मधुबनी:- बिहार में दो चीजें बेहद ही कॉमन हैं, हर गांव में ठाकुरबाड़ी और पीपल के पेड़ पर विराज रहे ब्रम्हबाबा. कोई भी शुभ कार्य हो, बिना इनके आशीर्वाद के पूरा नहीं होता. शादी ब्याह में तो खासकर इनकी मान्यता है. एक और खास बात है कि ब्रम्हबाबा कि इनकी स्थापना हर गांव के पश्चिम दिशा की ओर ही होती है. आइए जानते हैं कि ब्रम्हबाबा की क्या मानयता है और क्यों इन्हें शादी-ब्याह में शुभ माना जाता है.
ब्रम्हबाबा या ग्राम देवता
जब किसी गांव का निर्माण होता है, तो एक देवता की स्थापना होती है, जिसे सभी मानते हैं. पूरे गांव में इनकी आस्था के लिए एक केंद्र बनाया जाता है. दरअसल समाज में हर घर में लोग छोटा पूजा स्थल या मंदिर रखते हैं. ऐसे में बिहार के प्रत्येक गांव में खासकर मिथिला में ब्रम्हबाबा, ठाकुरबाड़ी पूजा की जगह होती है, जहां सभी के लिए 24 घंटे कभी भी जाने की अनुमति होती है.
किसी बड़े या छोटे शुभ कार्य पर लोग उनकी पूजा पाठ करते हैं, दूध अर्पित करते हैं, नव विवाहित जोड़े, मुंडन संस्कार, जेनेव, आदि में पीपल के पेड़ के नीचे स्थापित ब्रम्हबाबा का आशीर्वाद जरूर लेते हैं. साथ ही यहां कोई बंदिश नहीं होती है. किसी का भी मन हो यहां साफ-सफाई करने का, तो बिना झिझक के वे यहां सफाई कार्य कर सकते हैं, यहां का विकास करने में अपनी धन राशि खर्च करते हैं.
ब्रम्हबाबा हैं भगवान विष्णु
Bharat.one से बात करते हुए पंडित गिरिधर झा बताते है कि गांव की जब नींव रखते हैं, तो उस समय भगवान विष्णु का आवाह्न करते हैं, जिसे आम भाषा में ब्रम्हबाबा करते हैं. ब्रम्हबाबा विष्णु के ही रूप होते हैं, जो पूरे समाज (ग्रामीणों) का होता है. हमारे मिथिला में जनेऊ के दौरान पीपल के पेड़ के नीचे स्थापित ब्रम्हबाबा को दूध के अलावा छागर की बलि प्रदान भी दी जाती है.
FIRST PUBLISHED : January 6, 2025, 13:59 IST
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