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कोरबा का अनोखा आदिवासी शक्तिपीठ, जहां 36 जनजातियां करती हैं एक साथ पूजा, रहस्य जान हो जाएंगे हैरान

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Korba News: कोरबा में स्थित विश्व का पहला आदिवासी शक्तिपीठ आदिवासी संस्कृति और एकता का अनूठा केंद्र है. 2011 में स्थापित इस शक्तिपीठ में छत्तीसगढ़ की 36 जनजातियां अपनी देवी-देवताओं की पारंपरिक पूजा करती हैं.

कोरबा. कोरबा शहर के बुधवारी बाजार के पास स्थित विश्व का पहला आदिवासी शक्तिपीठ, आदिवासी संस्कृति और एकता का एक अद्वितीय प्रतीक है. 2011 में स्थापित, यह शक्तिपीठ प्रदेश की 42 जनजातियों में से 36 की सक्रिय भागीदारी का केंद्र है. यह न केवल आदिवासी परंपराओं और रीति-रिवाजों का संरक्षण कर रहा है, बल्कि विभिन्न जनजातियों के देवी-देवताओं की एक साथ पूजा का भी अनूठा स्थान है.

आदिवासी शक्तपीठ के उपाध्यक्ष निर्मल सिंह राज ने local18 को बताया की छत्तीसगढ़ के कोरबा मे यह पहला प्रयोग है जहां विश्व भर के आदिवासियों को जोड़ने का कार्य किया जा रहा है. क्यों की आदिवासी समाज विश्व भर के देशो मे अलग अलग भाषा बोली के साथ रहते है. लेकिन सभी प्राकृतिक है और अपने पूर्वजों को ही देवता या देवी के रूप मे पूजते है.आदिवासी शक्तिपीठ का मुख्य उद्देश्य प्राचीन परंपराओं, रीति-रिवाजों और त्योहारों को बढ़ावा देना है, साथ ही आत्म-सम्मान और गौरवमयी विरासत को संजोए रखना है.

उन्होंने बताया कि छत्तीसगढ़ में 36 आदिवासी राजाओं ने शासन किया था. समाज में पूर्वजों और देवी-देवताओं की पूजा के लिए अलग-अलग स्थानों पर शक्तिपीठ स्थापित किए गए थे. समय के साथ, पूजा विधियों में बदलाव आया. इस बदलाव को ध्यान में रखते हुए, आदिवासी समाज ने अपने पूर्वजों और देवी-देवताओं को एक ही स्थान पर स्थापित कर पूजा करने का संकल्प लिया, ताकि नई पीढ़ी को अपनी परंपराओं को सीखने और समझने का अवसर मिले.इस शक्तिपीठ की एक और विशेषता यह है कि विभिन्न जनजातियों के देवी-देवताओं की एक साथ पूजा करने से समाज में एकजुटता आई है. कोरबा जिले में रहने वाली 36 जनजातियां इस शक्तिपीठ में एकत्रित होकर अपनी संस्कृति का पालन करती हैं.

यहां की पूजा विधि पारंपरिक है, जिसमें पुरोहित के स्थान पर समाज के बैगा द्वारा देवी-देवताओं की पूजा की जाती है. इसी परंपरा के अनुरूप, यहां भी बैगा द्वारा ही सभी अनुष्ठान किए जाते हैं, ताकि समाज की खुशहाली बनी रहे.पूरी तरह यहां प्रकृति चीजों का उपयोग किया जाता है. अगरबत्ती की घर साल वृक्ष के पेड़ से निकलने वाले लाख को जलाया जाता है. हवन की जगह हूम दिया जाता है. सुबह से लें कर रात के सोने तक के अनुष्ठान किए जाते है और अपने पूर्वजों से विश्व, देश,समाज के लिए मंगल कमान की जाती है

शक्तिपीठ में स्थापित प्रमुख देवी-देवता:

शंभू बाबा (भोलेनाथ) – सर्व आदिवासी समाज
बुढ़ादेव – गोड़ समाज
पनमेसरी दाई – माज़ी समाज
अंगारमोती – अगरिया समाज
बूढ़ी माई (वैध्यावासनी देवी) – बिंझवार समाज
ठाकुर देव – कंवर समाज
दूल्हा देव – खैरवार समाज
सरना देव – उरांव समाज, मुडा समाज, कड़िया समाज, संथाल समाज, हो समाज
जयकरम देव (नोनी वनवासी) – धनवार समाज
परिहार देव – सौरा समाज

Anuj Singh

Anuj Singh serves as a Content Writer for News18MPCG (Digital), bringing over Two Years of expertise in digital journalism. His writing focuses on hyperlocal issues, Political, crime, Astrology. He has worked a…और पढ़ें

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कोरबा का अनोखा आदिवासी शक्तिपीठ, जहां 36 जनजातियां करती हैं एक साथ पूजा

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