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भाई दूज के दिन भगवान चित्रगुप्त जी की पूजा का विशेष महत्व माना गया है. इस दिन श्रद्धालु कलम-दावात की पूजा कर ज्ञान, बुद्धि और लेखन में आशीर्वाद प्राप्त करते हैं. मान्यता है कि चित्रगुप्त जी की आराधना से न केवल शिक्षा और व्यापार में उन्नति होती है, बल्कि जीवन में सफलता और संतुलन भी प्राप्त होता है.
पांच दिवसीय दीपोत्सव में भाई दूज के दिन चित्रगुप्त जी की पूजा का विधान है. उन्हें मृत्यु के देवता यमराज के सहायक और समस्त जीवों के कर्मों का लेखा-जोखा रखने वाला माना जाता है.
महंत स्वामी कामेश्वरानंद वेदांताचार्य ने Local18 को बताया कि भाई दूज पर बहन के घर जाकर तिलक लगवाना और भोजन करना अकाल मृत्यु से रक्षा करता है. इसी कारण भगवान चित्रगुप्त की पूजा का विशेष महत्व है.
इस दिन कलम और दावात की पूजा भी की जाती है. इसे मस्याधार पूजा भी कहा जाता है. महंत स्वामी कामेश्वरानंद के अनुसार, यह विद्या, बुद्धि और लेखन में आशीर्वाद पाने का विशेष अवसर होता है.
कहा जाता है कि चित्रगुप्त जी कलम-दावात से समस्त जीवों के अच्छे-बुरे कर्मों का विवरण लिखते हैं. वे जीवन और मृत्यु का समय भी निर्धारित करते हैं, इसलिए इस दिन उनकी पूजा करने का विधान है.
इस दिन कलम-दावात, बही-खातों और लेखनी की पूजा की जाती है. महंत स्वामी कामेश्वरानंद वेदांताचार्य बताते हैं कि सही विधि से पूजा करने से लेखन और शिक्षा में उन्नति होती है और बाधाएं दूर होती हैं.
चित्रगुप्त पूजा से केवल शिक्षा और बुद्धि का ही आशीर्वाद नहीं मिलता, बल्कि व्यापार और व्यवसाय में भी तरक्की होती है. महंत स्वामी कामेश्वरानंद के अनुसार, साधक की सभी बाधाएं दूर होकर सफलता की राह खुलती है.
भाई दूज पर चित्रगुप्त जी की पूजा से जीवन में संतुलन और मानसिक शांति मिलती है. महंत स्वामी कामेश्वरानंद वेदांताचार्य बताते हैं कि यह पूजा विद्या, साहस, बुद्धि और लेखन के आशीर्वाद के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है.