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Korba News: कोरबा में स्थित विश्व का पहला आदिवासी शक्तिपीठ आदिवासी संस्कृति और एकता का अनूठा केंद्र है. 2011 में स्थापित इस शक्तिपीठ में छत्तीसगढ़ की 36 जनजातियां अपनी देवी-देवताओं की पारंपरिक पूजा करती हैं.
आदिवासी शक्तपीठ के उपाध्यक्ष निर्मल सिंह राज ने local18 को बताया की छत्तीसगढ़ के कोरबा मे यह पहला प्रयोग है जहां विश्व भर के आदिवासियों को जोड़ने का कार्य किया जा रहा है. क्यों की आदिवासी समाज विश्व भर के देशो मे अलग अलग भाषा बोली के साथ रहते है. लेकिन सभी प्राकृतिक है और अपने पूर्वजों को ही देवता या देवी के रूप मे पूजते है.आदिवासी शक्तिपीठ का मुख्य उद्देश्य प्राचीन परंपराओं, रीति-रिवाजों और त्योहारों को बढ़ावा देना है, साथ ही आत्म-सम्मान और गौरवमयी विरासत को संजोए रखना है.
यहां की पूजा विधि पारंपरिक है, जिसमें पुरोहित के स्थान पर समाज के बैगा द्वारा देवी-देवताओं की पूजा की जाती है. इसी परंपरा के अनुरूप, यहां भी बैगा द्वारा ही सभी अनुष्ठान किए जाते हैं, ताकि समाज की खुशहाली बनी रहे.पूरी तरह यहां प्रकृति चीजों का उपयोग किया जाता है. अगरबत्ती की घर साल वृक्ष के पेड़ से निकलने वाले लाख को जलाया जाता है. हवन की जगह हूम दिया जाता है. सुबह से लें कर रात के सोने तक के अनुष्ठान किए जाते है और अपने पूर्वजों से विश्व, देश,समाज के लिए मंगल कमान की जाती है
शंभू बाबा (भोलेनाथ) – सर्व आदिवासी समाज
बुढ़ादेव – गोड़ समाज
पनमेसरी दाई – माज़ी समाज
अंगारमोती – अगरिया समाज
बूढ़ी माई (वैध्यावासनी देवी) – बिंझवार समाज
ठाकुर देव – कंवर समाज
दूल्हा देव – खैरवार समाज
सरना देव – उरांव समाज, मुडा समाज, कड़िया समाज, संथाल समाज, हो समाज
जयकरम देव (नोनी वनवासी) – धनवार समाज
परिहार देव – सौरा समाज
Anuj Singh serves as a Content Writer for News18MPCG (Digital), bringing over Two Years of expertise in digital journalism. His writing focuses on hyperlocal issues, Political, crime, Astrology. He has worked a…और पढ़ें
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