रेसर, रेट, सेंड बोवा, रॉयल, पायथन, कमान क्रेट, कमान ट्रीनकित, स्नैक आदि प्रजातियों के हजारों से भी अधिक संख्या में सांपों को पकड़ कर इस पहाड़ पर छोड़ चुके हैं .

कुंड में स्नान करने से मिलता है यह लाभ
भट्ट ने बताया कि पुष्कर की नाग पहाड़ी की तलहटी में स्थित पंचकुंड में अति प्राचीन नाग मंदिर और नाग कुंड है. नागपंचमी के दिन सुबह से ही मंदिर में श्रद्धालुओं का पूजा-अर्चना के लिए आना-जाना लगा रहता है. माना जाता है कि जिस किसी व्यक्ति की जन्म कुंडली में काल सर्प दोष होता है, तो नागपंचमी के दिन यहां स्नान करने से इस दोष का निवारण होता है. इस दिन यहां पर मेले का भी आयोजन किया जाता है.

आज भी करते हैं कई साधु संत साधना
भट्ट ने आगे बताया, कि इस पहाड़ को ऋषि-मुनियों की तपोभूमि माना जाता है. यह पहाड़ अरावली पर्वतमाला का हिस्सा है और धार्मिक रूप से अत्यंत महत्वपूर्ण है. कहा जाता है कि यहां कई ऋषियों ने कठोर तपस्या की थी. इस पहाड़ पर से पूरे पुष्कर क्षेत्र का सुंदर दृश्य दिखता है. आगे वे बताते हैं, कि आध्यात्मिक साधकों के लिए यह स्थान विशेष ऊर्जा वाला माना जाता है, आज भी साधु-संत यहां साधना करने आते हैं.

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इस कुंड में स्नान करने से होता है कालसर्प दोष का निवारण! जानें क्या है मान्यता

Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी, राशि-धर्म और शास्त्रों के आधार पर ज्योतिषाचार्य और आचार्यों से बात करके लिखी गई है. किसी भी घटना-दुर्घटना या लाभ-हानि महज संयोग है. ज्योतिषाचार्यों की जानकारी सर्वहित में है. बताई गई किसी भी बात का Bharat.one व्यक्तिगत समर्थन नहीं करता है.

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