Shankaracharya got furious on Morari Bapu Controversial Comment: प्रसिद्ध रामकथा वाचक मोरारी बापू को जगदगुरू शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने ‘बापू’ के बजाए ‘पापू’ कहा है. उनका कहना है कि उन्होंने एक बड़ा पाप किया है, जिसका प्रायश्चित नहीं हो सकता. रामचरित मानस का पाठ करने वाले मोरारी बापू के एक वीडियो पर उठे सवाल पर शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने अपनी नारजगी जताई है. वायरल हुए वीडियो में बापू कथा के मंच से कहते दिखाई दे रहे हैं कि श्रीकृष्ण धर्म की स्थापना में असफल हो गए तथा बलराम शराब पीने के आदी थे. इसी पर उठे सवाल के जवाब में शंकराचार्य ने न केवल इस विवाद का स्पष्टिकरण दिया है बल्कि मोरारी बापू को ‘पापू’ तक कह डाला है.
ब्रजराज श्री बलदेव जी के लिए ऐसी भाषा उचित है?
जगदगुरू शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद से एक भक्त ने मुरारी बापू से जुड़ा ऐसा सवाल पूछा कि वो गुस्से में आग बबूला हो गए. उनके पास सवाल आया, ‘मोरारी बापू ने अपनी कथा में कहा है कि ‘बलराम जी 24 घंटे मदिरा सेवन करते थे. क्या ब्रजराज श्री बलदेव जी के लिए ऐसी भाषा उचित है?’ इस पर जगदगुरू शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा, ‘हमारे यहां मदिरापान का निषेध है. यहां तक कहा गया है कि मदिरापान का प्रायश्चित भी नहीं है. हमारे यहां तो ब्रह्म हत्या, गौहत्या का भी प्रायश्चित है लेकिन सुरापान का नहीं है. ऐसी परिस्थिति में हमारे अवतार को दिखाए जाना कैसे संभव है?’
‘ये मोरारी बापू की बुद्धि का दिवालियापन है’
वह आगे कहते हैं, ‘इन्हें तो बापू कहने में संकोच होता है. इन्हें तो ‘पापू’ कहना चाहिए. क्योंकि उन्होंने बड़ा पाप किया है, ऐसा हम मानते हैं. एक जड़ी होती है और हरड़ एक जड़ी होती है, उसे पीसकर जो औषधि बनाई जाती है, उसे कहते हैं ‘वारुणी’. वो सुरा नहीं है, शराब नहीं है. दिन में कई बार दवा पीता है, तो केवल ‘पीता है’ शब्द को पकड़कर के उसे शराब की तरफ लेकर चले गए. वारुणी एक औषधि है, उस औषधि का सेवन बलराम जी किसी कारण से करते रहते थे. उसे पीते रहते थे, इसलिए उन्हें ‘पीने वाला’ घोषित करना बुद्धि का दिवालियापन है, तो निश्चित रूप से मोरारी बापू जैसे लोगों ने किया है.
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— 1008.Guru (@jyotirmathah) October 9, 2024
