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Haridwar: धार्मिक मान्यता है कि इस दिन व्रत करने से चर्म रोग से छुटकारा मिलता है. पुरानी से पुरानी स्किन की समस्या खत्म होती है और जीवन में फिर कभी ये परेशानी नहीं आती.
चर्म रोगों से इस दिन मिलेगा छुटकारा
हाइलाइट्स
- शीतलाष्टमी व्रत से चर्म रोगों से छुटकारा मिलता है.
- व्रत चैत्र कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को किया जाता है.
- हरिद्वार में शीतला माता के मंदिर में पूजा का विशेष महत्व है.
हरिद्वार. हिंदू कैलेंडर के अनुसार संवत की शुरुआत चैत्र मास से होती है और चैत्र मास का एक पक्ष संवत का आखिरी पक्ष भी होता है. संवत के आखिरी पक्ष में विशेष लाभ देने वाले व्रतों का आगमन होता है जिनको करने से व्यक्ति को शारीरिक, मानसिक तमाम समस्याओं से छुटकारा मिल जाता है. ऐसे ही संवत 2081 का आखिरी चैत्र कृष्ण पक्ष 15 मार्च से शुरू हो चुका है जिसकी अमावस्या 29 मार्च शनिवार को होगी. संवत 2081 के आखिरी चैत्र कृष्ण पक्ष में शीतलाष्टमी का व्रत करना बेहद ही लाभदायक और महत्वपूर्ण है. इस व्रत को करने से चर्म रोग, चेचक, खसरा, फोड़े आदि रोगों से छुटकारा मिलने की मान्यता है.
शुरू होते हैं बेहद चमत्कारी व्रत
शीतलाष्टमी व्रत की ज्यादा जानकारी देते हुए ज्योतिषी पंडित श्रीधर शास्त्री बताते हैं कि आखिरी पक्ष में बेहद ही चमत्कारी और विशेष लाभ देने वाले व्रत आते हैं. ऐसे ही जिन व्यक्तियों को चर्म रोग, फुंसी-फोड़े, चेचक, खसरा या अन्य चर्म संबंधित रोग होते हैं और उपाय करने के बाद भी ठीक नहीं होते तो इस दिन का व्रत विधि विधान से करने पर इन सभी से छुटकारा मिल जाता है.
यह व्रत चैत्र कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को किया जाता है जो साल 2025 में 22 मार्च शनिवार को होगा. वे आगे बताते हैं कि हरिद्वार की प्राचीन नगरी कनखल में शीतला माता का प्राचीन और सिद्ध पीठ मंदिर है. मान्यता है कि इस दिन यहां विधि अनुसार प्रसाद चढ़ाने से जीवन में कभी चर्म रोग नहीं होते हैं.
इस दिन करें व्रत
साल 2025 में शीतलाष्टमी का व्रत 22 मार्च शनिवार को होगा. इस दिन अपने पितरों के निमित्त पूजा पाठ, तर्पण, पिंडदान वगैरह करने पर विशेष लाभ की मिलने की मान्यता है. भगवान शिव की ससुराल दक्षेश्वर महादेव मंदिर के समीप शीतला माता के मंदिर के पास अपने पितरों, पूर्वजों को प्रसन्न करने के लिए कोई भी धार्मिक अनुष्ठान करने पर लाभ मिलता है. संयोग से साल 2025 में संवत 2081 के आखिरी पक्ष में शीतलाष्टमी का व्रत 22 मार्च शनिवार को होगा और शनिवार के दिन पितरों की पूजा करना करने पर कई गुना फल प्राप्त होता है. हरिद्वार में इस व्रत का विशेष महत्व है और इस व्रत को करने से सभी चर्म रोगों का नाश होता है.
Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी, राशि-धर्म और शास्त्रों के आधार पर ज्योतिषाचार्य और आचार्यों से बात करके लिखी गई है. किसी भी घटना-दुर्घटना या लाभ-हानि महज संयोग है. ज्योतिषाचार्यों की जानकारी सर्वहित में है. बताई गई किसी भी बात का Bharat.one व्यक्तिगत समर्थन नहीं करता है.