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कब है पौष माह का शनि प्रदोष व्रत? इस दिन बन रहे खास योग, ऐसे करें पूजा सुख-समृद्धि का मिलेगा वरदान

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ऋषिकेश: पौष मास हिंदू धर्म में एक विशेष स्थान रखता है. इस महीने में आने वाले तीज-त्योहार, पूजा-पाठ और व्रत का महत्व कई गुना बढ़ जाता है. इसी महीने में पड़ने वाला प्रदोष व्रत शिवभक्तों के लिए खास अवसर होता है. इस बार पौष मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को शनि प्रदोष व्रत रखा जाएगा, जो 11 जनवरी 2025 को है. यह व्रत भगवान शिव को प्रसन्न करने और उनके आशीर्वाद को पाने के लिए रखा जाता है.

Bharat.one के साथ बातचीत के दौरान उत्तराखंड के ऋषिकेश में स्थित गृह स्थानम के ज्योतिषी अखिलेश पांडेय ने कहा कि हिंदू धर्मग्रंथों के अनुसार, प्रदोष व्रत भगवान शिव को समर्पित होता है. इस व्रत को विधिपूर्वक और सच्चे मन से करने से शिवजी सभी कष्टों को हरते हैं और सुख-समृद्धि प्रदान करते हैं. यह व्रत हर महीने में दो बार आता है – एक शुक्ल पक्ष में और दूसरा कृष्ण पक्ष में. जब प्रदोष व्रत शनिवार को पड़ता है, तो इसे शनि प्रदोष व्रत कहा जाता है. इस दिन शिव और शनि दोनों की पूजा का विशेष महत्व है. मान्यता है कि इस व्रत को रखने से कुंडली में शनि ग्रह से संबंधित दोष समाप्त हो जाते हैं और व्यक्ति को शनि की दशा या साढ़ेसाती के प्रभाव से राहत मिलती है.

प्रदोष व्रत का शुभ मुहूर्त

इस बार शनि प्रदोष व्रत 11 जनवरी 2025 को पड़ रहा है. त्रयोदशी तिथि का प्रारंभ 11 जनवरी, सुबह 08:21 बजे होरा और त्रयोदशी तिथि समाप्त 12 जनवरी को सुबह 06:33 बजे समाप्त होगा वही प्रदोष काल शाम 05:49 बजे से रात 08:18 बजे तक होगा.   इस दिन कई शुभ योगों का निर्माण हो रहा है, जो इस तिथि को और भी खास बनाते हैं.

सर्वार्थ सिद्धि योग: सुबह 07:15 बजे से दोपहर 12:29 बजे तक

अमृत सिद्धि योग: सुबह 07:15 बजे से दोपहर 12:29 बजे तक

विजय मुहूर्त: दोपहर 02:14 बजे से 02:56 बजे तक

अमृत काल: सुबह 09:27 बजे से 10:58 बजे तक

इन शुभ समयों में किसी भी प्रकार का पूजा-पाठ, दान या शुभ कार्य करने से विशेष लाभ मिलता है.

प्रदोष व्रत के दिन इस विधि से करें पूजा

सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें. भगवान शिव का ध्यान करते हुए व्रत का संकल्प लें.

शिवलिंग पर जल, दूध, गंगाजल, बिल्वपत्र, धतूरा, सफेद फूल, अक्षत (चावल), और धूप-दीप अर्पित करें.

शिवजी के मंत्रों का जाप करें.

ॐ नमः शिवाय

ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।

पूरे दिन फलाहार करें और सात्विक आहार ग्रहण करें. शाम के समय जरूरतमंदों को दान दें.

शाम के समय प्रदोष काल में भगवान शिव की विशेष आरती करें.

जो व्यक्ति श्रद्धा और विधिपूर्वक यह व्रत करता है, उसे भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त होता है. उसके जीवन से सभी कष्ट दूर हो जाते हैं और सुख-समृद्धि का वास होता है. साथ ही, शनि दोष और शनि की दशा से मुक्ति मिलती है. इस व्रत का पालन करने से मोक्ष की प्राप्ति का मार्ग भी प्रशस्त होता है.

Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी, राशि-धर्म और शास्त्रों के आधार पर ज्योतिषाचार्य और आचार्यों से बात करके लिखी गई है. किसी भी घटना-दुर्घटना या लाभ-हानि महज संयोग है. ज्योतिषाचार्यों की जानकारी सर्वहित में है. बताई गई किसी भी बात का Bharat.one व्यक्तिगत समर्थन नहीं करता है.

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