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इस मंदिर में पांडव छिपाते थे शस्त्र, यहां मौजूद है 12 मुखी विश्व का एकमात्र शिवलिंग, जिसका वजन है 6 टन

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Shiv Temple: आज हम आपको जयपुर से 85 किलोमीटर दूर ऐसे मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसको लेकर मान्यता है, कि यहां पांडव अपने शस्त्र को छिपाते थे. इतना ही नहीं यह भी बताया जाता है, कि इस मंदिर को पांडवों क…और पढ़ें

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12 मुखी 6 टन वजनी शिवलिंग

हाइलाइट्स

  • पांडवों ने पांडेश्वर महादेव मंदिर में शस्त्र छिपाए थे.
  • मंदिर में 12 मुख वाला 6 टन वजनी शिवलिंग है.
  • शिवरात्रि पर मंदिर में विशेष आयोजन होते हैं.

जयपुर. राजधानी जयपुर से 85 किलोमीटर दूर भगवान शिव का बेहद प्राचीन मंदिर है. इस मंदिर का संबंध महाभारत काल से है. बताया जाता है कि महाभारत के समय विराटनगर में 700 फीट की ऊंचाई पर स्थित गुफा में पांचों पांडवों ने इस शिवलिंग को स्थापित किया था. इस मंदिर में स्थापित शिवलिंग की ऊंचाई सवा सात फीट है. इसके अलावा यह दुनिया का एकमात्र 12 मुख वाला 6 टन वजनी शिवलिंग है. भगवान शिव का यह शिवलिंग विराटनगर के पंचखंड पर्वत पर बना हुआ है. इस मंदिर को पांडवों के द्वारा स्थापित किए जाने के कारण इसे पांडेश्वर महादेव मंदिर के नाम से जाना जाता है.

शिव मंदिर में पांडव छुपाते थे शस्त्र 
पंचखंड पर्वत की चोटी पर तीन चट्टानें बनी हुई हैं. इन तीनों के तीन गेट हैं. महाभारत में उल्लेख मिलता है कि पांडवों के 12 साल के वनवास के दौरान उन्होंने कुछ समय इन गुफाओं में बिताया था. उन्होंने इस दौरान शिवलिंग को स्थापित किया था. मंदिर के 13 वें आचार्य स्वामी सोमेंद्र महाराज ने बताया कि अज्ञातवास के दौरान जब पांडव यहां पर आए थे, तब वे यहीं पर अपने शस्त्र छुपाते थे. इसके अलावा सम्राट अशोक ने भी इस पहाड़ी पर 300 दिन बिताए थे.

अघोरी ने बंद कर दी थी गुफा
स्वामी सोमेंद्र महाराज ने बताया कि एक समय पर इस मंदिर में एक अघोरी भगवान शिव की पूजा किया करते थे. लेकिन, जब वे यहां से गए तो उन्होंने गुफा को पत्थरों से बंद कर दिया. उस समय यहां पर छोटे आकर का शिवलिंग स्थापित था. उन्होंने बताया कि सालों तक इस दौरान मंदिर बंद रहा. तक हमारे पूर्वजों ने इस मंदिर से पत्थर हटाए और भगवान शिव की वापस पूजा अर्चना करना शुरू की. इसके बाद समय बीतने के साथ धीरे धीरे वह शिवलिंग खंडित होने लगा जिसके बाद 2004 में खंडित शिवलिंग को गंगा में प्रवाहित कर दिया और संपूर्ण विधि विधान के साथ 6 टन वजनी सवा सात फिर ऊंचा शिवलिंग स्थापित किया गया.

संत यहां आकर करते हैं तपस्या 
स्वामी सोमेंद्र महाराज बताते हैं कि इस मंदिर में अभी भी संत और अघोरी आकर तपस्या करते हैं. समय- समय पर यहां कई धार्मिक आयोजन भी होते हैं. शिवरात्रि पर यहां विशेष आयोजन होते हैं. इस मंदिर को लेकर मान्यता है 12 मुख वाले शिवलिंग की पूजा करने से भक्तों की मनोकामना जरूर पूरी होती है.

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Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी, राशि-धर्म और शास्त्रों के आधार पर ज्योतिषाचार्य और आचार्यों से बात करके लिखी गई है. किसी भी घटना-दुर्घटना या लाभ-हानि महज संयोग है. ज्योतिषाचार्यों की जानकारी सर्वहित में है. बताई गई किसी भी बात का Bharat.one व्यक्तिगत समर्थन नहीं करता है.

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