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Dev Uthani Ekadashi Vrat Katha in Hindi 2025 | Dev Uthani Ekadashi Vrat Ki Kahani | Dev Uthani Ekadashi 2025 Muhurat parana samay | देवउठनी एकादशी 2025 व्रत कथा, मुहूर्त, पारण

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Dev Uthani Ekadashi Vrat Katha In Hindi: देवउठनी एकादशी का व्रत 1 और 2 नवंबर को है. इस बार गृहस्थ लोग देवउठनी एकादशी का व्रत 1 नवंबर को करेंगे, जबकि वैष्णव लोग देवउठनी एकादशी का व्रत 2 नवंबर को रहेंगे. देवउठनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु चार माह योग निद्रा से बाहर आते हैं. इस दिन से सभी देव जागते हैं. चातुर्मास का समापन होता है. देवउठनी एकादशी का व्रत रखकर विष्णु पूजा करने से पाप मिटते हैं और मृत्यु के बाद स्वर्ग की प्राप्ति होती है. भगवान विष्णु की पूजा के समय देवउठनी एकादशी की व्रत कथा सुननी चाहिए. आइए जानते हैं देवउठनी एकादशी व्रत कथा, मुहूर्त और पारण समय.

देवउठनी एकादशी व्रत कथा (Dev Uthani Ekadashi Vrat Katha)

देवउठनी एकादशी की पौराणिक कथा में बताया गया है कि एक राज्य में सभी लोग एकादशी का व्रत विधि विधान से करते थे. उस दिन किसी को भी अन्न का एक भी दाना नहीं मिलता था. पशु और पक्षी भी इससे वंचित रह जाते थे. एक दिन वहीं के राजा के दरबार में दूसरे नगर का एक व्यक्ति आया. उसने राजा से नौकरी देने की विनती की. राजा ने कहा कि नौकरी तो मिल जाएगी, लेकिन इस राज्य में रहने के लिए एक शर्त है. हर माह में दो बार एकादशी का व्रत होता है, उस दिन किसी को अन्न नहीं मिलता है. सभी लोग व्रत रखते हैं.

राजा की बात सुनकर उस व्यक्ति ने कहा कि आपकी शर्त मंजूर है. अगले ही महीने एकादशी का व्रत था. उस दिन उस व्यक्ति को अन्न नहीं मिला, फलाहार के लिए फल दिए गए. लेकिन वह राजा के पास गया और कहा कि महाराज! फलाहार करके उसका पेट नहीं भरेगा. अगर अन्न नहीं खाया तो प्राण निकल जाएंगे. कृपा करके आप मुझे अन्न ​देने का कष्ट करें.

तब राजा ने उस व्यक्ति को नौकरी की शर्त दोबारा बताई. इस पर भी वह व्यक्ति राजा से अन्न के लिए प्रार्थना करता रहा. ऐसी स्थिति में राजा ने उस व्यक्ति को अन्न देने का आदेश दे दिया. उसे खाना बनाने के लिए आटा, चावल, दाल, नमक आदि सभी सामग्री दे दी गई. वह काफी खुश था.

वह नदी के किनारे गया और जाकर सबसे पहले स्नान किया. उसके बाद अपने लिए खाना बनाने लगा. जब भोजन तैयार हो गया तो उसने भगवान का स्मरण करके कहा कि हे प्रभु! भोजन तैयार है, आप इसे ग्रहण करें. उसके बाद ही मैं भोजन करुंगा.

उस व्यक्ति की प्रार्थना सुनकर साक्षात् भगवान विष्णु प्रकट हुए. तो खुश होकर उस व्यक्ति ने भोजन परोसा. भगवान विष्णु को भोजन देकर वह भी भोजन करने लगा. उसके बाद श्रीहरि अपने धाम वापस लौट गए और वह व्यक्ति अपना काम करने लगा. अगली बार जब फिर एकादशी आई तो उसने राजा से कहा कि आप पिछली बार से दोगुना अन्न दिला दीजिए.

राजा ने कारण पूछा तो उसने कहा कि पिछली बार भगवान ने भी साथ में भोजन किया था, इसलिए वह अन्न कम पड़ गया और उसका पेट नहीं भरा. दोनों उतने अन्न में सही से भोजन नहीं कर पाते. उसकी बातें सुनकर राजा को आश्चर्य हुआ. उसने कहा कि क्या बात कर रहे हो? तुम पर विश्वास नहीं. क्या भगवान तुम्हारे साथ भोजन करते हैं? वह तो प्रत्येक एकादशी का व्रत रखता है, विधि विधान से पूजा पाठ करता है, लेकिन आज तक श्रीहरि के दर्शन नहीं हुए.

तब उस व्यक्ति ने कहा कि अगर आपको मेरी बात पर विश्वास नहीं है तो साथ में चलकर देख लीजिए. अगली एकादशी पर राजा ने उस नौकर को दो गुना अन्न दिलाया और नदी के किनारे जाकर एक पेड़ के पीछे छिप गया. नौकर अन्न लेकर वहां पहुंचा. सबसे पहले स्नान किया, उसके बाद भोजन बनाया. जब भोजन तैयार हुआ तो उसने भगवान विष्णु से प्रार्थना ​की कि आप आकर भोजन करें. उस दिन भगवान नहीं आए, उसने कई बार विनती की, लेकिन नहीं. अंत में उस नौकर ने कहा कि यदि आप नहीं आए तो इस नदी में कूदकर अपने प्राण त्याग देगा.

उसने अंत में एक बार फिर भगवान को खाने पर आने के लिए प्रार्थना की, लेकिन भगवन नहीं आए तो वह नदी में कूदने के लिए आगे बढ़ा. उसी समय भगवान विष्णु प्रकट हुए और उसके प्राण बचा लिए. उन्होंने उसके साथ भोजन किया. उसके बाद उसे अपने विमान पर बैठाकर अपने धाम बैकुंठ लेकर चले गए.

यह देखकर राजा को वास्तविकता का ज्ञान हुआ. वह समझ गया कि व्रत के साथ मन की पवित्रता और सच्ची भावना महत्वपूर्ण है. यदि सच्चे मन से व्रत करते हैं, तभी उसका फल मिलता है, ढोंग करने से नहीं. उस घटना के बाद से ही राजा ने पूरी पवित्रता के साथ व्रत और पूजा पाठ करने लगा. जीवन के अंत में उस पर भगवान विष्णु की कृपा हुई और उसे भी मोक्ष की प्राप्ति हुई.

देवउठनी एकादशी मुहूर्त और पारण समय

  1. गृहस्थ लोग 1 नवंबर को सुबह 07:56 बजे से लेकर सुबह 09:19 ए एम के बीज देवउठनी एकादशी की पूजा कर सकते हैं. वहीं वैष्णव लोग विष्णु पूजा सुबह 07:56 बजे से दोपहर 12:04 बजे के बीच कर सकते हैं.
  2. गृहस्थ लोगों के लिए 2 नवंबर को देवउठनी एकादशी व्रत का पारण समय दोपहर 01:11 बजे से 03:23 बजे तक है. वहीं वैष्णव लोगों के लिए 3 नवंबर को व्रत पारण का समय सुबह 06:34 बजे से सुबह 08:46 बजे तक है.
  • देवउठनी एकादशी तिथि का प्रारंभ: 1 नवंबर, सुबह 9:11 बजे से
  • देवउठनी एकादशी तिथि का समापन: 2 नवंबर, सुबह 7:31 बजे तक

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