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Varanasi Dev Diwali 2025 : काशी की ये दिवाली खास होने वाली है. इस बार 10 लाख दीपक जलाने की तैयारी है. तैयारियां अंतिम चरण में हैं. भगवान शिव की थीम पर 10 मिनट तक नॉन स्टॉप 200 से 250 मीटर की ऊंचाई पर आतिशबाजी होगी. सभी 84 घाटों से इसे देख सकेंगे, लेकिन ऐसा होगा क्यों, आइये जानते हैं.
वाराणसी. धर्म नगरी काशी में देव दीपावली की तैयारियां लगभग पूरी हो गई हैं. इस महोत्सव में गंगा तट पर 25 लाख दीयों की माला सजेगी. यह नजारा स्वर्गलोक की अनुभूति कराएगा. इस महादीप उत्सव के साथ लेजर शो का आयोजन भी होगा. काशी का आसमान भी रंग बिरंगी रोशनी से जगमग हो उठेगा. इसके लिए इलेक्ट्रिक फायर क्रैकर शो का आयोजन भी किया जाएगा. काशी विश्वनाथ धाम के सामने, गंगा उस पास रेत पर डेढ़ किलोमीटर के एरिया में इस फायर क्रैकर शो का आयोजन किया जाएगा. भगवान शिव की थीम पर 10 मिनट तक नॉन स्टॉप 200 से 250 मीटर की ऊंचाई पर खूबसूरत आतिशबाजी होगी. इस आतिशबाजी का नजारा काशी के सभी 84 घाटों से देखा जा सकेगा. छतों से भी लोग इस अद्भुत नजारे को निहार सकेंगे.
क्या रहेगी थीम
चेतसिंह घाट पर लेजर शो का आयोजन किया जाएगा, जिसकी तैयारियां जारी हैं. यह प्रोजेक्शन लेजर शो शिव, गंगा और देव दीपावली की थीम पर होगी. इसमें शिव की महिमा संग गंगा का बखान किया जाएगा. इस लेजर शो का ड्यूरेशन 25 मिनट का होगा, जो देव दिवाली के दिन तीन बार चलाया जाएगा. वाराणसी पर्यटन विभाग के संयुक्त निदेशक दिनेश कुमार ने बताया कि इस बार कार्तिक पूर्णिमा यानी देव दीपावली पर 5 नवंबर को पर्यटन विभाग की ओर से 10 लाख दीपक जलाने की तैयारी है. स्थानीय समितियां भी दीप जलाएंगी. केंद्रीय देव दीपावली समिति ने इस बार 15 लाख दीपों की व्यवस्था की है. ऐसे में पूरे घाट पर कुल 25 लाख दीये इस बार जलेंगे. इनमें से 3 लाख दीये गंगा उस पार रेत पर जलाए जाएंगे. जल्द ही पर्यटन विभाग की ओर से तमाम समितियों को दीपक, तेल और बाती का वितरण किया जाना है.
महाआरती भी होगी
वाराणसी के दशाश्वमेध घाट पर इस दिन महाआरती का आयोजन किया जाएगा. इस महाआरती में रिद्धि-सिद्धि के साथ 21 बटुक मां गंगा की महाआरती करेंगे. यह नजारा स्वर्गलोक से कम नहीं होगा. इसके अलावा अलग अलग घाटों पर सांस्कृतिक आयोजन भी किए जाएंगे. काशी में देव दिवाली की परम्परा सदियों पुरानी है. कथाओं के अनुसार, इस दिन ही भगवान शिव ने त्रिपुरासुर नामक राक्षस का वध किया है. त्रिपुरासुर से सभी देवी देवता काफी परेशान थे. जब भगवान शिव ने त्रिपुरासुर को मारा तो उसके खुशी में देवता काशी आए और गंगातट पर दीपदान किया. बस तब से यह परम्परा चली आ रही है.
Priyanshu has more than 10 years of experience in journalism. Before News 18 (Network 18 Group), he had worked with Rajsthan Patrika and Amar Ujala. He has Studied Journalism from Indian Institute of Mass Commu…और पढ़ें
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